-स्वच्छता सभी का सामाजिक दायित्वः आनंदीबेन पटेल
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 28 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह के सफलतापूर्वक आयोजन पर छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा और ज्ञान के सही मायने आप सभी को सिद्ध करना होगा। भारत को आजादी के 100 वर्षों में एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य पूर्ण करना है। यह मार्ग तभी प्रशस्त होगा जब युवा पीढ़ी शिक्षा के उचित मार्ग का चयन कर उस पर आगे बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि समाज में सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है। भारत के कृषि प्रधान राष्ट्र है यहां के विश्वविद्यालय में शोध कार्यों को सही दिशा में ले जाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात राज्य में एक बेहतर जल प्रबंधन से जलापूर्ति सुनिश्चित हो पाई और लम्बे समय के बाद गुजरात राज्य टैंकरराज से मुक्त हो सका है। यह तभी संभव हो पाया जब एक व्यापक जल नीति तैयार कर नर्मदा नदी के डैम की ऊचाई को बढ़ाने के साथ-साथ सिचाई परियोजनाओं को सही क्रम में विकसित किया गया है। समारोह में कुलाधिपति ने कहा कि सरदार सरोवर डैम पर व्यापक योजनाओं का परिणाम इस प्रकार दिखाई पड़ा कि गुजरात राज्य जल संकट से मुक्त हो गया।
समारोह में राज्ययपाल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी को मिलकर ऐसा कार्य करना है जिससे समाज के सभी वर्गों के जीवन स्तर में व्यापक स्तर पर सुधार हो। उन्होंने कहा कि अभी हम सभी को कार्यप्रणाली में सुधार कर स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य करने की संस्कृति विकसित करनी है। शिक्षण संस्थानों को समाज के सर्वांगीण विकास पर जोर देने के लिए क्रमबद्ध शोध कार्य पर पारदर्शी शोध नीति मार्ग पर आगे चलने की आवश्यकता है। जो भी कार्य करना है उसे दिल से करना है कमियों को दूर करने का निरन्तर प्रयत्न करना पड़ता है।
विश्वविद्यालय में शोध कार्यों पर जो कार्य किए जा रहे है। उनसे अभी समाज को व्यापक लाभ नही मिल पा रहा है। शोध कार्यों को धरातल पर कार्य करने के लिए युवाओं को आगे आना है। विकसित राष्ट्रों की तर्ज पर पारदर्शी रणनीति के सहारे ही हम राज्य व राष्ट्र का विकास कर सकते है।
कुलाधिपति ने छात्रों से कहा कि स्वच्छता का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और यह सभी का प्राथमिक दायित्व है कि स्वच्छता और स्वास्थ के प्रति सजग और सतर्क रहे। स्वच्छता सरकार का ही विषय नही है यह सभी का सामाजिक दायित्व भी है। कुलाधिपति ने अपने उद्बोधन के अंत में छात्रों को दायित्वों बोध का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि शिक्षा के साथ संस्कृति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। माता-पिता की सेवा करें उनका आदर करें कभी भी उनके प्रति उपेक्षा का भाव प्रकट न करें यही आपकी संस्कृति है।
पवित्र अयोध्या की भूमि बौद्धिक सभ्यता एवं संस्कृति की विरासतः डाॅ0 अफरोज अहमद
विवि के 28 वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, प्रधान न्यायपीठ, नई दिल्ली के सदस्य डाॅ0 अफरोज अहमद ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम कण-कण में बसते हैं। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक, बौद्धिक सभ्यता की विरासत के साथ यह पवित्र भूमि अयोध्या मेरे सहित अनगिनत व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक रही है। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में एक छात्र के रूप में, मुझे शैक्षणिक क्षेत्र से परे अपने ज्ञान क्षितिज के विस्तार का अनुभव करने का सौभाग्य मिला।
