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पुण्यतिथि पर सन्त कँवर राम को अर्पित की श्रद्धांजलि

अयोध्या। सन्त कँवर राम साहब की पुण्यतिथि 01 नवम्बर को भारत देश ही नहीं वरन विदेशों में भी प्रत्येक जगह समस्त सिन्धी जनों के द्वारा शहीद दिवस को रूप में सन्त कँवर राम साहब को रात्रि ठीक 10 बजे दीप एवं मोमबत्तियाँ जलाकर मौन श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। उक्त कार्यक्रम पूज्य झूले लाल मंच बीच मैदान पर अमर शहीद सन्त कँवर मिशन द्वारा आयोजित किया गया। सिन्धी समाज सेन्ट्रल पंचायत के मुखिया वरियल दास नानवानी ने कहा कि सन्त कँवर राम साहिब ने अपना सारा जीवन मानवता व भक्ति में समर्पित कर दिया, हम उनमे शहादत दिवस पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सिन्धी काउंसिल ऑफ इण्डिया के प्रदेश महासचिव व सिन्धु सेवा समिति के उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री दर्जा प्राप्त अमृत राजपाल ने कहा कि सन्त सन्त कँवर राम साहिब के जीवन से हम सब को प्रेरणा लेते हुये देश समाज के प्रति अपना दायित्व निभाना चाहिए व उन्होंने कहा कि सन्त कँवर राम साहिब ने अपने भक्ति व संगीत से मृतक बच्चे को भी जीवित किया था। उन्होंने अपना सारा जीवन निर्धन, असहाय, फकीरों की सेवा में लगाते हुये भक्ति की अटूट गंगा बहायी थी।इसी तर्ज पर शुक्रवार रात्रि 10 बजे 1 नवम्बर राम नगर कालोनी के बीच मैदान पर बने प्रभु झूलेलाल मंच पर सन्त कँवर साहब की विशाल प्रतिमा पर पुष्पांजलि देकर एवं 1100 मोमबत्तियाँ जलाकर अयोध्या नगर को सैकड़ों महिलाओं पुरुषों, नव जवानों व वृद्ध जनों ने सामूहिक रूप से अश्रुपूरित दो मिनट की श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन सिन्धु सेवा समिति के महा सचिव जी0पी0 क्षेत्रपाल द्वारा दिया गया। सिन्धु सेवा समिति के अध्यक्ष मोहन मन्ध्यान ने कहा कि जिसमें उन्होंने सन्तजी के जन्म से लेकर शहीद होने तक का वृतान्त विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि सन्त कँवर राम साहब का जन्म सिन्ध प्रान्त के सक्खर जिले की तहसील मीरपुर गायेलों को जरवार गांव में 13 अप्रैल 1885 को हुआ था उनके पिता का नाम ताराचन्द एवं माता का नाम तीर्थबाई था, सन्त जी का जीवन अत्यन्त ही साधारण एवं सन्त प्रवृत्ति का था।
ऐसे सन्त जन को कुछ पापियों ने सिन्ध प्रान्त को ‘एक स्टेशन पर बैठे सन्त कँवर राम का पैर छूकर आशीर्वाद मांगा कि हम जिस कार्य हेतु निकले है उसमें कामयाब हो जाये। सन्त जी ने उनके सर पर हाथ रखकर कार्य सफल होने का आशीर्वाद दिया, ज्यो ही ट्रेन स्टेशन से आगे बढ़ी उन दरिन्दों ने बन्दूके निकाल कर संत जी का सीना गोलियों से छलनी कर दिया, यह समय था राम 10 बजे का सन्त जी की मृत्यु का समाचार सुन पूरे सिन्ध प्रान्त में हाहाकार मच गया कई दिनों तक सिन्ध प्रान्त के वासियों के चेहरों पर मायूसी छाई रही इसी कारण प्रत्येक 1 नवम्बर को रात 10 बजे का समय समस्त सिन्धी जनों के लिए मायूसी एवं मातम भरा होता है।
इस मौन श्रद्धांजलि के कार्यक्रम में सेन्ट्रल पंचायत के मुखिया वरियल दास नाववानी के साथ मुखिया भीमन दास माखेजा, मुखिया धर्मपाल रावलानी, सिन्धु सेवा समिति उपाध्यक्ष अमृत राजपाल, राकेश तलरेजा, मुखिया हरीश मंध्यान मुखिया हरीश मंध्यान, मुखिया राज कुमार मोटवानी, मुखिया अशोक मन्ध्यान, दीप चन्द्र भारतीय तथा सिन्धु सेवा समिति के अध्यक्ष मोहन मन्ध्यान व संरक्षक गिरधारी चावला व ओम प्रकाश अंदानी एवं समिति के सदस्यों में प्रमुख रूप से कैलाश साधवानी, मनीष मन्ध्यान, सोना अन्दानी, विकास आहूजा, पुरुषोत्तम दासवानी नरेन्द्र क्षेत्रपाल, सौरभ लखमानी, कैलाश, सुखदेव दास लखमानी, भोजराज साधवानी, गनेश राहेजा, रूपचन्द राहेजा, सुखदेव साधवानी, सुरेश तलरेजा, नानकराम सेहता, विजय लखमानी, संतोष रायचन्दानी, सुमित माखेजा तथा के साथ-साथ सांई टेऊं दरबार के संत साँंई महेन्द्र कुमार व सैकड़ों महिलाओं के साथ नगर के गणमान्य नागरिक, धनेश बजाज, अर्जन दासवानी, बल्देव आडवाणी, सुनील रामानी, हरीश मन्ध्यान आदि लोग मौजूद थे।

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