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राममंदिर का 60 प्रतिशत निर्माण पूरा, अक्टूबर तक तैयार हो जाएगा प्रथम तल

गर्भगृह में विराजमान होने वाले भगवान श्रीराम की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बीच बालक स्वरूप में होगी। इसके साथ ही उस मूर्ति में उंगलियां कैसी हों, चेहरा कैसा हो, आंखें कैसी हों इस बात पर देश के बड़े-बड़े मूर्तिकार अभी से मंथन करने में जुट गए हैं।  चंपत राय ने बताया कि भगवान की मूर्ति का स्वरूप नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं के तर्ज पर होगा

-2024 मकरसंक्रांति तक गर्भगृह में रामलला की हो जाएगी प्राण प्रतिष्ठा


अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। शुक्रवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मीडिया फ़ोटो, वीडियो लेने के लिए आमंत्रित कर ग्राउंड कवरेज करवाया। मन्दिर निर्माण का लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है।

इस अवसर पर महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण से जुड़ी सभी जानकारी मीडिया को देते रहे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण की प्रगति संतोषजनक है। निर्माण कार्य तय समय में पूरा हो जाएगा। उसके बाद दिसंबर 2023 या मकर संक्रांति जनवरी 2024 में भगवान राम लला की प्राणप्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त में होगी। उन्होंने कहा कि भगवान राम के बाल स्वरुप की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसकी रुप रेखा तैयार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। तय समय अक्तूबर 2023 तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।उसके बाद 2024 मकर संक्रांति तक या उससे पहले भगवान रामलला की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी।
बताया गया कि श्रीरामलला की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बीच के बालक स्वरूप में तैयार होगी। जो 8.5 फुट लंबी होगी । उन्होंने बताया कि अयोध्या में भगवान राम की पूजा बालक रुप में होती है।

चम्पत राय ने बताया कि मूर्ति के लिए ऐसे पत्थर का चयन किया जाएगा जो आकाश के रंग का हो यानी आसमानी रंग का हो। इसके साथ ही महाराष्ट्र और उड़ीसा के मूर्तिकला के विद्वानों ने आश्वासन दिया है कि ऐसा पत्थर उनके पास उपलब्ध है। पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार रामलला की मूर्ति का आकार बनाएंगे। इस कार्य में उड़ीसा के सुदर्शन साहू व वासुदेव कामत व कर्नाटक के रमैया वाडेकर वरिष्ठ मूर्तिकार शामिल हैं।

ट्रस्ट ने मूर्तिकारों से मूर्ति का डायग्राम तैयार करने को कहा है। उन्होंने बताया कि रामनवमी के दिन दोपहर12बजे भगवान के मस्तक को सूर्य की किरणों का तिलक लगे। उसकी ऊंचाई लगभग साढ़े आठ फुट तय की गई है। उसका भी पहला परीक्षण रूड़की में सफल हुआ है। चम्पत राय ने बताया कि गर्भ गृह की दीवाल, खंभो, फ़र्श पर मकराना का मार्बल लगेगा। मन्दिर के ग्राउंड फ्लोर पर पांच मण्डप तैयार किये जा रहे हैं।

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर निर्माण का 60 प्रतिशत से अधिक कार्य संपन्न हो चुका है। निर्माण कार्य की तेजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगले साल यानी जनवरी 2024 में मकरसंक्रांति के अवसर पर मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम के बालस्वरूप की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसका मतलब ये है कि अगले साल मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं को विश्व के सबसे दिव्य और भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन हो सकेंगे।

समयसीमा से पहले बनकर तैयार होगा राम मंदिर


-श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने शुक्रवार को बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अपनी तय समय सीमा से पहले बनकर तैयार होगा। मंदिर का निर्माण तेज गति के साथ चल रहा है। अक्टूबर 2023 तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। 2024 मकरसंक्रांति तक भगवान रामलला की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी तक जो तैयारी है उसके मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा का काम 1 जनवरी से 14 जनवरी के बीच करने की योजना है। मंदिर का लगभग 62 प्रतिशत निर्माण कार्य अब तक पूरा कर लिया गया है। मंदिर का काम 3 फेज में होना है। पहले फेज का काम दिसंबर 2023 में पूरा हो जाएगा। इसमें गर्भगृह भी शामिल है।

