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युवा भी पढ़े स्वतंत्रता आंदोलन की गाथा : राज्यपाल

-डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षांत समारोह का हुआ भव्य आयोजन

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 25 वे दीक्षांत समारोह का शुक्रवार को भव्य आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शि़क्षा मंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा रहे। मुख्य अभ्यागत अतिथि डॉ0 लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यू0एन0ओ0, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यमंत्री उच्च शिक्षा व विज्ञान एवं तकनीकी विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की श्रीमती नीलिमा कटियार रही। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने स्वागत किया। समारोह को संबोधित करती हुई कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारत वर्तमान समय में आजादी अमृतोत्सव मना रहा है। आज ही के दिन 1930 में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा का शुभारम्भ किया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर टैक्स लगाने का विरोध अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से प्रारम्भ हुआ यह आंदोलन देश का आंदोलन बन गया। 150 वर्षों से लगातार सघर्ष के बाद देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, विद्वजनों, युवाओं ने अपने जान को न्यौछावर कर आजादी पायी है। इस आजादी के लिए देश ने भीषण यातनाओं को झेला है। तब जाकर कही स्वराज की स्थापना हो पायी। भारत में देश का हित सर्वोपरि हो इसी संकल्प पर हमें कार्य करना होगा। साथ ही आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेना होगा। आने वाली पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के सघर्षों की गाथा से परिचित कराना होगा जिससे वे समझ सके कि आजादी के क्या मूल्य है। महामहिम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा आयोजित इस अमृत महोत्सव के दौरान प्रत्येक युवा स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कथाओं पर अध्ययन कर आपसी चर्चा का विषय बनाये। विश्वविद्यालयों का यह दायित्व बनता है कि वे आने वाली पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों से परिचित कराये और संकल्प करें कि 15 अगस्त, 2022 तक विशेष अभियान में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर विमर्श करें और उन स्थलों का भम्रण करें जो स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी बने है। देश को आजादी मिल गई है परन्तु अभी सही अर्थों में देश के समक्ष कई चुनौतियां है। भारत सरकार एवं राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुॅचाने के लिए विश्वविद्यालयों एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जनसहयोग करना होगा। कुलाधिपति ने कहा कि सामाजिक सरोकारों का समझने एवं उसे अपनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य शिक्षा, पर्यावरण प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो इससे जनमानस को प्रेरणा मिलेगी। देश के लिए जीने की आवश्यकता है यह सभी का कर्तव्य है।

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अध्ययन के साथ रोजगार भी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता : डॉ दिनेश शर्मा

-समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शि़क्षा मंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि दीक्षांत समारोह ग्रहण की शिक्षा को समर्पित करने का एक अवसर है। समाज के लिए शिक्षा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का स्तर बढ़े इसी लिए सरकार द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों में कॉमन पाठ्यक्रम लागू करने की योजना पर कार्य कर रही है। वर्तमान समय में राज्य सरकार द्वारा डिजीटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। कोविड-19 के दौरान राज्य विश्वविद्यालयों ने 30 विभिन्न पाठ्यक्रमों में 79 हजार ई-कंटेंट अपलोड किए है इसमें वीडियों लेक्चर, वायस एवं टेक्स्ट को शामिल किया गया है। डिजीटल लाइब्रेरी के उपयोग के लिए देशभर के विद्यार्थी एवं शिक्षक शिक्षण एवं ज्ञान के लिए अपने उपयोग में ले रहे है। केन्द्र सरकार के साथ एमओयू किया गया है। लघु एवं मध्यम उद्योगों के साथ संस्थानों का अनुबंध कर छात्र-छात्राओं को अध्ययन करते-करते रोजगार पाने का अवसर तैयार किया जा रहा है। डॉ0 दिनेश शर्मा ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव कई निजी संगठनों द्वारा प्राप्त हुआ है। इस विश्वविद्यालय में ज्योतिष, धर्मग्रन्थों एवं कर्मकांडों जैसे महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन का प्रस्ताव आया है। राज्य सरकार ने शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन टीचिंग को लेकर कॉफी गंभीर है और इस क्षेत्र में कार्य कर रही है।
वहीं कार्यक्रम मुख्य अभ्यागत अतिथि डॉ0 लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यू0एन0ओ0, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली ने कहा कि आधुनिक युग में ज्ञान की नवजागरणयुगीन ऐतिहासिक क्रांतिकारी भूमिका के व्यतीत हो जाने के बाद आज का वर्तमान समय कौशल विकास का ही है। ज्ञान एवं अर्थव्यवस्था एक दूसरे के पूरक है। भारतीय जनमानस में पाश्चात्य देशों के दबाव में आकर शिक्षण व्यवस्था को बड़े स्तर पर प्रभावित कर लिया है जिसका परिणाम सुखःद नही रहा। स्वतंत्रता के उपरांत जिस रूप में शिक्षा का माडल अपनाया गया उसमें स्पष्ट दृष्टिकोण का समावेश नही हो सका। डॉ0 राठौर ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में भारत की शैक्षिक योजना को लागू करने का संकल्प लिया गया था और इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना में भी 19 से 24 वर्ष आयु के सिर्फ 5 प्रतिशत से कम लोगों ने व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त की। यदि इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो ग्रामीण आबादी की सिर्फ तीन प्रतिशत लोगों तक पहॅुच बन पाई।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महामहिम की उपस्थिति विश्वविद्यालय के लिए गौरव के साथ-साथ एतिहासिक भी है। समय-समय पर महामहिम के दिशा-निर्देश से विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, शैक्षिक वातावरण के निर्माण एवं कुशल नेतृत्व ने हम सभी का मार्ग-दर्शन किया है। विश्वविद्यालय अपनी स्थापना से लेकर अबतक महत्वपूर्ण उपलब्धियों का साक्षी रहा है। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 738 महाविद्यालय है। 6 लाख से अधिक विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय विभिन्न पाठ्यक्रमों से जुड़े है। सत्र 2021-22 से परिसर में 25 नये रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार नियमित एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की संख्या परिसर में लगभग 58 हो चुकी है। प्रो0 सिंह ने कहा कि यह अपार हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय की स्थापना के 46वें वर्ष में 04-6 मार्च, 2021 को अपना पहला नैक मूल्यांकन पूर्ण करा लिया है। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में विश्वविद्यालय ऑनलाइन शिक्षा से सम्बन्धित ई-कंटेंट तैयार कर परिसर एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को सरल एवं सुगम बना रहा है।

