सिंधुपति दाहर के बलिदान दिवस पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी व गोष्ठी
अयोध्या। विश्व का पहला जौहर सिंध के राजा दाहर की पत्नी लाडी ने किया था और यह युद्धक नारा जय हरि था जो कालांतर में जौहर हो गया। विधर्मियों से नारी अस्मिता बचाने की इस परंपरा का प्रारंभ सिंधी वीर महिलाओं ने 1300 सौ साल पहले किया था। उसके बाद सिंध से सटे राजस्थान में यह परंपरा शुरू हुई। इतना ही नहीं पहला छापामार युद्ध भी सिंध में मोहम्मद बिन कासिम के खिलाफ लड़ा गया था।
इतिहास के इन महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के मुख्य नियंता प्रो. अजय प्रताप सिंह ने किया। वे आज यहां विश्वविद्यालय के अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में सिंधुपति दाहर के बलिदान दिवस पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन के पश्चात विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सिंधी भाषा के अध्ययन -अध्यापन की दिशा में केंद्र के कार्यों और कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा इस केंद्र की गतिविधियों के बाद से ही सिंधी भाषा, साहित्य और सिंध के वीर नायक-नायिकाओं को जानने समझने का अवसर मिला है।
अध्ययन केंद्र के सिंधी भाषा सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ‘सरल‘ ने सांप के मुकाबले सिंधी को पहले मारने की वास्तविक कथा बताकर सिंधी वीरों की वीरता का परिचय दिया। केन्द्र निदेशक प्रो.आर के सिंह ने बताया कि सिंधी वास्तव में वीर कौम है जो बाद में परिस्थितियों वश अब व्यापारी बन गई। इस अवसर पर सिंधी मुखिया अशोक मदान सुखी,वंतिका आहूजा,विशाल लधानी, कर्मचारी परिषद् के अध्यक्ष राजेश सिंह, आशीष मिश्रा,सुधीर सिंह, देवेश सेंगर आदि उपस्थित रहे।