प्रभु श्री राम के मूल्यों और सिद्धांतों में गहराई से निहित विश्वविद्यालय के लोकाचार ने मुझमें समाज के प्रति कर्तव्य की गहरी भावना पैदा की। उन्होंने कहा कि अयोध्या धार्मिक महत्व के साथ-साथ हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, हमारी सामूहिक चेतना का प्रमाण है। प्रभु श्री राम की शिक्षाओं ने पर्यावरण वैज्ञानिक, नौकरशाही और न्यायपालिका में मेरे करियर के प्रति मेरे दृष्टिकोण को आकार दिया है। लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने की मेरी खोज में उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है।
समारोह में उन्होंने कहा कि अयोध्या जिसे कौशल राज्य के नाम से पुरातन समय में जाना जाता था। इसी स्थान पर पवित्र ग्रन्थ ‘रामायण‘ की रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गई। यह शहर पवित्र सरयू नदी के किनारे बसा है। वास्तव में घाघरा नदी अयोध्या में सरयू के नाम से जानी जाती है। घाघरा नदी मानसरोवर (तिब्बत) से निकलती है और ‘मापचा संगपा‘ के नाम से जानी जाती है। हिमालय से निकलकर नेपाल के रास्ते शिवालिक की वादियों से होकर नेपाल में पहुँचकर यह ‘‘करनाली‘‘ के रूप में जानी जाती है। ‘‘करनाली‘‘ नदी दो शाखाओं ‘कौरियाला एवं गेरुआ‘ में बंट जाती है और भारत के खूबसूरत तराई क्षेत्र में कतरनिया घाट के पास पहुँचकर ‘घाघरा‘ हो जाती है एवं प्रभु श्री राम के चरणों में ‘सरयू‘ हो जाती है।
मुख्य अतिथि ने कहा कि अयोध्या सिर्फ एक शहर नहीं है बल्कि यह एतिहासिक, सांस्कृतिक एवं हमारे मूल्यों, परंपराओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है। यह हमारे स्वर्णिम अतीत का एक प्रमाण है। प्रभु श्री राम की आध्यात्मिक दिव्य जीवन शैली है जो अभी भी मुझे स्पष्ट विजन और दृढ़ विश्वास के साथ पर्यावरण एवं मानवता की बेहतरी के लिए काम करने की यात्रा में मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या एक महत्वाकांक्षी समृद्ध वैश्विक शहर है। उनके नेतृत्व ने राज्य में गवर्नेस के बेहतरी के लिए एवं सामाजिक न्याय की तरफ बदल दिया है। वह विकास के साथ अपने दृष्टिकोण में संस्कृति और प्रकृति परिप्रेक्ष्य को एकीकृत कर रहे हैं। समारोह में डाॅ0 अफरोज ने उपाधिधारकों से कहा कि अनुभव हमें आकार देते हैं, हमारी शिक्षा हमें सशक्त बनाती है और हमारा जुनून हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा निरंतर देता है। हम संकल्प ले एक बेहतर दुनिया, जो सभी को स्वीकार हो, के निर्माण में योगदान देने के लिए आगे बढ़ेंगे।
विद्यार्थी जीवन का उपयोग ज्ञान, संस्कार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करेंः प्रो. प्रतिभा गोयल
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने अतिथियो का स्वागत व विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन पढ़ते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के सम्बद्धता क्षेत्र में प्रदेश के 07 जनपदों-अयोध्या, अम्बेडकरनगर, गोण्डा, बहराइच, बाराबंकी, सुल्तानपुर एवं अमेठी के कुल 764 महाविद्यालय तथा संस्थान सम्बद्ध हैं जिसमें 03 संघटक, 07 राजकीय, 20 अनुदानित, 36 विधि तथा 667 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय हैं। इनके अतिरिक्त 06 मेडिकल, 04 डेन्टल और 21 नर्सिंग कॉलेज भी विश्वविद्यालय की सम्बद्धता-परिधि में आते हैं। आवासीय परिसर तथा महाविद्यालयों में 11 संकायों के अन्तर्गत 108 पाठ्यक्रमों में लगभग 06 लाख स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों को शोध एवं पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध है। छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास एवं राष्ट्रीय व सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराने हेतु एन.सी. सी., एन.एस.एस. तथा क्रीड़ा परिषद् की इकाइयाँ भी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।
