-डिजिटल एडिक्शन भंग कर रही एग्जाम-कंसेंट्रेशन, स्पर्श है एग्जाम परफॉरमेंस बूस्टर
अयोध्या। ब्रेन- रॉट’ को 2024 का ’ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द ईयर’ घोषित किया गया है। इसका मतलब उस स्थिति से है जब दिमाग हद से ज्यादा डिजिटल कंटेंट डकारने के चलते सुस्त हो जाता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर स्क्रॉल करते समय दिमाग में डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है, जो संतोष व खुशी की भावना पैदा करता है।
जितना अधिक स्क्रॉल , उतना ही दिमाग की डिमांड । इसी कारण यह आदत एक लत में तब्दील हो जाती है जिसके दुष्परिणाम को अब मनोविज्ञान की भाषा में दिमागी-सड़न या ब्रेन-रॉट कहा जा रहा है। एक ही समय में इंटरनेट ब्राउजिंग, मैसेजिंग, ईमेल चेक, गेमिंग आदि से दिमाग असामान्य रुप से उत्तेजित हो कर ढेर सारी डिजिटल जानकारी से ओवरलोड हो कर ब्रेन-रॉट या बर्न- आउट होकर दिमागी थकान का रूप इस प्रकार ले लेता है, जिसे कह सकते हैं दिमाग़ का दही। इस समस्या का एक ही हल है डिजिटल- कटौती या डिजिटल- उपवास ।
सोशल मीडिया पर समय सीमित करना, प्रेरक किताबे पढ़ना, शारीरिक गतिविधियां व्यायाम और योग को दिन चर्या में शामिल कर सात से आठ घंटे की नींद पूरी करना। बच्चे,किशोर व युवा हाई रिस्क ग्रुप में हैं, क्योंकि इस उम्र में विकासशील मस्तिष्क में अत्यधिक स्क्रीन टाइम से जीवन भर संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी सेहत खराब हो सकती है। प्रमुख दुष्प्रभावों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में गिरावट,रचनात्मकता या समस्या सुलझाने की क्षमता में कमी तथा भावनात्मक अस्थिरता आदि दिखतें हैं ।
ब्रेन-राट या दिमाग़ की थकान का एग्जाम एकाग्रता होता है जिससे बचने के लिये स्पर्श यानी एस पी ए आर एस की तकनीक बहुत ही सहायक है। एस का तात्पर्य स्ट्रेस-अवेयरनेस यानि तनाव के प्रति जागरूकता , पी का मतलब पाज या ब्रेक लेना, ए का संबंध एंग्जाइटी के प्रति सतर्कता,आर का मतलब रेडीनेस फॉर हेल्प यानी तनाव बढ़ने पर विशेषज्ञ सलाह लेना तथा एस का तात्पर्य सोशल मीडिया की लत को सीमित रखना शामिल है।
यह बातें पैका स्किल्स सभागार में आयोजित डिजिटल एडिक्शन व एग्जाम परफॉर्मेंस विषयक कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कही। संयोजन दीपक पाण्डेय व संयोजन संकर्षण शुक्ला ने किया।