-मूड-स्टेब्लाइज़र है भाई बहन का प्यार
अयोध्या। रक्षा-बंधन पर्व मे भाई-बहन के मन में सहोदर-स्नेह या सिब्लिंग-लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन बढ़ जाता है जिससे न केवल स्ट्रेस-हार्मोन कॉर्टिसाल कम होता है, बल्कि अन्य हैप्पी हार्मोन सेराटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन की मात्रा भी बढ़ती है, जिससे स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता है जो रुग्ण-मनोवृत्तियों व स्ट्रेस पर अंकुश लगाने मे मदद गार है । स्वजनों संग घूमने फिरने व मनोरंजक गतिविधियों से संवर्धित होने वाला मनोरसायन ऑक्सीटोसिन आत्मीयता व प्यार का संचार करता है।
हंसी-ठहाके या गीत-संगीत भरे माहौल से गुंजायमान मनोदशा व विशेष व्यंजनों के सहभोज से एंडोर्फिन हार्मोन की वृद्धि से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में फेस्टिवल-यूफोरिया या पर्व मनो-आनन्द कहा जाता है। हमजोली भाई बहनो से मन की बात शेयर करने से स्वस्थ्य मनोरक्षा युक्ति का संचार होता है जिससे तनाव, अवसाद व चिंता विकार से उबरने में मदद मिलती है।
इस प्रकार रक्षा बंधन-पर्व सिब्लिंग-बॉन्ड को मजबूत करता है जो मेन्टल-हेल्थ व हाइजीन के लिये आवश्यक पहलू है, जिससे तेजी से बढ़ रहे अकेलेपन,अवसाद, एंग्जाइटी, आत्मघाती विचारों व मनोभावों पर इमोशनल ब्रेक लगता है तथा ब्रेन के मेमोरी सेंटर हिप्पोकैंपस में सुखद यादें संग्रहीत हो संतुष्टि व आत्मीयता का अहसास कराती हैं।
गिफ्ट का आदान प्रदान सिब्लिंग- लव सिंबल के रूप सुखद अहसास में अभिवृद्धि करता है । लव-हार्मोन आक्सीटोसिन का अभाव गंभीर मनोरुग्णता की तरफ ले जा सकता है क्योंकि प्यार पाना और देना मन का आवश्यक भोजन है। इस प्रकार भाई-बहन के प्यार की डोर मनोस्वास्थ्य पूरक होती है। जिला चिकित्सालय के मनोविश्लेषक डा. आलोक मनदर्शन ने रक्षाबंधन-पर्व पूर्व संध्या वार्ता में यह जानकारी दी ।