-ध्वजारोहण से पहले भव्यता का नया प्रतीक बने मंदिर के चार संत-समर्पित द्वार
अयोध्या। राम मंदिर परिसर ध्वजारोहण की भव्य तैयारियों के बीच दिव्यता और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम बन गया है। गुरुवार की शाम के समय प्रकाश की सतरंगी किरणों से नहाया ‘जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य द्वार नं 11’ ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अयोध्या स्वयं एक नए स्वर्णिम युग का स्वागत कर रही हो। चारों ओर फैली रौशनी और सूक्ष्म शिल्प वाली यह भव्य संरचना रामनगरी की आध्यात्मिक शान को और ऊँचाई दे रही है।
चार संतों के नाम पर समर्पित हुए राममंदिर के चार प्रमुख द्वार
अयोध्या में राम मंदिर के चारों प्रमुख द्वार अब भारत की महान संत परंपराओं को समर्पित कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित यह नामकरण उत्तर और दक्षिण भारत के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समन्वय का अनूठा प्रतीक बन गया है।
दक्षिण द्वार – जगद्गुरु शंकराचार्य द्वार
दक्षिण-पूर्व द्वार – जगद्गुरु माधवाचार्य द्वार
उत्तर द्वार – जगद्गुरु रामानुजाचार्य द्वार
सुग्रीव किला- मार्ग प्रवेश द्वार जगद्गुरु रामानंदाचार्य द्वार
सीएम योगी ने कहा था कि यह पहल भारत की विविध दर्शन परंपराओं को एक सूत्र में पिरोते हुए “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को सशक्त करती है।
द्वारों के नामकरण से बढ़ी अयोध्या की आध्यात्मिक गरिमा
राममंदिर परिसर के चारों द्वार न केवल प्रवेश मार्ग हैं, बल्कि भारतीय दर्शन, संत परंपरा और एकात्मता की जीवित व्याख्याएँ हैं। यह वह कदम है जो विभिन्न सम्प्रदायों की महान शिक्षाओं को एक ही सांस्कृतिक धारा में जोड़ता है। इससे अयोध्या का कद और भी बढ़ा है, जो वर्षों से देश की धार्मिक और आध्यात्मिक राजधानी रही है।
ध्वजारोहण से पहले जगमगाया शंकराचार्य द्वार
आगामी 25 नवंबर को गर्भगृह के शिखर पर होने वाले ऐतिहासिक ध्वजारोहण से पूर्व पूरे परिसर में तेजी से तैयारियाँ चल रही हैं। उसी तैयारी का हिस्सा है ‘जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य द्वार’ की विशेष प्रकाश सज्जा। सतरंगी रोशनी में चमकता यह द्वार श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। देर रात भी भक्त रुककर यहां फोटो लेते और दिव्य आलोक की अनुभूति करते दिखाई दिए।
वास्तुकला और संस्कृति का संगम अयोध्या का नया रूप
द्वारों की डिजाइन, स्तंभों की संरचना, पारंपरिक नक्काशी और आधुनिक रोशनी सभी मिलकर यह संदेश देते हैं कि अयोध्या अब सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का भी वैश्विक केंद्र बन रही है। हाल ही में बृहस्पति कुंड उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने इन द्वारों के नामकरण की औपचारिक घोषणा की थी। अब यह चारों द्वार मंदिर परिसर की पहचान और भव्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।
अयोध्या धर्म, दर्शन और एकता का अनूठा संगम
राम मंदिर परिसर में स्थापित ये चार द्वार सिर्फ स्थापत्य का काम नहीं करते, बल्कि वे यह सिद्ध करते हैं कि भारत की विविध संत परंपराएं मिलकर एक ही सनातनी मूल्यों की धारा बनाती हैं। सतरंगी प्रकाश से जगमगाता शंकराचार्य द्वार इसकी पहली झलक है, जिसके माध्यम से अयोध्या दुनिया को यह संदेश दे रही है जहाँ भक्ति है, वहीं भारतीयता है। जहाँ राम हैं, वहीं एकता है।