-साकेत महाविद्यालय के हीरक जयन्ती वर्ष में आयोजित हुआ कवयित्री सम्मेलन
अयोध्या। कवि और उसकी रचना ही श्रेष्ठ है क्योंकि वह मन को आनन्द प्रदान करती है। वास्तव में ब्रह्मा की सृष्टि रचना में छः रस होते हैं परन्तु काव्य में नौ रस होते हैं। छः रसों में कुछ अप्रिय हो सकते हैं क्योंकि मानव जीवन सुख- दुःख और अन्यान्य समस्यायों से ग्रस्त है परन्तु काव्य के नौ रस सभी को प्रिय होते हैं। इसीलिए कवि की रचना आनन्ददायक होती है और मन को सुकून देती है।श् यह बातें साकेत महाविद्यालय के विद्वान प्राचार्य प्रो दानपति तिवारी ने अपने उद्बोधन में कही।
वह साकेत महाविद्यालय की स्थापना के 75वें वर्ष हीरक जयन्ती वर्ष में आयोजित श्कवयित्री सम्मेलनश् में कहीं। महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति के मन्त्री आनन्द कुमार सिंघल ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम में चार चांद लगाते हुए आयोजकों को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के संयोजक एवं सांस्कृतिक परिषद् के अध्यक्ष डॉ असीम त्रिपाठी ने बताया कि यह अपने आप में एक अनूठा कार्यक्रम है जो महाविद्यालय के साथ सम्पूर्ण अवध क्षेत्र में पहली बार आयोजित किया गया है। कवि सम्मेलन तो प्रायः आयोजित किए जाते हैं परन्तु कवयित्री सम्मेलन का आयोजन नहीं होता। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार नारी शक्ति मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है, ऐसे में यह कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित कवयित्री एवं लेखिका डॉ सुमति दुबे जी थीं जिन्होंने कविता की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रेष्ठ कवयित्री एवं लेखिका डॉ उषा किरण शुक्ल ने इस क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करते हुए अपनी रचनाओं का सस्वर पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साकेत महाविद्यालय की पूर्व आचार्या एवं हिंदी की विद्वान् डॉ शोभा सत्यदेव ने की। उन्होंने कहा कि आज के युग में शृंगार रस के स्थान पर जीवन की सच्चाई पर आधारित कविताओं की रचना की आवश्यकता है।
कवयित्री सम्मेलन का मुख्य आकर्षण इस क्षेत्र में ख्यातिलब्ध एवं प्रतिष्ठित कवयित्रियां डॉ स्वदेश रश्मि, डॉ ऊष्मा वर्मा सजल, अर्चना द्विवेदी, कात्यायनी उपाध्याय, पूजा यक्ष और ज्योति तिवारी रहीं जिन्होंने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को अभिभूत और मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो प्रदीप खरे, डॉ अजय मोहन श्रीवास्तव, अंजलि खरे, प्रताप नारायण शुक्ल, डॉ उषा त्रिपाठी, डॉ अर्चना त्रिपाठी, रामप्रकाश दूबे, डॉ ऋत वात्स्यायन, डॉ हेमा कोठारी, डॉ नूपुर, प्रोफेसर प्रणय कुमार त्रिपाठी, प्रो शिखा वर्मा, पूनम जोशी, डॉ सरला शुक्ला, सचिव सुरभि पाल, उपसचिव श्री सुमधुर, डॉ ऋचा पाठक, डॉ निधि मिश्रा, डॉ छाया सिंह, डॉ अखिलेश कुमार, डॉ अम्बरीष श्रीवास्तव, डॉ वेदप्रकाश वेदी, डॉ रीता दूबे, डॉ पीयूष कुमार, डॉ रमेंद्र कुमार द्विवेदी, मुख्य नियन्ता डॉ बी० के० सिंह, प्रो अनुराग मिश्र, डॉ रमेश प्रताप सिंह, डॉ रामलाल विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक गण और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ बुशरा खातून और आभार परिषद् की उपाध्यक्ष डॉ नीता पाण्डेय ने व्यक्त किया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी प्रोफेसर आशुतोष त्रिपाठी ने दी।