कुलगीत के रचयिता डॉ. शंभुनाथ सिंह के जन्म दिवस पर हुआ अनावरण
अयोध्या। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विवि के दृश्य कला विभाग व अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वधान में विश्वविद्यालय कुलगीत के रचयिता डॉ. शंभुनाथ सिंह के जन्म दिवस के अवसर पर कुलगीत शिलापट् अनावरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ0 शंभुनाथ शोध संस्थान वाराणसी के महासचिव एवं मुख्य कार्यकारी डॉ0 राजीव कुमार सिंह रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो0 कौशल किशोर मिश्रा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ0 राममनोहर लोहिया के मूर्ति पर माल्यार्पण व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके उपरांत दृश्य कला विभाग की शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित डॉक्टर शंभुनाथ सिंह के तेल चित्र के अनावरण के साथ ही कुलगीत शिलापट् का भी अनावरण किया गया। इस मौके पर कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने बताया कि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए कुलगीत उसकी आत्मा होती है, कुलगीत का बहुत ही महत्व होता है और इस कुलगीत को सुसंगत तरीके से विश्लेषित करना आज की अति आवश्यकता है। कुलगीत के रचयिता के रूप में डॉ0 शंभुनाथ सिंह ने इस विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही सराहनीय काम किया है। यह कुलगीत अपने आप में संपूर्ण सारगर्भिता को लिए हुए हैं, जिसके अंतर्गत लोहिया का समाजवाद, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और आचार्य नरेंद्र देव जी की सोच राम, कृष्ण और शिव का व्यवहारिक विश्लेषण तथा उन सारी चीजों का उल्लेख किया गया है जोकि अयोध्या की इस सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक बिंदुओं का पूर्ण रूप से उल्लेख करता है। आज काशी से अयोध्या का एक रोडमैप सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित होना बहुत आवश्यक है। कुलपति महोदय ने यहां भी बताया कि दृश्य कला विभाग को आने वाले समय में और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी क्योंकि यह विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है, जिससे विश्वविद्यालय की छवि के बदलते स्वरूप में इस विभाग की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विशिष्ट बी0एच0यू0 से आए प्रो0 कौशल किशोर मिश्रा ने विश्वविद्यालय के इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा की और यह बताया कि कुलगीत के रचयिता का सम्मान अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण है, इसे अन्य विश्वविद्यालयों को भी अनुपालन करना चाहिए। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ0 राजीव कुमार सिंह ने यह बताया कि डॉ0 शंभुनाथ सिंह शोध संस्थान, वाराणसी निरंतर से ही सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में हिंदी विधा को विकसित करने का निरंतर प्रयास करता रहा है, जिसके अंतर्गत गीत, लोकगीत की विधा को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है और यह संस्थान नवगीत पुरस्कार के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष 17 जून को 21000 रूपये का नगद पुरस्कार तथा प्रशस्त पत्र के साथ नवगीत पुरस्कार को भी प्रदान करता है। इस वर्ष का नवगीत पुरस्कार साकेत महाविद्यालय मुंबई के पूर्व प्राचार्य प्रो0 इंद्रीवर पांडे को दिया गया। प्रो0 पांडे ने डॉ0 शंभुनाथ सिंह के साथ बिताए गए अपने जीवन वृत्त का बहुत ही समुचित तरीके से विश्लेषित करते हुए, उनकी कविता पाठ को भी विश्लेषित किया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कुलगीत शिलापट् अनावरण कार्यक्रम को आयोजित करने के पीछे सदस्य कार्य परिषद ओम प्रकाश सिंह ने काफी प्रयास किया और उन्होंने कुलपति की प्रेरणा से उस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दृश्य कला विभाग तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को मूर्त रूप प्रदान किया। ओम प्रकाश सिंह ने यह बताया कि हमे जो भी विश्वविद्यालय को विकसित करने में विश्वविद्यालय द्वारा कार्य दिया जायेगा, उस कार्य को हम कार्यपरिषद सदस्य के नाते निरंतर करते रहेंगे।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ0 शंभुनाथ सिंह के तैल चित्र का निर्माण करने में दृश्य कला विभाग की शिक्षिकाओं पल्लवी सोनी, डॉ0 सरिता द्विवेदी, रीमा सिंह के साथ सुमित, राजेश एवं छात्राओं ने भी अपना सराहनीय योगदान दिया है। इस अवसर पर दृश्य कला विभाग द्वारा कुलपति का कागज से निर्मित काॅइल आर्ट पोट्रेट विभागीय शिक्षिकाओं पल्लवी सोनी, डॉ0 सरिता द्विवेदी, रीमा सिंह एवं समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव द्वारा कुलपति जी को भेंट किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सदस्य कार्य परिषद के के मिश्रा, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग प्रो0 मृदुला मिश्रा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 अशोक शुक्ला, प्रो0 राजीव गौड,़ प्रो0 फारुख जमाल, परीक्षा नियंत्रक श्री उमानाथ, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री विनोद सिंह, डॉ0 शैलेंद्र वर्मा, खलिक ए0 खान वरिष्ठ कलाकार, डॉ0 प्रदीप त्रिपाठी, डॉ0 बिंद मणि त्रिपाठी, डॉ0 रोली सिंह, गैर शैक्षणिक संघ के अध्यक्ष डॉ0 राजेश सिंह, डॉ0 आदित्य सिंह, श्री आशीष मिश्रा, श्री ग्रीश चंद्र पंत के साथ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।