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आत्म निर्भर भारत की प्राप्ति का लक्ष्य एक सराहनीय प्रयास : प्रो. ए.के. मित्तल

कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों से हम जनसहयोग से निपट सकते है : प्रो. रविशंकर सिंह

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा ललित कला (फाईन आर्ट्स) विभाग के संयुक्त संयोजन में  शुक्रवार को ”उत्तर-प्रदेश उत्तराखण्ड आर्थिक संघ (यू0पी0यू0ई0ए0) का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन में ’’उत्तर-प्रदेश एवं उत्तराखण्ड में रोजगार के अवसर, अनौपचारिक क्षेत्र एवं श्रमिकों का वाह्य प्रवास, भारत में अनौपचारिक एवं मध्यम, लघु तथा सूक्ष्म उपक्रमः वर्तमान स्थिति एवं संभावनाएं, समग्र विकास के प्रतिमान के रूप में एकात्म मानववाद के साथ उत्तर-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आत्म निर्भरता का विकासात्मक परिप्रेक्ष्य” विषय पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन आयोजन किया गया। राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता एवं उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने शोधार्थियों को अपना आर्शीवचन देते हुए कहा कि उन्हे अपने क्षेत्र में उत्तम कार्य करते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में कोविड-19 की विषम परिस्थिति में उत्पन्न हुई चुनौती को हम जन सहयोग के माध्यम से लोगो को जागरूक करते हुए उन्हे विकास की धारा में पुनः जोड़ सकते हैं। हमें अवसर में विभिन्न बिन्दु तलाशने होगे क्योकि हमारे देश एवं प्रदेश में विकास की बहुत सम्भावनाए हैं। हमे सरकारी नीतियों के सहयोग से उन्हे प्राप्त करना होगा और अपने जीवन को खुशहाल बनाना होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के कुलपति प्रो0 ए0 के0 मित्तल ने कहा कि कोविड-19 के दौरान श्रमिको का पलायन एक आर्थिक विभीषिका के रूप में आया जिसके कारण लोग बडे़ शहरों से अपने गाँवों की ओर पलायन कर गए। महामारी के दौरान पलायन का स्वरूप तमाम कठिनाइयों एवं दुष्वारियों को कम करने के लिए स्थानीय सरकारों, स्वंयसेवी संस्थाओं एवं सामान्य जनमानस द्वारा भी काफी सराहनीय कार्य किया गया। गाँव के स्तर पर रोजगार एवं जीविकों पार्जन का साधन उपलब्ध कराने के लिए ’’वोकल फॉर लोकल’’ का नारा दिया गया साथ ही इस विषम परिस्थिति में आत्म निर्भर भारत की प्राप्ति का लक्ष्य एक सराहनीय प्रयास रहा।

