अपने दुराग्रहों व नकारात्मकता से मुक्त होकर बच सकते हैं थायरायड की बीमारी से : डा. उपेन्द्रमणि त्रिपाठी
अयोध्या। संघ कार्यालय साकेत निलयम में स्थित चिकित्सा सेवा केंद्र पर विश्व थायरायड दिवस पर स्वास्थ्य संवाद आयोजित हुआ जिसमें जानकारी देते हुए वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा उम्र के साथ जैसे जैसे समझ बढ़ती है जिम्मेदारियों का बोझ, आजीविका की चिंता और पारिवारिक सामाजिक चिंताएं न जाने किस किस रूप में हमपर कैसे कितना और कब प्रभावी होने लगती हैं आत्मावलोकन की दृष्टि न हो तो पता भी नहीं चलता , हमारा शरीर अपनी अधिकतम सीमा तक हमारे साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करता है किंतु जब उससे नहीं हो पाता तो रोग लक्षणों की उत्पत्ति हो जाती है। इस कारण जो मानसिक, शारीरिक व व्यवहारिक रूप में प्रदर्शित होता है वह हमारे मूल स्वभाव या पहचान से भिन्न होता है सम्भवतः इसी के दृष्टिगत इस वर्ष थायरायड दिवस की थीम “यह आप नहीं हैं, यह आपका थायरायड है” रखी गयी है जो स्पष्ट संकेत करती है कि यदि थायरायड से बचना है तो हमे आत्मावलोकन की दृष्टि विकसित करते हुए अपनी नकारात्मकता और दुराग्रहों से मुक्त होना पड़ेगा।
डा उपेन्द्रमणि ने बताया गले मे सांस नली के थोड़ा आगे ऊपर की तरफ तितली के आकार की एक नलीविहीन अंतःस्रावी ग्रन्थि होती है जिसे थायरायड कहते हैं यह थायराक्सिन हार्मोन पैदा करती है जो शरीर की कोशिकाओं ऊतकों के विकास और तमाम चयापचयी क्रियाओं के संतुलन में सहायक होता है। शरीर के अंग व ग्रंथियां एक दूसरे के सामंजस्य में होती हैं इसलिए किसी का असंतुलन शरीर मे अनेक प्रकार से अपनी प्रभाविता प्रदर्शित करता है। थायरायड के हार्मोन स्तर निर्माण व कार्य मे आयोडीन महत्वपूर्ण है अतः प्रभावित व्यक्ति में खून की जांच कराने पर टी 3, टी 4 व टी एस एच का स्तर प्रभावित दिखता है। सामान्यतः टी एस एच का अधिक स्तर हायपोथायरॉयडिज्म, व कम होना हायपरथायरॉयडिज्म कहलाता है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है। गर्भावस्था के समय भी यह आम होता जा रहा है। देखा गया है कि इस कमी से कुछ बच्चों के अंडकोष बाहर नहीं आ पाते हैं। अनुमान किया जाता है दस में से एक व्यक्ति इससे प्रभावित होंगे। इसलिए 30 वर्ष की आयु के बाद नियमित जांच करानी चाहिए।
जंक फूड, फैटी फ़ूड, अनियमित खान पान इसके कारण हो सकते हैं किंतु दुराग्रह नकारात्मक मानसिक चिंतन थायरायड रोग के प्रमुख कारण हैं। पहचान के लक्षणों को बताते हुए डा त्रिपाठी ने कहा कमजोरी, सुस्ती, अवसाद, भूख की कमी, वजन बढ़ते जाना,सूखी त्वचा, हल्के बाल, सुबह सुस्ती थकान, आदि हायपो थायरायडिज्म के लक्षण हैं, व दुबला पन आना, गले मे भारी पन, आवाज भारी, आंखे की गोलकें बढ़ी दिखना , आंतरिक कंपन महसूस होना आदि हायपरथायरॉयडिज्म के लक्षण हैं।
बचाव के लिए क्या बरते सावधानियां-
डॉ उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया नकारात्मक सोचने की प्रवृत्ति, दुराग्रह से बचना प्रथम उपाय है। इसके साथ ग्लूटेन की अधिकता वाले खाद्य गेहूं, चावल, पास्ता, तैलीय , जंक फूड, अधिक फाइबर वाले भोज्य पदार्थों पर भी नियंत्रण करना चाहिए।
क्या है होम्योपैथी में उपचार की संभावनाएं-
डॉ त्रिपाठी ने बताया अन्य पद्धतियों की अपेक्षा होम्योपैथी में शारीरिक व मानसिक लक्षणों की समग्रता के आधार पर कांस्टीट्यूशनल दवाएं कुछ समय तक कुशल चिकित्सक के मार्गदर्शन में करने पर स्थायी समाधान मिल सकता है। इस अवसर पर डॉ दुर्गेश तिवारी, डॉ पंकज श्रीवास्तव, डॉ योगेश उपाध्याय, डॉ सुनील गुप्ता, शिवकुमार तिवारी, जगदीश आदि उपस्थित रहे।