-दीप-पर्व की टोन बढ़ाती है मनोहर्ष-हार्मोन
अयोध्या। दीपोत्सव के आगमन के साथ मनोरसायनिक बदलाव होने शुरु हो जाते है जिसके सकारात्मक मनोप्रभाव होते हैं। प्रकाश पर्व की सजावट व सौंदर्य हैप्पी हार्मोन इन्डार्फिन को बढाती है। परिवार में सामूहिक पूजा व आराधना से संवर्धित होने वाला मनोरसायन सेराटोनिन मूड-स्टेबलाइजर जैसा कार्य करते हुए शान्ति व सुकून का संचार करता है ।
खास परिधान व सेल्फ ग्रूमिंग,परिजनों संग आतिशबाजी व खान पान आदि से रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन में वृद्धि से मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित होती है जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में फेस्टिवल-यूफोरिया कहा जाता है। शुभकामना सन्देश, उपहार आदि के आदान प्रदान से लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन का संचार होता है जिससे खुशहाली की मनोदशा में बढ़ोत्तरी होती है। इस प्रकार दीप-पर्व चारो प्रमुख फील-गुड या हैप्पी-हार्मोन का चतुर्भुजी पर्व है जो मन के तनाव,अवसाद व चिंता विकार रूपी अन्धकार के लिये जिम्मेदार मनोरसायन कोर्टिसाल को निर्मूल कर खुशमिजाजी के प्रकाश का संचार करता है जिसका दीर्घकालिक मनोहितकारी लाभ होता है।
पर्व उत्साह हार्मोन डोपामिन जनित जुआखोरी व नशीले पदार्थों का सेवन तथा आतिशबाजी के जिम्मेदार व सावधानीपूर्ण उपयोग आदि के प्रति सतर्क रह कर डोपामिन के अन्य स्वस्थ श्रोतों से पर्व का आनंद लेने से मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है। विश्व मनोस्वास्थ्य जागरूकता पखवारा संदर्भित विज्ञप्ति में यह विश्लेषण जिला चिकित्सालय के मनोविश्लेषक डा. आलोक मनदर्शन द्वारा किया गया।