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वैश्विक महामारी से निजात के लिए स्वदेशी परंपराओं कोअपनाना होगा : प्रो. ए.डी.एन. वाजपेई

-अविवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय आर्थिक अधिवेशन का हुआ समापन

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं फाइन आर्टस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गाँधी-अम्बेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया एवं पं. दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय आर्थिक अधिवेशन का आयोजन आफलाइन एवं ऑनलाइन किया गया। राष्ट्रीय आर्थिक अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अटल बिहारी वाजपेई, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. वाजपेई ने बताया कि आज की वैश्विक महामारी से निजात के लिए हमें अपनी स्वदेशी परंपराओं को अपनाते हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को अपनाना होगा।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. पी.के. घोष बताया कि यदि हमें अपनी अर्थव्यवस्था को संरक्षित करना है और बदलते हुए परिवेश में विकास की गति को बढ़ानी है तो हमें वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप सुरक्षा मानकों के साथ स्थानीय कुटीर उद्योगों को सृदृढ़ करना होगा। इसी क्रम में आई.आई.पी.ए. नई दिल्ली के प्रो. पी.के. चौबे, प्रो. प्रह्लाद कुमार तथा अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पी.के. सिन्हा रहे। इस सत्र में डा. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ के डा. राशि सिन्हा ने अधिवेशन से संबंधित पूरी रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आशुतोष सिन्हा एवं लोकल आयोजन सचिव डा. प्रिया कुमारी ने किया।

दो दिवसीय राष्ट्रीय आर्थिक अधिवेशन के समापन सत्र के पूर्व प्रथम व्याख्यान एवं तकनीकी सत्र में 18 शोध पत्र शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत किये गये। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. एन.एम.पी. वर्मा पूर्व कुलपति, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ ने किया। सह अध्यक्ष के रूप में हेमवंतीनंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के एम.सी. सती तथा एमिटी यूनिवर्सिटी की रिसर्च डायरेक्टर प्रो. अल्पना श्रीवास्तव ने किया। रिपोर्ट लेखन का कार्य के. के. सी. पी. जी. कालेज, लखनऊ की डा. भारती पाण्डेय एवं नैनीताल की डा. शोभा जैन ने किया। इस सत्र का सार यह रहा कि यदि हमें समावेशी विकास करना है तो हमें विपन्नों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना होगा। इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. ए.के. तोमर, प्रो. आशुतोष सिनहा, प्रो. के.एन. भट्ट, प्रो. इन्दु पाण्डेय, प्रो. प्रशांत अग्रवाल, प्रो. बी.डी. शर्मा, डा. प्रदीप कुमार त्रिपाठी आदि रहें। द्वितीय व्याख्यान एवं तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश में आत्मनिर्भरता की विकासात्मक प्रासंगिकता विषय पर जयपुर के प्रो.सुबह सिंह यादव ने वाराणसी के डा. अनूप कुमार मिश्रा के साथ सत्र का शुभारम्भ किया। इस सत्र में विभिन्न प्रांतों के 15 शोधार्थियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस सत्र का सार यह रहा कि वर्तमान कोविड-19 की समस्या के दृष्टिगत हमें स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं बेहतर जीवन के अवसर उपलब्ध कराने के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु शिक्षित एवं प्रशिक्षित किया जायेगा। जिसमें सरकारी नीतियाँ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी।

तृतीय सत्र भारत में अनौपचारिक क्षेत्र लघु एवं मध्यम उपक्रम विषय पर लखनऊ के डा. भूपेन्द्र तिवारी एवं बरेली विश्वविद्यालय के डा. अंग्रेज सिंह राना ने सत्र का संचालन किया। इस सत्र में 30 शोधार्थियों द्वारा अपने शोध पत्र की प्रस्तुति की गई। जिसमें प्रमुख रूप से हरियाणा की डॉ. मनमीन कौर, अलीगढ़ के डा. साहेब सिंह, वाराणसी के डॉ. जगदीश सिंह तथा उत्तराखण्ड के नन्दन सिंह विष्ट आदि के साथ अन्य लोगों ने भी अपने शोधपत्र की प्रस्तुति की। तकनीकी सत्र चार में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड में रोजगार के अवसर तथा श्रमिकों के पलायन विषय पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. जगदीश नारायण के साथ अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. मृदुला मिश्रा ने सत्र का संचालन किया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में आई.आई.एम. लखनऊ के प्रो. वी.के. मोहन्ती ने विशेष अभिभाषण प्रस्तुत किया और यह बताया कि श्रम पलायन आन्तरिक हो या वाह्य त्याग और अवसर एक साथ आता है। हमें अवसरों को उपलब्धियों में बदलना होगा तभी अर्थव्यवस्था का विकास हो सकता है। इस सत्र में प्रमुख रूप से गोपेश्वर के डा. शिव कुमार लाल बरेली विश्वविद्यालय के श्री रामरतन वाराणसी के डॉ. अनूप कुमार मिश्रा आदि के साथ विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अपने विचार रखें। इस सत्र में रिपोर्ट लेखन का कार्य बहराइच के डा. राजबीर सिंह ने किया। राष्ट्रीय अधिवेशन में विभिन्न शीर्षकों से सम्बन्धित खुले सत्र का भी आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न प्रकार के शोधार्थियों एवं विषय विशेषज्ञों के द्वारा विस्तृत चर्चा परिचर्चा की गई और यह निष्कर्ष निकाला गया कि हमें स्थानीय अर्थव्यवस्था का सृदृढ़ करना होगा।

16वें राष्ट्रीय अधिवेशन के संयोजक प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिवसीय इस अधिवेशन में 9 समानांतर तकनीकी सत्रों एवं शीर्षक से संबंधित 3 विशिष्ट व्याख्यान सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें कोविड-19 सुरक्षा मानकों के दृष्टिगत सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ प्रतिभागियों को स्वामी विवेकानन्द प्रेक्षागृह, सेमिनार हाल अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं संत कबीर सभागार में आफ लाइन एवं आन लाइन मोड में शोध पत्रों को प्रस्तुत करवाया गया। प्रतिभागियों को निर्धारित संख्या के मानक के अनुसार विभाजित करते हुए अधिवेशन को समान्तर करवाया गया।

अधिवेशन में यूपिया के कार्यकारिणी के गणन से संबंधित विभिन्न पदों पर चयन किया गया जिसमें प्रमुख रूप से एसोसिएशन प्रेसीडेंट के पद पर आई.एच.डी नई दिल्ली को प्रो. रवि श्रीवास्तव को अध्यक्ष बुंदेलखण्ड विश्व विद्यालय झांसी के प्रो. सी.बी. सिंह को उपाध्यक्ष, डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव को महासचिव तथा बुलंदशहर के डा. दुष्यंत कुमार को कोषाधिकारी के पद पर चयनित किया गया। इसके उपरांत अधिवेशन में संस्कृति समागम विष्ज्ञय पर संगीत एवं अभिनय कला विभाग द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। जिसमें विभिन्न प्रांतों के लोकनृत्य एवं लोकगीतों की झलक में उपस्थित जन समूह को आहलादित कर दिया।

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