कबीरदास के विचार आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय : असंगदेव

by Next Khabar Team
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-श्रीरामवल्लभाकुंज जानकीघाट प्रांगण में सत्संग कथा का चौथा दिन

अयोध्या। संत कबीर के किसी बात में हिंसा नही है। एक बार अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था कि अगर किसी को सुख पाने की इच्छा हो। तो सुख कैसे मिलेगा। आज साधु-संयासी, गृहस्थ सुख ढूढ़ रहे हैं। सभी बचपन से बुढ़ापे तक सुख ही सुख ढूढ़ते हैं। ढूढ़ते-ढूढ़ते उनका जीवन बीत जाता है। लेकिन सुख नही मिलता है। उक्त सारगर्भित उद्गार राष्ट्रीय संत असंग देव महाराज ने व्यक्त किए। वे श्रीरामवल्लभाकुंज जानकीघाट प्रांगण में चल रहे अमृतमयी सुखद सत्संग कथा के चतुर्थ दिवस श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जितनी भी भौतिक उपलब्धियां हैं।

वह सिर्फ जीवन निर्वाह करने के लिए सरलता प्रदान करते हैं। लेकिन सुख न वस्तुओं से, न मकान और न गाड़ी से है। सुख को शरीर, मन व आत्म तीन भागों में बांटा गया है। यदि मन को सुख चाहिए। तो विवेकवान बनें। आत्मा की शांति के लिए श्रद्धावान बनो। श्रद्धावान को आत्म शांति मिलती है। शब्द हमें सुख और दुख देते हैं। संत कबीर कहते हैं कि शब्द बहुत बड़ी चीज है। जिन्होंने शब्द पर विवेक किया एवं विवेक शब्द बोले। तो उनका सब कार्य पूर्ण हो जाता है। जिनको शब्द की साधना करना आ गया। वह बहुत आगे जाते हैं। राष्ट्रीय संत ने कहा कि भले ही हमारे घर छोटे हों। लेकिन हमारा दिल बड़ा होना चाहिए। जब तक मनुष्य दूसरे की संवेदना व दर्द को नही समझता। दूसरे के भावों को नही पढ़ता है। तब तक उसका कल्याण संभव नही है। एक दिन सभी को वृद्ध होना है। अपने बुजुर्गों का आदर करें।

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जिनके घर में बुजुर्गों का आदर नही है। वह घर, घर नही है। घर में बुजुर्गों की ही मौजूदगी से हमारी भव-बाधाएं दूर होती हैं। उनका पुण्य-प्रताप हमारे लिए कवच-कुंडल का कार्य करता है। जिसके घरों में बुजुर्गों की सेवा होती हैं। वहां देवी-देवताओं का वास होता है। उस घर पर गुरुओं की विशेष कृपा होती है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। वह खूब पढ़-लिखकर आगे बढ़े। अपने देश, प्रदेश, जिले व कुल का नाम पूरी दुनिया में रोशन करें। हृदय रूपी तराजू से पहले तौलिए। तब अपने मुख से वाणी निकालिए। लेकिन कभी झूठ न बोलिए। सदैव सत्य के मार्ग पर चलें।

इस अवसर पर श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास, वैदेही भवन महंत रामजी शरण, कबीर मठ जियनपुर के महंत उमाशंकर दास, कार्यक्रम प्रभारी प्रवीन साहेब, हरीश साहेब, शील साहेब, रवींद्र साहेब, वासुदेव यादव, नीरज वर्मा, निर्मल वर्मा आदि उपस्थित रहे। सुखद सत्संग कथा का पंडाल खचाखच श्रद्धालुओं से भरा रहा। बड़ी संख्या में भक्तगण अमृतमयी सत्संग का श्रवण कर अपना जीवन धन्य बना रहे थे।

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