-डेलूजनल-डिसऑर्डर करा रहा अपनों का कत्ल
अयोध्या। ब्रेन में उत्तेजक-हार्मोन डोपामिन असामान्य रूप से बढ़ जाने से दिमाग़ हवा में उड़ने लगता है तथा ब्रेन-ब्रेक कमजोर हो जाता है। इसकी बानगी जघन्य लव-ट्राएंगल क्राइम या शक जनित दम्पति-हत्या अन्य प्रेमान्ध-जनित अपराधिक कृत्य के रूप में बढ़ती ज रही है। नीला- ड्रम व पति-पत्नी असुरक्षा के व्यंगात्मक मीम्स इसकी बानगी है।
लव-बर्ड को पाने के अपराधिक कृत्य के साथ ही लिव-इन सम्बन्धो से ऊब कर छुटकारा पाने या प्यार में धोखे या बेवफाई का शक या सच भी जानलेवा-हिंसा का रूप ले रहा है। एक पूर्व पुलिस अधिकारी की पत्नी द्वारा निर्मम हत्या इसका ताज़ा घटनाक्रम है । युवाओं में ‘पति,पत्नी और वो’ का कॉम्बिनेशन जघन्य हिंसा की पृष्ठभूमि बन गया है। लव ब्रेक-अप व ब्रोकेन-हार्ट सिंड्रोम मनोदशा का दुष्प्रभाव किशोर व युवाओं के अकादमिक व कैरियर परफॉर्मेंस पर भी हो रहा है।
मनोविकार व नशे की है अहम भूमिका :
नार्सिसिस्टिक, बॉर्डरलाइन, एंटीसोशल व्यक्तित्व-विकार तथा उन्माद, मनोविदलता ,अवसाद, सब्स्टेंस-यूज डिसऑर्डर आदि से ग्रसित युवाओं में ऐसे कृत्यों पर उतारु होने की सम्भावना पहले से ही होती है, रही सही कसर पूरी कर देता है नशा व सोशल मीडिया क्योंकि इससे ब्रेन-डोपामिन बढ़कर मनोअग़वापन की तरफ जा सकता है ।
जागरूकता व मनोपरामर्श है प्रभावी :
डोपामिन हार्मोन को संतुलिन करने वाली दवाओं तथा काग्निटिव बिहैवियर थेरैपी से स्वस्थ अंतर्दृष्टि का विकास कर व्यक्ति को संयमित व सकारात्मक जीवन में पुनर्स्थापित किया जा सकता है। परिजनों की जागरूकता व असामान्य व्यवहार व नशाखोरी के मनोरोग-रूप में समझ व उपचार से किसी अप्रिय घटना से बचा जा सकता है। सामयिक-होमीसाइड जागरूकता वार्ता में डा आलोक मनदर्शन ने यह बातें संभागीय परिवहन विभाग में आयोजित मनोविकार जनित अपराध विषयक वार्तालाप में कही। वार्ता की अध्यक्षता ए आर टी ओ प्रशासन डा आर पी सिंह ने किया।