चकरनगर के ये बीहड़ी गांव बन रहे शैक्षणिक-सांस्कृतिक केंद्र, ऐसे हो रहा बदलाव

by Next Khabar Team
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चंबल आश्रम अपने आयोजनों से यहां बदलाव की ऐतिहासिक इबारत लिख रहा

चकरनगर।  बिलौड़ और चौरैला के बीहड़ शैक्षणिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र बनते जा रहे हैं. एक दशक पहले इन बीहड़ों का नाम सुनते ही लोग कांप जाया करते थे. दिन के उजाले में स्थानीय भी यहां जाने से कतराते थे. इन भरखों में तमाम कुख्यात दस्युओं का साम्राज्य रहा है जो यहीं से अपनी हुकुमत चलाते रहे हैं. जहां कभी गोलियों की तड़तड़ाहट, चीखें और बारूदों की गंध थी. वहीं अब नौनिहालों के खेलकूद की आवाजे यहां की फिजाओं में तैर रही है. त्रासदी ही कही जा सकती है यह पूरा अंचल हर तरह से पिछड़ गया. अब बदली परिस्थियों में यहां की ताजा आबो हवा में आवाजाही शुरू हुई है. चंबल आश्रम अपने आयोजनों से यहां बदलाव की ऐतिहासिक इबारत लिख रहा है।

चंबल आश्रम, हुकुमपुरा ने विश्व अहिंसा दिवस को यादगार बनाया. इस दौरान संविधान मित्र आदिल खान ‘बच्चों के अधिकार’ विषय पर मौलिक अधिकार बताते हुए कि बच्चों के अधिकारों का संदर्भ लेते हुए कहा कि उचित माहौल से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक विकास होगा. इसी दौरान बच्चों का कौशल उभारने के लिए विभिन्न गतिविधियां की गई. जिसमें बीहड़ में मौजूद संसाधनों से आशु कृतित्व प्रतियोगिता में पांच वर्ष से 14 वर्ष के लड़कियों ने दस मिनट में मनमोहक आश्चर्यचकित करने वाली कलाकृतियां बनाई. जैसे मूंज और दाब से बने मोर, सांप, तोता, झाड़ू, रस्सी, छाता, जूना आदि उकेरा. वहीं लड़कियों ने लोकनृत्य कर आजादी की सांस ली।

बीहड़ों के बीचो-बीच चंबल क्रिकेट क्लब और रामपुरा क्रिकेट क्लब के बच्चों के बीच आठ ओवर का क्रिकेट मैच हुआ. क्रिकेट मैच का उद्घाटन चंबल परिवार के संयोजक चन्द्रोदय सिंह चौहान ने किया. रामपुरा क्रिक्रेट क्लब विजयी रही. मैन आफ द मैच सन्नी रहे. आयोजन समिति की तरफ से विजेता और उप विजेता टीम को ट्राफी प्रदान की गई।

चंबल अंचल में आई भयानक बाढ़ और बारिश दिनों में यहां के बीहड़ी गांव टापू बनकर अलग-थलग हो जाते हैं. लिहाजा बाढ़ पीड़ित नौनिहालों को विविधत पढ़ाने का कार्य शुरू किया था. जिसे नाम दिया गया ‘चंबल विद्यापीठ’. चंबल विद्यापीठ निःशुल्क तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है. कुख्यात दस्यु प्रभावित रहें इन बीहड़ी गांवो में विविध शिक्षा तकनीक-कौशल के जरिए चंबल विद्यापीठ एक प्रकाशपुंज बन रहा है. पढ़ाई लिखाई में बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को आयुर्वेद पर्यटन के नोडल अधिकारी डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने पुरस्कृत किया. इस दौरान क्रांतिकारी दस्तावेजी लेखक डॉ. शाह आलम राना, शरद प्रकाश, देवेन्द्र सिंह, विनोद सिंह गौतम, धर्मेंद्र भाटिया सहित स्थानीय लोग मौजूद रहे

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