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आप खाएं थाली में, बच्चे को दें प्याली में भर पेट भोजन

भरपूर पोषण दूर करेगा कुपोषण

अयोध्या। समाज के लिए बड़ी समस्या बन चुके कुपोषण को जड़ से ख़त्म करने के लिए अब पांच सरकारी विभागों ने हाथ मिला लिया है। उनका मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह से इस बुराई को खत्म करना है। इस मोर्चे पर लड़ाई लड़ने के लिए जिन विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है, उनमें शिक्षा स्वास्थ्य, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज और खाद्य रसद एवं नागरिक आपूर्ति विभाग शामिल हैं। बच्चों को सही पोषण मिले इसके लिए जरूरी है उन्हें अलग से कटोरी और चम्मच से आहार दिया जाय । परिवार के सदस्यों की थाली से खाना खिलाने की परंपरा में यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि बच्चे को पर्याप्त आहार मिला अथवा नहीं। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी समेकित बाल विकास योजना विकास सिंह का ।
सितंबर माह में चलाये गए पोषण माह के दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी समेकित बाल विकास योजना विकास सिंह ने ने बताया कि छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को अक्सर परिवार के सदस्य अपनी थाली में ही खाना खिलाते हैं । उनके इस लाड़ प्यार से इस बात का ठीक से अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि बच्चे का पेट भरा है अथवा नहीं । इस उम्र में बच्चे चंचल होते हैं और थोड़ा आहार लेने के बाद वह खेलने में व्यस्त हो जाते हैं । इस दौरान परिवार के सदस्य अपनी थाली का पूरा खाना चट कर जातें हैं । थाली में भोजन न होने की वजह से बच्चा दुबारा कोई मांग नहीं करता और खाली पेट रह जाता है । पुनः भूंख लगने पर वह माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। हमारी इस परंपरा की वजह से बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिलता और वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण की वजह से बच्चों की लंबाई और वजन दोनों उनके उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ती।

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सरकारी प्रयास :-

  • प्रत्येक माह अनप्राशन दिवस पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को कटोरी चम्मच से पहला ऊपरी आहार खिलाती है।
  • आशा एवं आगनवाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान माँ एवं परिवार के सदस्यों को कटोरी चम्मच से खाना खिलाने के महत्व को समझाती हैं।
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कटोरी चम्मच के फायदेः-

  • बच्चे को पर्याप्त मात्रा मे आहार मिलता है द्यबच्चे के लिए अलग से पौष्टिक आहार बनाकर दिया जा सकता है।
  • बच्चे ने कितनी बार आहार लिया इसकी जानकारी रहती है।
  • बच्चे को सही समय पर आहार मिलता है।

छह माह के बच्चे को क्या खिलाएं-

  • माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार भी दे इसके लिए घर का बना हुआ मसला और गाढ़ा ऊपरी आहार जैसे कद्दू, लौकी, गाजर, पालक, दाल और तो अंडा,व मछली भी देना चाहिए।
  • बच्चे के खाने मे ऊपर से 1 चम्मच घी, तेल या मक्खन मिलाएँ।
  • बच्चे के खाने मे नमक चीनी और मसाले कम डालें।
  • बच्चे का खाना रुचिकर बनाने के लिए अलग अलग स्वाद व रंग शामिल करना चाहिए।
  • बच्चे को बाज़ार का बिस्कुट,चिप्स मिठाई नमकीन और जूस जैसी चीजें न खिलाएँ इसमे बच्चे को सही पोषक तत्व नहीं मिल पाते।

कितनी मात्रा मे खिलाएं पूरक आहार : –

जिला कार्यक्रम अधिकारी समेकित बाल विकास योजना विकास सिंह बताते है , कि छः माह से आठ माह तक के बच्चे को अलग से कटोरी में भोजन दें, दिन में दो बार आधी-आधी कटोरी ( 250 ग्राम की कटोरी) अर्द्धठोस आहार एवं एक से दो बार पोषक नाश्ता भी दें। गाढ़ा दलिया और अच्छी तरह से मसले हुए खाने से शुरुवात करें। ध्यान रखें कि बच्चा जब खाना बंद कर दे तब भी कुछ खाना कटोरी में बचा रहना चाहिए।

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