चेकिंग व रिचेकिंग का चक्र, है आवेशी-बाध्यता दुष्चक्र : डा. आलोक मनदर्शन

by Next Khabar Team
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-मानसिक स्वास्थ्य शिविर और पोषण कार्यक्रम 2025 का हुआ आयोजन

अयोध्या। चिरंजीव हॉस्पिटल एवं नर्सिंग इंस्टीट्यूट में कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. आलोक मन्दर्शन ने छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं यदि समय पर पहचानी जाएं तो उनका इलाज संभव है।ऐसे शिविरों से लोगों को सहायता मिलती है और वे खुलकर अपनी समस्याओं को साझा कर पाते हैं। चिरंजीव हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ उमेश चौधरी ने कहा, “नर्सिंग छात्र केवल मरीजों की देखभाल ही नहीं करते, बल्कि उन्हें सही जीवनशैली और आहार की सलाह भी देते हैं।

इसलिए पोषण का व्यावहारिक ज्ञान उन्हें सशक्त बनाता है। छात्रों ने पोषण पर आधारित प्रोजेक्ट व पोस्टर प्रदर्शनी में भाग लिया। उन्होंने विभिन्न आयु वर्गों के लिए संतुलित थालियों का मॉडल प्रस्तुत किया। एक प्रैक्टिकल सत्र में छात्रों को आहार चार्ट बनाना और पोषण मूल्यांकन करना भी सिखाया गया। पोषण संबंधी मूलभूत ज्ञान, आहार योजना, कुपोषण की पहचान और उसके निवारण की विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ओवर-थिंकिंग या अनचाहे विचारों से ग्रसित रहने तथा आत्मविश्वास मे कमी के कारण दिनचर्या के कार्यों में कुछ अधूरा, या गलत रह जाने की आशंका वश सामान्य-कृत्य को बार-बार दोहराने, चेक व रिचेक करने की रुग्ण मनोदशा आवेशी-व्यवहार विकार या ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर-ओसीडी कहा जाता है।

आवेशी मनोबाध्यता-विकार की यह मनोदशा स्वनिर्मित तरीके से कार्य या व्यवहार न होने पर तीव्र-उलझन व आक्रोशित व्यवहार भी उत्पन्न करती है। इस विकार से ग्रसित लोग अनचाहे शंकालु-नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं जिससे चिड़चिड़ापन व झक्कीपन व्यवहार भी इनमे दिखता है। ऐसे लोगों में सोशल-फोबिया, क्लास्ट्रोफोबिया, अगोराफोबिया, जनरलाइज्ड फोबिया, परफारमेंस फोबिया तथा पैनिक-अटैक या तीव्र- घबराहट के दौरे के भी शिकार हो सकते है।

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मूड डिसऑर्डर, डिप्रेशन व सिजोफ्रेनिया आदि सह-मनोरोग भी हो सकता है। यह बातें चिरंजीव हॉस्पिटल एवं नर्सिंग इंस्टिट्यूट में आयोजित आवेशी- व्यवहार विकार टाक-शो में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा. आलोक मनदर्शन ने बतायी। छात्रों में इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह देखा गया। नर्सिंग की छात्रा आयुषी ने कहा, “यह सत्र हमारे लिए बहुत उपयोगी रहा। अब हम न केवल अपने मरीजों को बेहतर सलाह दे पाएंगे, बल्कि खुद की सेहत का भी ध्यान रख पाएंगे।”

कार्यशाला में प्रतिभागियों के संशय व सवालों का समाधान भी किया गया जिसमें चेयरमैन डॉ० उमेश चौधरी, निदेशिका डॉ. जयंती चौधरी, रविमणि चौधरी , के.पी. मिश्र, प्रधानाचार्य डॉ विशाल अलवर्ट, रिंकी शुक्ला,गायत्री,अंकिता, सुचिता,अनुराधा,प्रीति,शिवम पाण्डेय, सहित अन्य सभी नर्सिंग स्टूडेंट मौजूद रहे।

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