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राम मंदिर के लिए ट्रस्ट को दान चंदा नहीं, समर्पण चाहिए

-न्यास से ट्रस्ट को 10 गुना ज्यादा मिला सहयोग

अयोध्या। अयोध्या विवाद में जमीन के मालिकाना हक की सुनवाई में देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला विराजमान रामलला के पक्ष में दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार की ओर से जन्म भूमि पर राम मंदिर के निर्माण और इसकी देखरेख के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर निर्माण की कवायद में जुटा है। ट्रस्ट मी राम मंदिर निर्माण के लिए दान और चंदा नहीं बल्कि राम भक्तों का समर्पण हासिल करने की बात कही है। ट्रस्ट का कहना है कि भगवान सबके हैं और भगवान का घर सब के समर्पण से ही तैयार होगा। देश की सर्वोच्च अदालत में 9 नवंबर 2019 को लगभग 500 वर्ष पुराने जन्म भूमि स्थित जमीन के मालिकाना हक मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया था। सुप्रीम फैसले को एक साल से ज्यादा समय व्यतीत हो चुका है लेकिन अभी जन्मभूमि पर प्राचीन ऐतिहासिक नागर शैली में बनने वाले भव्य एवं दिव्य तथा विश्व के सबसे विशालकाय राम मंदिर के निर्माण को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र तकनीकी पहलुओं में उलझा है। कार्यदाई संस्था तथा विशेषज्ञों की टीम की ओर से 1 मीटर व्यास के 1200 पिलर खड़े कर इस पर फाउंडेशन बना राजस्थान लाल बलुआ पत्थरों से मंदिर निर्माण की योजना परीक्षण में सफल नहीं हो पाई। अब पुरानी योजना में तब्दीली कर मिर्जापुर के लाल पत्थरों से नींव की फाउंडेशन तैयार करवाने की योजना बनाई गई है। इसी योजना के आधार पर नींव की डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने की कवायद जारी है। उधर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए जन-जन की सहभागिता और समर्पण हासिल करने के लिए मकर संक्रांति से माघ पूर्णिमा तक 42 दिनों तक चलने वाला जनसंपर्क और समर्पण निधि हासिल अभियान की तैयारी की है।    श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए किसी से दान और चंदा नहीं लिया जाएगा। मंदिर भगवान का घर है और भगवान का यह घर लोगों के समर्पण से बनेगा। लोगों का समर्पण हासिल करने के लिए स्वयंसेवक 11 करोड़ परिवारों तक जाएंगे और उनको राम जन्मभूमि के इतिहास का साहित्य देंगे तथा उनकी ओर से समर्पण के रूप में दी गई धनराशि को कूपन और रसीद के माध्यम से एकत्र करेंगे।

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समर्पण अभियान में भी आगे होंगे साधु संत

-राम मंदिर निर्माण के लिए जब विश्व हिंदू परिषद ने संगठित आंदोलन शुरू किया था तो आंदोलन का नेतृत्व साधु संतों के हवाले किया था। अब जब सुप्रीम फैसले के बाद राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को मिल चुका है और जन्म भूमि पर राम मंदिर का निर्माण कराया जाना है। एक बार फिर से विश्व हिंदू परिषद और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए जनसंपर्क अभियान और समर्पण निधि हासिल करने के इस अभियान की बागडोर साधु संतों को सौंपी है। इसके लिए राम नगरी अयोध्या में साधु संतों की बैठक संपन्न हो चुकी है और काशी में जल्द ही होनी है। जिसके लिए ट्रस्ट महासचिव चंपत राय वाराणसी पहुंच गए हैं। पूरे अभियान का नेतृत्व देशभर के साधु-संतों के हवाले किया गया है। संतो के नेतृत्व में 1989 में गठित श्री राम जन्म भूमि न्यास ने राम मंदिर निर्माण और आंदोलन के लिए 8 करोड़ 25 लाख रुपए बटोरा था। हालांकि सुप्रीम फैसले के बाद राम मंदिर के निर्माण और इसकी देखरेख के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को अभी तक इस से 10 गुना ज्यादा रकम लगभग 83 करोड़ मिल चुकी है।

तीन बैंकों की 46000 शाखाओं में जमा होगा समर्पण निधि

-विश्व हिंदू परिषद और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने समर्पण निधि हासिल करने के अभियान को पारदर्शी बनाने के लिए 10, 100 और 1000 रुपये के कूपन के साथ प्रस्तावित राम मंदिर के मॉडल छपी रसीदें बनवाई हैं। ट्रस्ट की ओर से अभियान को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है। समर्पण निधि अभियान के माध्यम से हासिल धनराशि को जमा कराने के लिए ट्रस्ट ने राष्ट्रीयकृत 3 बैंकों में खाते खुलवाए हैं और इन बैंकों से देशभर में फैली इनकी 46000 शाखाओं में रकम जमा कराने का अनुबंध किया है। वही जनसंपर्क और समर्पण निधि अभियान को लेकर टोलियो का गठन पूरा हो चुका है तथा लगातार बैठकों का दौर जारी है।

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