-लोक अदालत की मूल भावना में समाहित है लोक कल्याण : ज्ञान प्रकाश तिवारी
अयोध्या। शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ जनपद न्यायाधीश ज्ञान प्रकाश तिवारी द्वारा मॉं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण प दीप प्रज्जवलन से किया गया। इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश ने कहा कि लोक अदालत की मूल भावना में समाहित है लोक कल्याण की भावना। सुलह समझौता के दौरान सभी का मान, सभी का सम्मान, सभी को न्याय मिले इसका ध्यान रखा जाता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है। इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह-समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बात सुनकर यह निर्णय करते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं। इसी को देखते हुए सुलह-समझौता कराते थे और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़तें थे। दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश, मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी। लोक कल्याण के भावना से ओत-प्रोत उसी स्वरूप को उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह-समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिये जाते हैं, जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित हैं। उन्होंने आगे कहा कि समाज एवं राष्ट्र के हित में हैं कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे। यदि आपसी मतभेद पनपते भी है, तो उसे शांत एव सदभाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रिचा वर्मा ने बताया की धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद वाद, विद्युत एंव जलवाद बिल, (अशमनीय छोड़ कर) अन्य (आपराधिक शमनीय, पारिवारिक एंव अन्य व्यवहार वाद, आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट),बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाऐं, श्रम विवाद वाद, विद्युत एंव जलवाद बिल, (अशमनीय छोड़ कर), पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबंन्धित वेतन, भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद, जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों, अन्य सिविल वाद आदि वाद निस्तारित किये गये। नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत, शैलेन्द्र सिंह यादव के अनुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 14486 वादों को निस्तारित किया गया।
भूदेव गौतम न्यायाधीश मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा कुल 85 केस निस्तारण हेतु नियत थे, जिसमें से कुल 83 वाद निस्तारित किये गये, जिसपर कुल 32300158.00 रू0 की धनराशि क्षतितपूर्ति निर्धारित की गयी। बैंक रिकवरी से संबंन्धित 862 प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये तथा बैंक संबंन्धित ऋण मु0- 47765569.00 रू0 वसूल किये गये। पारिवारिक न्यायालय द्वारा 84 मुकदमों को निस्तारित किया गया, जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये। संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 2521 फौजदारी वादों को निस्तारित किया गया, जिसके एवज में मु0 379844.00 रू0 अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया। सिविल न्यायालय द्वारा कुल 106 मामलों का निस्तारण किया गया। राजस्व मामलों से संबन्धित 10424 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किये गये।