बाल स्वरूप में विराजमान होंगे रामलला


ट्रस्ट महासचि चम्पत राय ने बताया कि गर्भगृह में विराजमान होने वाले भगवान श्रीराम की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बीच बालक स्वरूप में होगी। इसके साथ ही उस मूर्ति में उंगलियां कैसी हों, चेहरा कैसा हो, आंखें कैसी हों इस बात पर देश के बड़े-बड़े मूर्तिकार अभी से मंथन करने में जुट गए हैं।  चंपत राय ने बताया कि भगवान की मूर्ति का स्वरूप नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं के तर्ज पर होगा। मूर्ति के लिए ऐसे पत्थरों का चयन किया जाएगा जो आकाश के रंग का हो यानी आसमानी रंग का हो। इसके साथ ही महाराष्ट्र और उड़ीसा के मूर्तिकला के विद्वानों ने आश्वासन दिया है कि ऐसा पत्थर उनके पास उपलब्ध है।

उड़ीसा के पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार सुदर्शन साहू, वासुदेव कामात तथा कर्नाटक के रमैया वाडेकर वरिष्ठ मूर्तिकार इसमें शामिल हैं। ट्रस्ट ने अभी इन मूर्तिकारों से मूर्ति का डायग्राम तैयार करने को कहा है लिहाजा भगवान की आंख से लेकर चरणों तक श्रद्धालुओं को आसानी से दर्शन हो सकें, इसका भी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। इसके साथ ही भगवान राम लला की 5 वर्ष के बालक की खड़ी हुई मूर्ति पर विचार विमर्श चल रहा है।

भगवान राम के मस्तक का होगा सूर्य तिलक


-चंपत राय के मुताबिक, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि रामनवमी के दिन भगवान के मस्तक को सूर्य की किरणों का तिलक हो। वैज्ञानिकों ने जो सुझाव दिया है उसके अनुसार रामलला की मूर्ति का मस्तक फ्लोर से 8 फुट 7 इंच ऊपर होना चाहिए तभी सूर्य के प्रकाश की किरण उस पर आकर पड़ेगी। इसी आधार पर मूर्ति के पैडस्टल का निर्माण होगा। इसका प्रयोग रुड़की में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट कर रही है। इसका पहला ट्रायल सफल हो गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर के चारों ओर भगवान राम के जीवन के 100 प्रसंगों को पत्थरों में उकेरा जाएगा। एक प्रसंग जिस पत्थर में तैयार होगा, वह 6 फुट लंबा और 5 फुट ऊंचा और ढाई फुट मोटा होगा।

गर्भ गृह के अतिरिक्त होंगे पांच मंडप


ट्रस्ट महासचिव ने बताया कि गर्भगृह के अतिरिक्त पांच मंडप और होंगे। तीन मंडप प्रवेश द्वार से गर्भ गृह की ओर और दो मंडप अगल-बगल होंगे। उन्हें कीर्तन मंडप कहा गया है। गर्भ गृह में व्हाइट मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। गर्भ गृह की दीवार और फर्श भी मार्बल की होगी। गर्भ गृह के चारों ओर दीवारें तैयार हो गई हैं। गर्भ गृह के चारों ओर परिक्रमा मार्ग भी बन रहा है। सभी खंभों और दीवारों पर करीब 7 हजार मूर्तियां बनेंगी। इसके साथ ही एक कोने पर भगवती, दूसरे कोने पर गणपति, तीसरे कोने पर भगवान शंकर की मूर्ति होगी। बीच में भगवान राम होंगे।

परकोटे के दक्षिण में हनुमान जी और उत्तर में अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापित की जाएगी। संतों ने इसकी परिकल्पना की है। मंदिर से आधा किमी. दूर तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का भी निर्माण कार्य शुरू हो गया है। मंदिर के पश्चिम दिशा में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू हो गया है। मंदिर का मुख्य पावर स्टेशन और सब स्टेशन का काम भी शुरू हो चुका है। इस अवसर पर ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्रा, गोपाल जी , शरद शर्मा व निर्माण कार्य में लगे प्रमुख इंजीनियर उस्थित रहे।

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