अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में कर्मचारियों ने दो दिन मांगों को लेकर नारेबाजी के साथ कुलपति और प्रति कुलपति के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया. दरअसल यह खेल कुलसचिव के द्वारा खेला गया जिसमें उसके प्रिय भी शामिल थे। लगभग तीन माह पूर्व कर्मचारियों ने मांगों को लेकर कुलसचिव को ज्ञापन दिया था उसकी प्रतिलिपि संबंधित अधिकारियों को भी दी गई। इस ज्ञापन के सन्दर्भ में 14 अक्टूबर को कर्मचारी नेताओं, प्रति कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी के मध्य वार्ता हुई.। सभी के हस्ताक्षर से मांगो को पूरा करने के लिए सहमत बन गई। सहमत पत्र पर सबके हस्ताक्षर भी हैं।
सवाल उठता है कि आखिर कर्मचारियों को एकाएक नारेबाजी और आंदोलन की जरूरत क्यों आन पड़ी. इसके पीछे विश्वविद्यालय में मलाईदार पदों और कुलसचिव के भ्रष्टाचार के खिलाफ शासन में हुई शिक़ायत है। अवध विश्वविद्यालय के मलाईदार विभागों जैसे सम्बद्धता, गोपनीय, ईडीपी, शैक्षणिक, उपाधि विभाग में कुलसचिव के विश्वस्त कई कर्मचारी वर्षों से तैनात थे जिन्हें स्थानांतरित कर दिया गया. दूसरी तरफ़ कुलसचिव ने विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए एक ही दिन में 492 कालेजों को बिना मानक पूरा किए स्थाई सम्बद्धता प्रदान कर दी गई. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से हुई है और जांच लम्बित है.
मालूम हो कि कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के ढ़ाई साल के कार्यकाल में विश्वविद्यालय शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यों के चलते वैश्विक पटल पर स्थापित हो रहा है. दीपोत्सव जैसे कार्यक्रमों ने अयोध्या और अवध विश्वविद्यालय की ख्याति में चार चांद लगाया है. ऐसे में रजिस्ट्रार की यह चाल विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करेगा।
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