कुलपति ने बताया कि सत्र 2022-23 में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न उपाधियों के लिए अन्तिम वर्ष की परीक्षा में 225150 विद्यार्थी सम्मिलित हुए जिसमें से 217496 अभ्यर्थी सफल रहे। इस परीक्षा में छात्राओं का उत्तीर्णता 55 प्रतिशत है। इन सफल विद्यार्थियों की उपाधियाँ आज आपके कर कमलों से, भारत सरकार के डिजिटल लॉकर में ई-प्रमाणपत्र के रूप में उपलब्ध करायी जा रही हैं। आज के दीक्षान्त समारोह में सम्बन्धित पाठ्यक्रम में सर्वोच्च अंकों से प्राप्त करने वाले 123 स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ताओं में से 79 अर्थात् लगभग 64 प्रतिशत छात्राएं हैं। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने सत्र 2022-23 में विभिन्न खेलों में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 06 स्वर्ण और 05 रजत और 10 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएँ देश के महत्वपूर्ण संस्थानों में भी अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। विश्वविद्यालय में अन्तर विभागीय, अन्तर महाविद्यालयीय एवं अन्तर विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त परिसर स्तर पर विशिष्ट विषयों पर लेख, भाषण, निबन्ध, पोस्टर मेकिंग एवं पेन्टिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन समय≤ पर किया जाता है।
समारोह में कुलपति प्रो0 गोयल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा क्रियान्वित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत संचालित समस्त पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा के आवश्यक विषय वस्तुओं को भी विभिन्न पाठ्यक्रम समितियों के माध्यम से सम्मिलित किया गया है, जिससे विद्यार्थी अपने प्रतिष्ठित भारतीय ज्ञान को जानकर गर्व महसूस कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थानों के साथ वर्ष 2023 में 50 शोध, शैक्षिक, प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट संबंधी एमओयू हरताक्षरित करने के अतिरिक्त शैक्षिणिक विभागों द्वारा मार्च 2023 के बाद में एक अन्तर्राष्ट्रीय तथा 48 राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशालायें तथा 69 सह शैक्षणिक गतिविधियाँ तथा एक चिंतन शिविर आयोजित किए गए।
समारोह में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में उ.प्र. कौशल विकास मिशन के सहयोग से एक स्किल हब स्थापित किया गया है। परिणाम स्वरुप, प्रशिक्षित विद्यार्थियों के लिये रोजगार प्राप्ति के क्षेत्र में सम्भावनाएं बढ़ेंगी। सम्प्रति, कौशल विकास के प्रथम बैच के प्रशिक्षण हेतु 108 प्रशिक्षुओं को पंजीकृत किया जा चुका है। इस विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध महाविद्यालय के विद्यार्थियों को औषधीय गुणों वाली वनस्पतियों से तेल निकालने, फूलों से इत्र निकालने, टूरिस्ट एवं हास्पिटैलिटी सेक्टर में हेरिटेज टूरिस्ट गाइड संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अपने सामाजिक सरोकार के दायित्व निर्वहन के सन्दर्भ में मिशन शक्ति अभियान‘‘ के अन्तर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पौष्टिक आहार एवं नियमित दिनचर्या के पालन के सम्बन्ध में सकारात्मक कदम उठा रहा है। महिलाओं तथा बेटियों के सशक्तिकरण हेतु माधौपुर, मसौधा गाँव में 08 प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर आयोजित कराये गये हैं। गोद लिए गए गाँव में क्षय रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या तथा उनके स्वास्थ्य के प्रगति को संज्ञान में लेते हुए समीक्षा की गई। अपनाये गए ग्रामों में विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र तथा प्रौढ़ एवं सतत् शिक्षा विभाग द्वारा टोनिया-बिहारीपुर ग्राम पंचायत के सचिवालय भवन में एक सामूहिक कैंप का आयोजन किया गया। क्षय रोग के लक्षणों एवं इसके निदान के बारे में जानकारी प्रदान की गई। साथ ही साथ, रोगियों के स्वास्थ्य एवं उनके नियमित उपचार हेतु निर्धारित दवाइयों की उपलब्धता को भी सुनिश्चित कराया गया।