डॉ0 लक्ष्मण सिंह राठौर को प्रदान की गयी मानद् उपाधि

-दीक्षांत समारोह में डॉ0 लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यू0एन0ओ0, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली को मानद् उपाधि प्रदान की गई। कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत गंन्थ गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम प्रदान कर किया। उपाधि प्राप्त छात्रों को दीक्षोपदेश एवं कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलाई गई। 25वें दीक्षांत समारोह में कुल 115 स्वर्ण पदक प्रदान किए गये जिसमें 28 कुलपति स्वर्णपदक, 70 कुलाधिपति स्वर्णपदक तथा दान स्वरूप पदक के रूप में 17 स्वर्णपदक प्रदान किए गये। दीक्षांत समारोह में कुल 777 स्नातक, परास्नातक उपाधि एवं पी0एच0डी0 में 24 उपाधि शोधार्थियों को दी गई। समारोह में आकर्षण का केन्द्र अयोध्या ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के लगभग 25 छात्र-छात्राएं रहे जिन्हे कुलाधिपति ने फल एवं शिक्षण सामग्री भेट किया। इस समारोह का मुख्य आकर्षक परिधान में पुरूष परिधान में सफेद कुर्ता एवं सफेद पायजामा तथा महिला परिधान में सफेद कुर्ता एवं सफेद सलवार अथवा लाल बार्डर की साड़ी के साथ ही सिर पर अवधी परिधान की परम्परागत पगड़ी रही। इस अवसर पर अयोध्या सांसद लल्लू सिंह, विधायक वेद प्रकाश गुप्त, विधायक रामचन्द्र यादव, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, डीआईजी एवं एसएसपी, ब्रिगेडियर जेएस विर्क, अयोध्या के गणमान्य संत, अतुल कुमार सिंह, शक्ति सिंह, कुलसचिव उमानाथ, वित्त अधिकारी, धनंजय सिंह, मुख्य नियंता प्रो0 अजय प्रताप सिंह, उपकुलसचिव विनय कुमार सिंह कार्यपरिषद के सदस्यगण, विद्यापरिषद के सदस्यगण, विभिन्न विषयों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, समन्वयक, शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं बड़ी संख्या में पदक धारक एवं उपाधि धारक रहे।

निमडी महाविद्यालय के छात्रों ने मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

मिल्कीपुर। जनपद के अत्यंत पिछड़े ब्लॉक के रूप में पहचाने जाने वाले हैरिंग्टनगंज क्षेत्र में स्थापित श्री रामफेर शिवफेर स्नातकोत्तर महाविद्यालय निमडी के छात्र/छात्राओं ने एक बार पुनः अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए तीन तीन स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाल लिया। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में आयोजित 25वें दीक्षांत समारोह लगभग 700 महाविद्यालयों के छात्र/छात्राओं को पीछे करते हुए बी. ए. की छात्रा राखी सेन एम. ए. संस्कृत की छात्रा पूजा यादव एवं बी एड् के छात्र अंकित कुमार ने सर्वोच्च अंक हासिल करते हुए स्वर्ण पदक हासिल कर महाविद्यालय साथ साथ पूरे जनपद का नाम रोशन किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ राम सरदार यादव एवं प्राचार्य डॉ अमर नाथ यादव ने स्वर्ण पदक विजेता छात्र/छात्राओं को आशीर्वाद प्रदान करते अपनी उपाधि की सार्थकता को आजीवन सिद्ध करने का वचन लिया।

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