अयोध्या। राम मंदिर के भूतल में स्वर्ण जड़ित दरवाजों को लगाने का कार्य शुरू हो चुका है। गर्भगृह के मुख्यद्वार पर लगा दरवाजा स्वर्ण जड़ित हो गया है। स्वर्ण जड़ित दरवाजे में की गई नक्काशी मंदिर की भव्यता को आकर्षक बनाएगी यह दरवाजे सीसीटीवी व सुरक्षा कर्मियों की निगरानी में लगाए जा रहे हैं। बता दें पर राम मंदिर के भूतल पर 14 स्वर्ण जड़ित दरवाजे लगाए जाने हैं।
21 जनवरी को रात्रि में होगा रामलला का शैय्या अधिवास
जनवरी को रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व उनके विग्रह की जीवन कारक द्रव्यों के अलावा शैय्या अधिवास की विशेष योजना बनाई गई है। इस प्रक्रिया में रामलला को शीशम केे नवनिर्मित पलंग पर शयन कराया जाएगा। ट्रस्ट ने इस पलंग को अयोध्या में ही निर्मित कराया है। इसके अलावा भगवान के लिए गद्दा, रजाई, चादर व तकिया भी खरीदे गए हैं वस्त्र भी तैयार हैं।
इसी अधिवास के दौरान कुश से भगवान के ह्दय काे स्पर्श कर न्यास वाचन कर संबंधित पूजन प्रक्रिया भी संपन्न कराई जाती है। बाद में सुबह उन्हें विधिवत जागरण कराने के बाद सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाता है। शैय्या अधिवास 21 जनवरी को रात्रि में होगा। 22 को मध्य दिवस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा होगी। वाराणसी से आए वैदिक आचार्यों के अनुसार सिंहासन (आसन) पर पहले कूर्म शिला व स्वर्ण से निर्मित कच्छप़़, ब्रहा शिला का भी अधिवास होता है। तीन पिंडिका भी रखी जाएंगी। आचार्यों के अनुसार इसके अलावा भगवान के आसन के ठीक नीचे श्रीराम यंत्र की प्रतिष्ठा की जाएगी, जिस तरह भूमि पूजन में पांच शिलाओं के साथ अलग- अलग द्रव्य रखे जाते हैं, उसी तरह रामलला के आसन का भी पूजन किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि आसन के नीचे कुल 45 द्रव्य रखे जाएंगे। इसमें नौ रत्नों में हीरा, पन्ना, मोती माणिक्य, पुखराज व लहसुनिया, मूंगा, नीलम, गोमेद के अलावा पारा, सप्त धान्य व विविधि औषधियां हैं। यह प्रकिया पूर्ण होने के बाद नवीन विग्रह को आसान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। इसी के बाद गोघृत व शहद मिश्रण से युक्त स्वर्ण शलाका से भगवान के नेत्र उन्मीलित किये जाएंगे। भगवान को दर्पण दिखाया जाएगा। तंत्र, मंत्र व यंत्र तीन विधाओं से भगवान की अर्चना की प्रक्रिया संपन्न होगी।