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नशे का मनोज्ञान ही है समाधान : डॉ. आलोक मनदर्शन

-टोबैको की लत से बचें युवा

अयोध्या। नशे की लत व अपराधिक प्रवृत्ति में प्रबल सह-सम्बन्ध है। परिजनों को इस बात का पता चलने में काफी देर हो जाती है कि उनका पाल्य गोपनीय नशे का शिकार हो चुका है। टोबैको के साथ ही अन्य डिजाइनर नशे की भी लत बढ़ती है जिसके दुष्प्रभाव पढ़ाई में मन न लगना, आँखों का धुधलापन व लाल होना, चिड़चिड़ापन, क्रोधित व ठीट स्वभाव,साइबर सेक्स व गेम की लत के रूप में दिख सकते है।यह बातें जिला चिकित्सालय में आयोजित विश्व धूम्र पान निषेध दिवस 31 मई की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यशाला में कही गयी जिसे डॉ आलोक मनदर्शन व डॉ रुकुम केश ने सम्बोधित किया।

नशे की लत के मनोगतिकीय पहलू को उजागर करते हुए युवा व किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ मनदर्शन ने बताया कि तम्बाकू के सेवन से ब्रेन में डोपामिन नामक मनोरसायन की बाढ़ आ जाती है और मस्ती का एहसास होने लगता है और फिर मन इसका तलबगार होने लगता है जिसे डोमामिन ड्रैग कहा जाता है तथा इसके शिकार लोगों को डोप हेड कहा जाता है।

यह सम्भावना उन लोगों में बहुत अधिक होती है जो किसी व्यक्तित्व विकार, अवसाद, उन्माद से ग्रसित होते हैं। डा. आलोक का कहना है कि यदि किशोर के व्यवहार में असामान्यता दिखने लगे तो अभिभावक उनकी गतिविधियों पर मैत्रीपूर्ण व पैनी नजर रखे। मार-पीट नहीं, अपितु प्यार से उसके नशे की लत को जानने का प्रयास करें। बेहतर पारिवारिक वातावरण तथा स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा दें। मनोपरामर्श की कॉगनिटिव थिरैपी नशे से उबारने में बहुत ही कारगर है ।

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