डीवाईएफआई व एसएफआई राज्य कमेटी ने संयुक्त रूप से तैयार की है बुकलेट
अयोध्या। भारत की जनवादी नौजवान सभा व स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया उत्तर प्रदेश राज्यकमेटी द्वारा संकलित शहीदे आजम भगतसिंह द्वारा “मैं नास्तिक क्यों हूँ”भगतसिंह के धर्म पर आधारित लेख नामक बुकलेट का आज बीमा कर्मचार संघ कार्यालय बेनीगंज में संघ के अध्यक्ष कामरेड आरडी आनद,सचिव कामरेड रविशंकर चतुर्वेदी,महिला बिंग की अध्यक्ष कामरेड सुनीता सिंह,जनौस प्रदेश महासचिव कामरेड सत्यभान सिंह जनवादी,मंडल प्रभारी कामरेड विनोद सिंह, कामरेड केके पांडेय,कामरेड संगीता गौड,शकुंतला पांडेय, केके वर्मा, कुमार वैभव,केके दुवेदी ने संयुक्त रुप से विमोचन किया।
विमोचन करने के बाद बीमा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कामरेड आरडी आनंद ने कहा कि डीवाईएफआई व SFI राज्य कमेटी ने संयुक्त रूप से एक बुकलेट तैयार किया है। बुकलेट का नाम है ‘शहीदे आजम भगत सिंह के धर्म संबंधी लेख’। इस बुकलेट में 3 लेखों का उल्लेख है, 1) मैं नास्तिक क्यों हूं, 2) सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज और 3) धर्म और स्वतंत्रता संग्राम। ये तीनों लेख ईश्वर, धर्म और सांप्रदायिकता से संबंधित हैं। कहीं ना कहीं मनुष्य ईश्व,र धर्म और सांप्रदायिकता से प्रत्यक्ष प्रभावित रहता है। यह प्रश्नजनता के साथ कल भी जुड़ा था और आज भी है। भगत सिंह ने अपने लेख ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ मैं लिखा है यदि आपका विश्वास है कि एक सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक और सर्वज्ञानी ईश्वर है जिसने विश्व की रचना की है तो कृपा करके मुझे यह बताएं कि उसने यह रचना क्यों की है। जबकि लोग सुखी नहीं हैं।इसी तरह उन्होंने अपने दूसरे लेख सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज में लिखा है एक धर्म के अनुयाई दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन है अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर शत्रु होना है। इसी तरह उन्होंने अपने तीसरे धर्म और हमारा सुनता संग्राम मे भी लिखा है।
महिला नेता कामरेड सुनीता ने कहा कि आज के दौर में महिलाओं को भी आगे आकर के क्रांतिकारी परंपरा को समझना होगा और उनके बताए हुए रास्ते पर चलना होगा और जो क्रांतिकारियों ने लिखा है उसको पढ़ कर के सामाजिक न्याय के लिए सामाजिक विकास के लिए एकजुट होकर के काम करना होगा। शहीदों ने जो कुर्बानी दिया है आज हम सबको उनको आदर्श मानते हुए उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना होगा।
प्रदेश महासचिव कामरेड सत्यभान सिंह जनवादी ने सबका आभार व्यक्त करते हुये आगे भी क्रांतिकारी परंपरा को आज ले चलने का आवाहन किया।