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डाक टिकट के पीछे छिपी है एक कहानी : पी.के. सिंह

– डाक टिकट अमूल्य दस्तावेज, विद्यार्थियों ने बताया विजन फार इंडिया 2047

अयोध्या। सोशल मीडिया के क्रान्ति युग में आज की युवा पीढ़ी में पत्र लेखन के प्रति रुचि कम होती जा रही है एवं केवल प्रतियोगी परीक्षा के लिए छात्र पत्र लेखन का अभ्यास करते है जबकि पूर्व में एक-एक शब्द पर गहनता से विचार करके हृदय के उद्गारों को पत्र पर लिखा करते थे जो पाठक के हृदय को भाव विभोर कर दिया करता था। पत्र लेखन के लिए शब्दो का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है जबकि आज कल बहुत ही संक्षेप में लोग अपनी बात करते व लिखते हैं। यह विचार कनौसा कान्वेंट स्कूल, अयोध्या में ढाई आखर प्रतियोगिता के अंतर्गत “विजन फार इंडिया 2047“ को गति देने के उद्देश्य से मुख्य अतिथि प्रवर अधीक्षक डाकघर अयोध्या मण्डल पी के सिंह ने व्यक्त किया ।

श्री सिंह ने कहा कि हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी छिपी है और इससे युवा पीढ़ी को रूबरू कराने की जरूरत है। वक़्त के साथ छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखने वाले ये डाक टिकट ऐसे अमूल्य दस्तावेज बन जाते हैं, जिनकी कीमत लाखों -करोड़ों में हो जाती है। श्री सिंह ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि फिलेटली को “किंग आफ हाबी व हाबी आफ किंग“ के रूप में जाना जाता है, जिसमें रूचि रखने पर अनंत विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह कर सकते हैं । श्री सिंह ने यह भी बताया कि ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता के अंतर्गत “विजन फॉर इंडिया 2047“ शीर्षक पर पत्र लिखा जाना है द्य प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी से यह जानना है कि वर्ष 2047 में वह कैसे भारत की परिकल्पना करते हैं।

साथ ही साथ उनके अन्दर देश के प्रति राष्ट्र भक्ति की भावना जागृत करते हुए सोशल मीडिया से दूर हटकर पत्र लेखन के प्रति अभिरुचि को बढावा देना है । साथ ही श्री सिंह ने यह भी बताया कि इस ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता में मूल्यांकन के आधार पर दोनों ग्रुपों में तीन तीन प्रतिभागियों को चयनित किया जाएगा जिन्हें राष्ट्रीय एवं परिमण्डल स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागी को क्रमशः 50000/-, 25000/- एवं 10000/- तथा परिमण्डल स्तर पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागी को क्रमशः 25000/-,10000/-एवं 5000/-दिया जायेगा ।

इस दौरान कनौसा स्कूल की प्रधानाचार्या लिंडा थॉमस व अध्यायपिका हेमलता ने कहा कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी के बदलते दौर में आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया को अधिक तरजीह दे रही है ऐसे में उनकी पुरानी परम्परागत संचार शैली को बरकरार रखने के लिए बच्चों को फिलेटली (डाक टिकट संग्रह) से भी जुड़ना चाहिए इससे उनका सामान्य ज्ञान भी विकसित होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सिविल की तैयारी करने वाले छात्रों को फिलेटली से जरूर जुड़ना चाहिए जिससे उन्हें सामान्य ज्ञान की परीक्षा में सार्थक साबित होगा । इस अवसर विद्यार्थियों ने लेटर बॉक्स में लिखे पत्रों को भी पोस्ट किया साथ ही डाक विभाग की कार्य शैली के गुर सीखे । इस दौरान मुख्य विपणन अधिकारी सत्येन्द्र प्रताप सिंह, अध्यापिका हेमलता, कुलदीप श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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