-जिला अस्पताल के निष्प्रयोज्य वार्ड में मरीज को तालिबानी सजा देने का मामला आया सामाने
अयोध्या। जिला अस्पताल में निष्प्रयोज्य वार्ड में एक मरीज को तालिबानी सजा देने का मामला सामने आया है। वार्ड में मरीज का हाथ-पैर बेड से बांधकर जबरन लेटा दिया गया और उसके सामने भोजन से सजी थाली रख दी। वह भोजन की थाली की तरफ देखकर घंटों तड़पता रहा। आंखों से आंसू निकलते रहे। इतना सब होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन की आंखों का पानी मरा रहा। कोई भी उसे झांकने तक नहीं आया, बल्कि उसे इस कदर छिपाकर रखा गया, ताकि किसी की नजर न पड़े। चिकित्सा अधीक्षक ने भी इसे अमानवीय कृत्य बताते हुए गलत बताया है।
अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड में एक बरामदा है। बरामदे में भी आठ से 10 बेड बिछाए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर की तरफ से इस बरामदे को निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका है। सख्त हिदायत दी गई कि बरामदे में किसी भी मरीज को भर्ती न किया जाए। इस बरामदे में शनिवार को एक अज्ञात मरीज को चारों तरफ से ढक कर लेटाया गया था। पट्टियों से उसके दोनों हाथ व पैर बांधे गए थे। उसके सामने रखी गई भोजन की थाली में दाल, सब्जी व दो रोटियां थीं। वह भोजन को एकटक निहारे जा रहा था। आंखों से लगातार आंसू टपक रहे थे। उससे बात करने का प्रयास किया गया तो वह कुछ बोल भी नहीं पा रहा था।
गद्दे फाड़ रहा था इसलिए बांध दिया हाथ पैर
अस्पताल में मिली जानकारी के अनुसार भर्ती मरीज को श्रीराम चिकित्सालय से जिला अस्पताल पहुंचाया गया था। उसे ई-रिक्शा से यहां लाया गया था। कहते हैं कि मानसिक रूप से बीमार था। गद्दे व चद्दर फाड़ रहा था। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी ने शुक्रवार को राउंड के दौरान पीड़ित को दर्शन नगर स्थित मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में रेफर करने के लिए कहा था, संभवत: स्टाफ ने यह नहीं किया। आरोप है कि दोबारा पीड़ित पर किसी की नजर न पड़े। इसलिए स्टाफ ने पीड़ित को निष्प्रयोग बरामदे में हाथ-पैर बांधकर लेटा दिया, क्योंकि वहां कोई भी राउंड करने नहीं जाता।
किसी का हाथ-पैर बांधना गलत : डॉ. अजय
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि बरामदा तो निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका है। वहां किसी भी मरीज को भर्ती ही नहीं करना चाहिए था। इसके साथ ही किसी का हाथ पैर बांधना गलत है। स्टाफ ने बताया कि किसी संस्था से भी बात की गई थी, लेकिन कोई आया नहीं। हालांकि स्टाफ को चेतावनी दी गई है।
मुझे सुबह जानकारी मिली थी कि कोई मरीज गद्दे फाड़ रहा था। भागने की कोशिश कर रहा था। उसे रेफर तो करना ही था, लेकिन कोई एंबुलेंस वाला नहीं आया। उसके कृत्यों को देखकर उसका हाथ-पैर बांधना ही सही था। उसे मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में रेफर कराया जा रहा है।
-डॉ. राजेश सिंह, प्रभारी सीएमएस, जिला अस्पताल।
ब्लड बैंक की लापरवाही, मरीज को दे दिया गलत ग्रुप का ब्लड
अयोध्या। जिला चिकित्सालय में एक बार फिर लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। भर्ती मरीज को ब्लड बैंक कर्मियों ने गलत ग्रुप का ब्लड दे दिया। मामला सामने आने के बाद अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार, मसौधा ब्लाक के खानपुर निवासी महेंद्र प्रताप सिंह की पुत्री श्रेया सिंह का उपचार जिला अस्पताल में चल रहा था। उसे ए-नेगेटिव ब्लड की जरूरत थी। परिजनों के मुताबिक ब्लड बैंक से श्रेया के लिए ब्लड लिया गया, लेकिन बिना मिलान जांच के उसे ए-पॉजिटिव ब्लड दे दिया गया।
घटना के समय ब्लड बैंक में सीनियर लैब टेक्नीशियन सचिन तिवारी व लैब टेक्नीशियन बलराम वर्मा की ड्यूटी थी। मरीज के परिजन ने बताया कि जब वे ब्लड लेकर वार्ड में पहुंचे और स्टाफ नर्स को दिया, तो नर्स ने ब्लड ग्रुप गलत होने की बात कही। तत्काल मौके पर मौजूद ईएमओ आशुतोष प्रताप सिंह ने ब्लड वापस करने की सलाह दी।
मरीज के पिता जब ब्लड लेकर ब्लड बैंक पहुंचे, तो वहां ड्यूटी पर मौजूद कर्मियों ने उनसे अभद्रता की और कथित रूप से पैसे की मांग की। परिजनों ने आरोप लगाया कि विरोध करने पर कर्मचारियों ने गाली-गलौज व हाथापाई भी की।
मामले को लेकर मरीज के पिता महेंद्र प्रताप सिंह ने नगर कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जब इस संबंध में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजेश सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया जो भी कर्मचारी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।