यूपी में इस बार 138 लाख हेक्टेयर भूमि पर होगी रबी की बुआई : सूर्य प्रताप शाही

by Next Khabar Team
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-कृषि मंत्री ने किया किसान मेले का शुभारंभ, कृषि उत्पादों के लगाए गए 91 स्टाल

अयोध्या। केंद्र एवं राज्य सरकार की नीतियों को समय से किसानों तक पहुंचाया गया जिससे किसानों में समृद्धि आई और वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर खड़े हैं। सरकार ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की संकल्पना की है जिसे किसानों की मेहनत और उनकी उत्पादन क्षमता से प्राप्त किया जा सकता है। हम सभी को मिलकर विकसित भारत बनाने जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए कार्य करना होगा। उत्तर प्रदेश में इस बार 138 लाख हेक्टेयर में रबी की फसल लगाई जाएगी। सरकार ने किसानों के बिजली बिल को माफ करने का कार्य किया है।
यह बातें कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती मैदान में आयोजित दो दिवसीय राज्यस्तरीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर कही। मंत्री शाही ने कहा कि दलहन व तिलहन की फसलों पर सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। दलहन और तिलहन की फसलों को इस बार बढ़ाना है, इसके लिए सरकार के द्वारा बीज के रूप में निशुल्क मिनी किट दिए जा रहे हैं जिससे किसानों की पैदावार को बढ़ाया जा सके।

उपकार की परियोजनाओं से किसानों में आई समृद्धि- डा. संजय सिंह

विशिष्ट अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ के महानिदेशक डा. संजय सिंह ने कहा कि उपकार सभी कृषि क्षेत्र में अऩुसंधान एवं विकास को तेजी के साथ बढ़ावा दे रहा है जिससे कि किसानों को नवीनतम तकनीकों का लाभ मिल सके। उपकार की परियोजनाओं से किसानों की आय में लगातार वृद्धि हो रही है। कहा कि किसानों के प्रशिक्षण और सहायता के लिए उपकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसके लिए आर्थिक रूप से भी व्यवस्था उपलब्ध करा रहा है।

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डा. संजय सिंह ने कहा कि विकसित भारत 2047 के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी का लक्ष्य विकसित उत्तर प्रदेश बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। हमारे देश एवं प्रदेश का किसान सशक्त बनेगा तो विकसित भारत के लक्ष्य को हम आसानी से हासिल कर सकते हैं। किसानों को सरकार की नीतियों और लाभकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। समस्त कृषि विश्वविद्यालयों के विकास एवं किसानों की समृद्धि के लिए उपकार की तरफ से दर्जनों परियोनाएं मुहैया कराईं गईं हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अबतक 200 से अधिक प्रजातियां विकसित कर चुका है और आगे भी करता रहेगा। इन पर्जातियों से पूर्वांचल सहित देशभर के किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

उत्पादन बढ़ाने के लिए खेतों समतलीकरण करें किसान- कुलपति

किसान मेले की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने लिए कृषि को सशक्त बनाना होगा।विचारों और अपने लक्ष्य को ऊंचा करने की जरूरत है। कहा कि छह वर्षों में विवि का कायाकल्प हो सकता है तो 22 वर्षों में तो हम सभी मिलकर एक नया उत्तर प्रदेश बना सकते हैं। इसमें सबकी सहभागिता जरूरी है। कुलपति ने कहा कि देश की उत्पादकता को क्षमता के हिसाब से बढ़ाना होगा और खेती में विविधिकरण लाना होगा।

उन्होंने कहा किसानों को दलहन व तिलहन की फसल के साथ अन्य फसलों का भी प्रयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि किसान अपने फसल चक्र में तीन से चार फसल लें जिससे कि अधिक उत्पादन के साथ-साथ किसानों की आय भी दोगुणी हो सके। किसान खेतों का समतलीकरण कर 30 प्रतिशत तक अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। किसानों को रोग प्रतिरोधक एवं उच्च गुणवत्ता वाली बीजों को प्रयोग करना होगा।