उद्घाटन सत्र में कॉन्फं्रेस प्रेसीडेंट प्रो0 प्रह्लाद कुमार ने दीनदयाल उपाध्यय जी के एकाव्य दर्शन पर बल दिया। उन्होंने केन्द्र सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर भारत को प्राप्त करने के प्रयासों पर जोर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार के पिछले 4-5 वर्षो के कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष रूप से सुवस्त्र व सुआहार प्रयास ही नही किए गए बल्कि अन्य प्रयासों पर सुधार सकारात्मक रहें। उन्होंने प्रो0 जे0 के0 मेहता की नीतियों का उल्लेख करते हुए अपने विचार रखे। प्रो0 रवि श्रीवास्तव अध्यक्ष यूपीयूइए ने अपने उद्बोधन मे एसोसिएशन के विभिन्न कीर्तिमानो का उल्लेख किया। उन्होंने संस्थापक महासचिव प्रो0 एस0 के0 मिश्रा को श्रद्धांजलि देते हुए उनके योगदान को याद करते हुए संघ की उपादेयता को दृष्टिगोचित किया और प्रासंगिता पर भी प्रकाश डाला। प्रो0 डी0के0 नौटियाल पूर्व कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल ने ’’कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भरता’’ की प्राप्ति कैसे हो इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा की एवं आपदा को अवसर के रूप में बदलने पर जोर दिया। एसोसिएशन की तरफ से इस वर्ष के कौटिल्य अवार्ड से प्रो0 प्रेम वशिष्ठ, वरिष्ठ कृषि अर्थशास्त्री दिल्ली विश्वविद्यालय को नवाजा गया। राष्ट्रीय अधिवेशन के संयोजक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशिष्ठ शैक्षिणिक शोध योगदान देने वाले को कौटिल्य पुरस्कार से सम्मानित करता है। इस वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में उक्त विषयों से सम्बन्धित विभिन्न समकालीन बिन्दुओं के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों एवं संभावनाओं पर विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया, साथ ही विभिन्न प्रकार के शोधार्थियों द्वारा विषय पर अपने शोध पत्रों की प्रस्तुति की गयी। यह अधिवेशन शोधार्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण होने के साथ वर्तमान आार्थिक संकट से निकलने के मार्ग को सुदृढ़ करते हुए बेरोजगारी की समस्या का समाधान प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बना। आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के लिए विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों द्वारा अपने मत व्यक्त किए गये जिससे उत्तर-प्रदेश की अर्थव्यवस्था अपने स्वरूप को और विकसित करने में सफल सिद्ध हुई।
तकनीकी सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में सी0सी0एस0 विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो0 एन0 के0 तनेजा, डॉ0 राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 सुबीर के0 भटनागर ने विषय से संबंधित अपना उद्बोधन ऑनलाइन मोड में प्रस्तुत किया। अधिवेशन का शुभांरम्भ मुख्य अतिथि एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया। सत्र का रिपोर्ट लेखन कार्य डॉ0 अलका श्रीवास्तव, डॉ0 सरिता द्विवेदी एवं श्रीमती सरिता सिंह द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन लोकल आयोजन सचिव डॉ0 प्रिया कुमारी द्वारा किया गया।

तकनीकी सत्र में ’’उत्तर-प्रदेश एवम् उत्तराखण्ड में रोजगार अवसर अनौपचारिक क्षेत्र एवं श्रमिकों का वाह्य प्रवास, विषय पर आई.एस.एल.ई., नई दिल्ली के महासचिव प्रो0 आई0 सी0 अवस्थी द्वारा अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया गया। द्वितीय भारत में अनौपचारिक एवं मध्यम, लघु तथा सूक्ष्म उपक्रमः वर्तमान स्थिति एवं संभावनाएं विषय पर रिर्जव बैक ऑफ इण्डिया मुम्बई के डायरेक्टर डॉ0 विनीत श्रीवास्तव द्वारा ऑनलाइन मोड से अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया गया। ’’समग्र विकास के प्रतिमान के रूप में एकात्म मानववाद के साथ उत्तर-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आत्म निर्भरता का विकासात्मक परिप्रेक्ष्य’’ पर लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो0 आई0 डी0 गुप्ता द्वारा विषय पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया गया।

अधिवेशन में लगभग सत्तर शोध-पत्र को प्रस्तुत किया गया। इसमें प्रमुख रूप से प्रो0 सी0बी0 सिंह, डीन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी, प्रो0 के0 एन0 भट्ट गोविन्द बल्लभ पन्त सोशल साइंस इस्ंटीट्यूट, प्रयागराज, प्रो0 जी0 एम0 दूबे सागर विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश, डॉ0 एन0एम0पी0 वर्मा बी0 बी0 ए0 सेन्ट्रल विश्वविद्यालय लखनऊ, प्रो0 एम0सी0 सती, एच0बी0 गढ़वाल विश्वविद्यालय गढ़वाल तथा प्रो0 अल्पना श्रीवास्तव रिसर्च डायरेक्टर एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 मृदुला मिश्रा, सुश्री पल्लवी सोनी, सुश्री रीमा सिंह, श्रीमती सरिता सिंह सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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