-राजयोग-मेडिटेशन से बढ़ता है हैप्पी हार्मोन
अयोध्या। राजयोग ध्यान से मूड-स्टेबलाइज़र हार्मोन सेराटोनिन व मनोशांत हार्मोन गाबा में अभिवृद्धि होने से स्ट्रेस-हार्मोन कार्टिसाल व एड्रेनलिन में कमी आती है तथा समूह प्रार्थना-भजन आदि से हैप्पी हार्मोन इन्डॉर्फिन,ऑक्सीटोसिन व डोपामीन का संचार होता है। इस प्रकार राजयोग ध्यान क्रियाएं अवसाद, उन्माद,चिंता घबराहट, टेंशन-हेडेक, अनिद्रा,फोबिया,ओसीडी, पेट की खराबी, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज आदि में अति लाभकारी हैं।
मनोरसायन सेराटोनिन की कमी से अनचाहे नकारात्मक विचार भय,विषाद,ग्लानि,क्रोध व निराशा,किसी कार्य को बार दोहराना या साफ सफाई की बारम्बारता, सोशल फोबिया, क्लास्ट्रोफोबिया व अनिद्रा रोग की सम्भावना होती है। नींद बहुत देर से आना, नींद बार बार टूटना व बहुत जल्दी नींद खुल जाना आदि अनिद्रा के लक्षण हैं।ध्यान विभिन्न आवृत्ति की मनोतरंग पैदा करता है जिसे इलेक्ट्रो-इनसिफैलोग्राम या ब्रेन-मैपिंग से जांचा जा सकता है । मनोचिकित्सा में चार तरह के ब्रेन-वेव संदर्भित है जिसे बीटा ,अल्फा, थीटा व डेल्टा नाम से जाना जाता है।
बीटा-वेव सबसे अधिक फ्रिक्वेंसी की होती है,जो तनाव की मनोदशा तथा अल्फा-वेव मध्यम फ्रिक्वेंसी की होती है, जो सामान्य अवस्था को प्रदर्शित करती है । अल्प-ध्यान की अवस्था में थीटा-तरंग मिलती जो कि निद्राचक्र के स्वप्न-समय मे भी दिखती है। गहन-ध्यान या डीप-मेडिटेशन की अवस्था में सबसे धीमी ब्रेन-वेव डेल्टा मिलती है। अवसाद व चिंता-विकार के रोगियो का इलाज अब आई टी बी एस यानि “इंटरमिटेंट थीटा बर्स्ट स्टिमुलेशन“ से किया जा रहा है, जिसमे ब्रेन में शान्त-तरंग थीटा को कृत्रिम रूप से भेजा जाता है तत्पश्चात ध्यान व योग से प्रतिस्थापित किया जाता है।
सेराटोनिन सप्लीमेंट व चिंतारोधी दवाओं का प्रयोग भी महत्वपूर्ण होता है। यह बातें जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी राजयोग ध्यान केंद्र में ब्रह्माकुमारी शशि बहन की अध्यक्षता में आयोजित राजयोग मेडिटेशन ऐंड मेन्टल वेलबीइंग व्याख्यान में कहीं।