पैथोलॉजिस्ट के सहारे चल रही अस्पताल की आपातकालीन सेवा

by Next Khabar Team
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-एक दर्जन से अधिक डॉक्टरों की अस्पताल में तैनाती के बावजूद भी पैथोलॉजिस्ट की लगा दी जाती है इमरजेंसी ड्यूटी

मिल्कीपुर। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र की सीमा पर स्थित 100 सैय्या संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं विगत 6 माह से पैथोलॉजिस्ट के सहारे चल रही है अस्पताल प्रशासन की नजर में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बना नियम कानून कोई मायने नहीं रखता है। बताते चलें कि जिले में पिछड़े क्षेत्र के रूप में माने जाने वाले मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र की सीमा स्थित कुमारगंज से 2 किलोमीटर दूरी पर 100 सैया संयुक्त चिकित्सालय स्थापित किया गया है जहां अब अतिरिक्त रूप से 35 बेड वाले हाल निर्माण भी पूर्ण हो चुका है।

अस्पताल में महिला चिकित्सकों सहित एक दर्जन से अधिक डॉक्टरों की तैनाती भी है। विगत 5 माह पूर्व अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट के पद पर प्रशांत कुमार की नियुक्ति भी हो गई है। अस्पताल के सीएमएस डॉ रवि पांडे ने अस्पताल में आकस्मिक सेवा पटल पर विगत कई चक्र में इमरजेंसी चिकित्सक के रूप में डॉक्टरों का रोस्टर जारी कर दिया जिसके तहत उन्होंने पैथोलॉजिस्ट को भी अस्पताल के इमरजेंसी की ड्यूटी थमा दी।

आठ – आठ घंटे का रोस्टर जारी कर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महोदय द्वारा इमरजेंसी के डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है। ऐसे में अस्पताल की आपातकालीन सेवा अब पैथोलॉजिस्ट प्रशांत भी संभाल रहे हैं। इसका खुलासा बीते रविवार को उसे वक्त हुआ जब मीडिया कर्मी प्रमुख सचिव द्वारा अस्पताल कार्यालय खोले जाने का आदेश दिए जाने के बावजूद भी अस्पताल कार्यालय में ताला बंद होने की जानकारी के बाद अस्पताल पहुंचे थे। जहां पैथोलॉजिस्ट प्रशांत अस्पताल के इमरजेंसी में मरीज का उपचार करते मिले।

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उनसे इमरजेंसी ड्यूटी करने के संबंध में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि हमारी ड्यूटी इमरजेंसी में लगाई नहीं जानी चाहिए। किंतु जब ड्यूटी लग ही रही है तो उसे करना ही पड़ेगा। इस प्रकार से क्षेत्रवासी मरीजों के साथ अस्पताल की जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। अस्पताल में अपने परिजन का इलाज कराने आए तीन तेधा निवासी राजू पासी ने कहां की अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से बदहाल है। अस्पताल में 11ः00 बजे से ही रक्त जांच पाताल बंद कर दिया जाता है।

जबकि ओपीडी का समय 2ः00 बजे तक है। यदि चिकित्सक जांच की सलाह देते हैं तो जांच पटल बंद हो जाने के चलते उनकी जांच नहीं हो पाती और उन्हें निराश होकर अपने घरों को लौटना पड़ता है। इसके अलावा अस्पताल के एक्स-रे कक्ष में एक-रे करवाने पर मरीजों को एक्स-रे प्लेट नहीं दी जाती, उनके मोबाइल में फोटो खींचकर डॉक्टर को दिखाने की सलाह एक्स-रे टेक्नीशियन देते हैं। वहीं दूसरी ओर अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर रवि पांडे ने आमजन के लिए एक्स-रे फिल्म देने हेतु टेक्नीशियन को मना कर दिया है जबकि अस्पताल में एक्स-रे प्लेट डंप पड़ी हुई है।

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