कोरोना से जीती जंग, मानो फिल मिल गयी जिंदगी
रूदौली। कोरोना को परास्त कर चुके विवेकानन्द का कहना है कि जब कोरोना की रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो मन मे दहशत व्याप्त हो गयी, मैं नर्वस भी हो गया था। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों के हौसला बढाने के बाद अपने आप को थोड़ा सम्भाल, दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद खुशी से झूम उठा। मानो नया जीवन मिला है जिंदगी दुबारा मिल गई हो। यह खबर जनपद वासियो के लिए राहत भरी है, रूदौली तहसील क्षेत्र के कूढ़ा सादात निवासी मरीज जिसको कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।स्वस्थ्य होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दीं गई है। कोरोना से जंग लड़कर जीतने वाले मरीज के मुताबिक जैसे ही अस्पताल से छुट्टी मिली चिकित्सको और कर्मियों ने ताली बजाकर स्वागत किया और वीडियो बनाकर बड़े ही सम्मान के साथ एंबुलेंस मे बैठाकर घर भेजा।
बताते चले कि रूदौली तहसील क्षेत्र के कूढ़ा सादात निवासी विवेकानंद मौर्य पुत्र राजेश मौर्य रोजी रोटी के जुगाड़ में महाराष्ट्र के मुंबई शहर में रहता था। देश व्यापी लाकडाउन के कारण 40 दिन मुंबई में ही घर से बाहर नही निकला।जब खाने पीने के लाले पड़ने लगे तो मजबूर होकर बीते 7 मई को प्रवासी मजदूरो से भरे खचाखच ट्रक पर सवार होकर अपने दोस्त गांव के ही निवासी लाल चन्द्र मौर्या पुत्र द्वारिका प्रसाद मौर्य के साथ पुरखो की थाती व अपने जन्मभूमि की ओर चल दिया। 9 मई को दोनों दोस्त गांव पहुँचे। कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीज के मुताबिक घर आने पर गांव व समाज के हित को देखते हुए दोनोंलोग किसी के सम्पर्क में न आकर अलग थलग ही रह रहे थे। 11मई को अचानक पेट खराब,बुखार व हाथ पैर में दर्द होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रूदौली इलाज हेतु विवेकानंद व लाल चन्द पहुचा तो डाक्टरो ने एम्बुलेंस से दोनो को मसौधा क्वारन्टीन सेंटर भेज दिया।12 मई को दोनो के सेम्पल भेजने के बाद 13 मई की शाम तक विवेकानन्द को पॉजिटिव रिपोर्ट आ गई जबकि लालचंद को नेगेटिव रिपोर्ट आई।विवेकानंद के मुताबिक पॉजिटीव रिपोर्ट आने के बाद मन मे बढ़ी घबराहट थी।इलाज के लिए मसौधा से चन्द्रा हॉस्पिटल सफेदाबाद बाराबंकी पहुचे जहां पर तैनात कर्मियो ने हौसला बढ़ाया।दूसरी जांच 24 मई को हुई जिसकी रिपोर्ट 26 मई को निगेटिव आई।विवेकानन्द ने बताया कि इलाज के दौरान गुजरा एक एक दिन खास अनुभव वाला रहा। उसने बताया कि अस्पताल में घर जैसा माहौल मिला। अस्पताल कर्मियों का व्यवहार इनता मधुर था कि एक पल के लिए भी नही लगा कि घर से दूर किसी जानलेवा बीमारी का इलाज कराने के लिए अस्पताल में भर्ती है।