विवि ने प्राकृतिक एवं जैविक खेती का मॉडल तैयार किया है। वर्तमान समय में किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की तरफ ध्यान देना होगा। कुलपति ने कहा कि विवि में 17 नए डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत हुई है जिसमें प्रशिक्षण लेकर ग्रामीण कृषि में एक नया स्टार्टप शुरू कर सकते हैं। मेले के शुभारंभ से पूर्व सभी अतिथियों ने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

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कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महादनिदेशक डा. संजय सिंह, कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह व अन्य अतिथियों ने जलभरो कार्यक्रम प्रस्तुत कर मेले का उद्घाटन किया। छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया। निदेशक प्रसार डा. रामबटुक सिंह के संयोजन किसान मेला आयोजित किया जा रहा है। कृषि अधिष्ठाता डा. डी.के. सिंह सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। किसान मेले का संचालन डा. सीताराम मिश्रा ने किया।

मोटे अनाज एवं प्राकृतिक खेती के उत्पादों की जमकर हुई खरीदारी

कृषि विज्ञान केंद्र गाजीपुर द्वारा लगाए गए मोटे अनाजों के स्टाल पर किसानों की कतारें लगी रहीं। मोटे अनाज से होने वाले लाभ के बारे में किसानों की जिज्ञासाएं साफ झलक रहीं थीं। इसके बाद तैनात वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जे. पी. सिंह ने बताया कि मोटे अनाजों से बने सावा की चकरी, रामदाने का लड्डू, बाजरे की मठरी, गडुआ के लड्डू बनाए गए हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है।

इस स्टाल पर मोटे अनाजों से संबंधित जौ, रामदाना, मक्का, मडवा, सांवा, काकुन, बाजरा, पर्ल मिलेट आदि के बीज भी किसानों के लिए उपलब्ध है। मोटा अनाज मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। सरकार भी इस वर्ष को मिलेट वर्ष के रूप में मना रही है। वैज्ञानिक डॉ शशांक सिंह ने बताया कि पर्यावरण के बदलाव में भी मोटे अनाजों का उत्पादन अच्छा रहता है। मोटे अनाजों से बने उत्पादों की किसानों ने खरीदारी की।

मछली के कटलेट व आचार का स्वाद चखने को लगी भीड़

मात्स्यिक महाविद्यालय द्वारा रोहू मछली से बने कटलेट किसानों के लिए चर्चा का विषय बना रहा। यही नहीं इसके खाने से स्वास्थ्य को भी अधिक फायदा हाता है। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. सी.पी सिंह ने बताया कि मछली के अचार खाने से हार्टअटैक का खतरा कम हो जाता है साथ ही आंखों की रौशनी भी अच्छी रहती है। इसके कांटे को निकालकर पहले कीमा बनाया जाता है उसके बाद खुशबूदार मसालों के साथ इसे तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि मेले में किसानों और छात्रों द्वारा लगभग 20 हजार रुपये की खरीदारी की गई है।

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टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधों पर बढ़ा किसानों का झुकाव

इस बार किसान मेले में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा टिश्यू कल्चर विधि से तैयार जी-9 केले की पौध किसानों की पसंद बनी रही। यह प्रजाति पूरे देशभर में प्रचलित है। विभागाध्यक्ष डा. नवाज खान ने बताया कि यह पौधा वायरस फ्री होता है और इसमें प्रजाति का मिश्रण नहीं होता है। इस पौधे में लगभग 10 महीने के बाद फल आने लगता है।

डा. नवाज ने बताया कि इस केले की मांग किसानों के बीच में सबसे अधिक है इसलिए इसकी पैदावार अधिक की जा रही है। स्टाल पर लगे डा. दिवाकर व डा. अश्विनी कुमार बताते हैं कि केले की यह प्रजाति किसानों की पहली पसंद है और किसान मेले में यह पौधा मात्र 18 रुपये में विक्रय किया जा रहा है। इस पौधे की लंबाई (मध्यम) 6.5 से 7.5 फिट की होती है।

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