कुलपति प्रो0 गोयल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने ‘अनुभूति एक प्रयास‘ के माध्यम से छात्रों को वृद्धाश्रमों से जोड़ने का कार्य किया है। इससे युवा वर्ग में समाज के बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना तथा सेवा भाव जागृत होगा। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय ने जैविक खाद प्लांट तथा औषधीय वाटिका का निर्माण किया है जिससे प्रकृति की अमूल्य धरोहर से युवाओं को जागरूक करने के साथ स्वास्थ्य के संरक्षण में औषधीय पौधों के महत्व को उजागर किया जा सके। कुलपति ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2023 को वृहद् स्तर पर न केवल विश्वविद्यालय स्तर पर बल्कि महाविद्यालयों के स्तर पर आयोजित कर 2,93,210 शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने विभिन्न स्थानों-विश्वविद्यालय परिसर, गुप्तारघाट, राम की पैड़ी, सरयू घाट तथा मसौधा ब्लाक के माधवपुर गाँव में ग्रामीण जन के संग सक्रियता के साथ प्रतिभाग किया है।
कुलपति ने बताया कि अयोध्या की पौराणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा अविस्मरणीय कार्य प्रदान किया जा रहा है। वर्ष 2023 के दिव्य दीपोत्सव में विश्वविद्यालय के 25000 छात्रों एवं शिक्षकों द्वारा सरयू के 51 पावन घाटों पर 22 लाख 23 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर एक बार फिर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त किया है। अंत में कुलपति ने विद्यार्थियों से कहा कि आप अपने जीवन का उपयोग ज्ञान, संस्कार, संस्कृति और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करें, हर प्रकार की सफलताएं आपको स्वतः प्राप्त होती जाएंगी।
दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ वन्दे मातरम से किया गया। इसके पश्चात कुलाधिपति, मुख्य अतिथि एवं कुलपति द्वारा जल भरों के तहत घड़ा में जल भरने का कार्य किया गया। इसके बाद छात्र-छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के दौरान कुलाधिपति द्वारा भारत सरकार के डिजीलाकर में 217496 उपाधियों को समावेश किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 संत शरण मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 अंजनी कुमार मिश्र द्वारा किया गया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर प्रेम भूषण गोयल, भातखंडे विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 माण्डवी सिंह, महापौर गिरीशपति त्रिपाठी, महंत रामदास, वित्त अधिकारी पूर्णेन्दु शुक्ला, परीक्षा नियंत्रक उमानाथ, उप कुलसचिव दिनेश कुमार मौर्य, डाॅ0 रीमा श्रीवास्तव सहित विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद, विद्यापरिषद सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं उपाधिधारक मौजूद रहे।
राज्यपाल ने बाल प्रोत्साहन में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को बाटे किट एवं फल
28 वें दीक्षांत समारोह में प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन द्वारा में प्राथमिक विद्यालय के 30 बच्चों को स्कूल बैग व फल की टोकरी प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त प्राथमिक के बच्चों के वितरण के लिए 200 स्टोरी बुक शिक्षकों को उपलब्ध कराई गई। कार्यक्रम में कुलाधिपति ने 20 आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों को बच्चों के लिए किट प्रदान किया गया।
समारोह में स्मारिका एवं अयोध्या एक सुखद यात्रा का विमोचन राज्यपाल द्वारा किया गया
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल द्वारा राज्यपाल एवं मुख्य अतिथि डाॅ0 अफरोज अहमद का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम भेटकर किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय की स्मारिका एवं अयोध्या एक सुखद यात्रा का विमोचन कुलाधिपति द्वारा किया गया। वही कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने राज्यपाल को विश्वविद्यालय की ओर से ‘अनुभूति एक प्रयास‘ पुस्तक भेट की।