शोधार्थी को सीखने के लिए रहना चाहिये तत्पर: प्रो. संजीव शर्मा

by Next Khabar Team
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“शोध प्रविधि” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ समापन

अयोध्या। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में इन्टरनल क्वालिटी एश्योरेन्स सेल के अन्तर्गत “शोध प्रविधि” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला के समापन पर मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी, बिहार के कुलपति प्रो0 संजीव शर्मा एवं भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष मुकुल कानितकर रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में आर0एफ0आर0एफ0 संयोजक एवं वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान के डाॅ0 राजेश बेनीवाॅल एवं कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने की।
मुख्य अतिथि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी, बिहार के कुलपति प्रो0 संजीव शर्मा ने कहा कि शोध कार्यों में जितने अधिक प्रश्न होंगे उतना ही उकृष्ट शोध कार्य होगा। शोधार्थी को सीखने के लिए तत्पर रहना चाहिये। प्रो0 शर्मा ने भर्तहरि के संदर्भों का उल्लेख करते हुए बताया कि जीवन में सदैव सीखने के लिए तैयार रहना चाहिये। क्यों कि स्वयं में पूर्णता का बोध अज्ञानता की ओर ले जाता है। सदैव सीखने का भाव बने रहने से नये ज्ञान के आयाम मिलता है। भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष मुकुल कानितकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान की पाताका आदिकाल से चली आ रही है। हमारे चारों ओर ज्ञान का सूर्य प्रकाशित है और हम अंधेरे में रह रहे है। समूचे भारत वर्ष को अपनी धर्मग्रन्थों द्वारा दिखाये गये मार्गों का अनुसरण करना होगा। तभी सही मायने में शोध की वस्तुनिष्ठा प्राप्त होगी। मुख्य वैज्ञानिक राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान के डाॅ0 राजेश बेनीवाॅल ने बताया कि शोध कार्य और पी0एच0डी0 दोनों को अलग रखने की आवश्यकता है। क्योंकि पी0एच0डी0 के लिए एक निश्चित तय सीमा होती है और शोध कार्य के लिए कोई समय सीमा नही तय की जा सकती।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि शोध कार्य के लिए सीखने की क्षमता आप को विकसित करनी होगी। अवसर संस्थान प्रदान करेगा। शोध कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर आयोजित किया जाता रहेगा। गुणवत्तापरक शोध कार्यों के लिए अनुशासित एवं प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है। यदि शोध कार्य पारंपरिक मूल्यों के अनुरूप होगा तो उसमें नये ज्ञान प्रस्फुटित हांेगे। कार्यशाला में सह संयोजक डाॅ0 गीतिका श्रीवास्तव ने रिपोर्टियर प्रस्तुत किया।
कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत कुलपति द्वारा स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम भेंटकर किया गया। इस अवसर पर आर0एफ0आर0एफ0, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी, बिहार एवं अवध विश्वविद्यालय के कुलपति के बीच एम0ओ0यू0 किया गया। कार्यशाला का संचालन आई0क्यू0ए0सी0 के निदेशक एवं कार्यशाला के संयोजक प्रो0 अशोक कुमार शुक्ला द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक प्रो0 नीलम पाठक ने किया। इस अवसर पर प्रो0 एस0 एस0 मिश्र, सह संयोजक डाॅ0 नरेश चैधरी, डाॅ0 आर0 के0 सिंह, डाॅ0 सुरेन्द्र मिश्र, डाॅ0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 नीलम यादव, डाॅ0 तुहिना वर्मा, डाॅ0 अशोक राय, डाॅ0 शशि सिंह, डाॅ0 नीलम सिंह, डाॅ0 महेन्द्र सिंह, डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डाॅ0 आर0एन0 पाण्डेय, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 अनुराग पाण्डेय, इं0 आर0के0 सिंह, इं0 जैनेन्द्र प्रताप सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।
कार्यशाला के समापन के पूर्व तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान के डाॅ0 राजेश बेनीवाॅल ने कहा कि शोध कार्य भारतीय सामाजिक समस्याओं के संदर्भ में किये जाने की आवश्यकता है। शोध विषय चुनाव पर उन्होंने बताया कि सामाजिक शोध के लिए विद्यमान समस्याओं का विश्लेषण अवश्य करें। उन समस्याओं को किसी अन्य देश में किये गये शोध के मानकों को न अपनाये। क्योंकि देश एवं क्षेत्र की समस्यायें समरूप तो हो सकती परन्तु एक जैसी नहीं हो सकती है। इंजीनियर विश्वेश्वरैया के वक्तब्यों का संदर्भ लिया और कहा कि उनका मानना था कि कोई भी कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता उसे इस प्रकार संपादित करें कि जब उसे दूसरा करने आये तो लोग आपके के कार्यों से उसे सीख लेने को कहे। आर0एफ0आर0एफ0 के विषय विशेषज्ञ डाॅ0 विश्वजीत पेंडसे ने प्रतिभागियों से गु्रप चयन कर शोध शीर्षक निर्धारण कर उन्हें क्रमवार विभाजित करने एवं पूर्ण करने के लिए अलग-अलग अपनायी जाने वाली तकनीक पर परियोजना कार्य कराया। अन्य विशेषज्ञों में डाॅ0 पवन कुलकर्णी, डाॅ0 विक्रमादित्य एवं डाॅ0 प्रतीक डामा ने भी तकनीकी सत्र को संबोधित किया। कार्यशाला का संचालन सहसंयोजक प्रो0 नीलम पाठक ने किया। इस अवसर पर आई0क्यू0ए0सी0 के निदेशक एवं संयोजक प्रो0 अशोक कुमार शुक्ला, डाॅ0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 नीलम यादव, डाॅ0 तुहिना वर्मा, डाॅ0 अशोक राय, डाॅ0 नीलम सिंह, डाॅ0 महेन्द्र सिंह, डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डाॅ0 आर0एन0 पाण्डेय, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 अनुराग पाण्डेय, इं0 आर0के0 सिंह, इं0 जैनेन्द्र प्रताप सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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