-अगस्त 2023 में हो जाएगा राम मंदिर के भूतल का निर्माण
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर का निर्माण कार्य छह महीने आगे चल रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने छह माह आगे की तैयारी के अनुसार ही निर्माण कार्य की समय सीमा निर्धारित की है। ट्रस्ट पदाधिकारियों ने राम मंदिर की नींव की पहली डिजाइन फेल होने के बाद ही यह सबक लिया था। शुरुआत में मजबूत नींव के लिए सौ फिट गहराई में एक-एक मीटर व्यास के पिलर बनाने की योजना थी। इस योजना पर आगे बढ़ने से पहले इसका परीक्षण सौ फिट की एक सीध में छह पिलर बनाकर किया गया। इन पिलरों पर जब सात सौ टन का वजन डालकर वाइब्रेशन मोड में डाला गया तो दो पिलर की नींव हिल गयी और वह तिरछे हो गये थे। फिर इस योजना को छोड़कर नई स्कीम बनाई गयी।
ट्रस्ट की रणनीति के मुताबिक अगस्त 2023 में ही राम मंदिर के भूतल का निर्माण हो जाएगा। दिसम्बर 2023 में सुपर स्ट्रक्चर का दूसरा व जनवरी 2024 में भूतल के अलावा प्रथम व द्वितीय तक के स्ट्रक्चर तैयार हो जाएंगे जिससे राम मंदिर के 161 फिट ऊंचे शिखर विराजमान रामलला के दर्शन के साथ शिखर पर ध्वज पताका भी फहरा सके।
प्लिंथ और मंदिर निर्माण में जोड़ के लिए ग्रेनाइट व तांबें की कुंजी का हो रहा इस्तेमाल
-रामलला के मंदिर में प्लिंथ और मंदिर निर्माण में जोड़ के लिए मसाले के बजाय पुरातन जोड़ पद्धति के मुताबिक ग्रेनाइट और तांबें की कुंजी का इस्तेमाल हो रहा है। राम मंदिर के निर्माण को एक हजार साल से ज्यादा समय तक स्थायित्व प्रदान करने के लिए देशभर के नामचीन विशेषज्ञों ने कई महीने चिंतन-मंथन ही नहीं किया बल्कि तमाम तरह के प्रयोग भी किए गए। इस कवायद में देश के नामचीन संस्थानों के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की और भूकंपरोधी बनाने के लिए मौसम से जुड़े संस्थानों व विशेषज्ञों की मदद ली गई। 17 फीट मोटी प्लिंथ के किसी भी हिस्से में हवा और नमी न रहे इसके लिए भी पुख्ता इंतजाम किए गए। मजबूती के मद्देनजर प्लिंथ का निर्माण सबसे कठोर माने जाने वाले आंध्र और कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थर से कराया गया।
प्लिंथ निर्माण में 5 गुणा 2.5 गुणा 3 फीट आकार के कुल 17 हजार ग्रेनाइट के ब्लाक को आपस में ग्रेनाइट से ही बनी कुंजी से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए कारीगरों से विशेष डिजाइन की कुंजी का निर्माण कराया गया है। वहीं 360 गुणे 250 गुणे 161 फीट आकार के प्रस्तावित राममंदिर को आकार देने के लिए कुल 6 हजार क्यूबिक फीट लाल बलुआ पत्थर प्रयुक्त होने का प्आंकलन किया गया है। मंदिर आंदोलन के साथ श्रीराम जन्मभूमि निर्माण समिति की ओर से रामघाट स्थित कार्यशाला में प्रथम तल पर लगने वाले पत्थरों की तराशी का काम लगभग पूरा कराया जा चुका है। प्लिंथ का निर्माण पूरा होने के बाद वर्तमान में इन्हीं तराशे गए लाल बलुआ पत्थरों से गर्भगृह और प्रदक्षिणा की दीवार का निर्माण शुरू कराया गया है। इन तराशे गए पत्थरों को आपस में जोड़ने तथा मंदिर का आकार देने के लिए विशेष डिजाइन की तांबें की कुंजी इस्तेमाल की जा रही है। जबकि निर्माण को हवा और नमी से मुक्त रखने के लिए तांबें की पत्ती तथा पट्टी का इस्तेमाल हो रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र का कहना है कि पुरातन नागर शैली में बन रहे इस भव्य राममंदिर के प्लिंथ और मंदिर के पत्थरों को जोड़ने के लिए ग्रेनाइट तथा तांबें की कुंजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। तराशे गए नक्काशीदार पत्थरों के बीच हवा और नमी न रहे इसके लिए बीच-बीच में तांबें की पत्ती और पट्टी लगाई जा रही है।
-पुरातन वास्तु और शैली में भव्य राम मंदिर का कराया जा रहा निर्माण
-श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम जन्मभूमि पर पुरातन वास्तु और शैली में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। नींव और फाउंडेशन के निर्माण से लेकर प्रसिद्ध वास्तुकार सोमपुरा के डिजाइन पर राम मंदिर को आकार देने के लिए तराशे गए पत्थरों को जोड़ने का जिम्मा लार्सन एंड टूब्रो को तथा निर्माण में परामर्श का जिम्मा टाटा कंसल्टेंसी को सौंपा गया है। पुरातन शैली और तकनीकि में बन रहे इस मंदिर के निर्माण में कार्यदायी और परामर्शदात्री संस्था आधुनिक तकनीकि और कंप्यूटर का भी बखूबी इस्तेमाल कर रही है। अपेक्षित लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न शोध तथा विशेषज्ञों का सहारा लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप राम नवमी पर सूर्य की रोशनी विराजमान रामलला के मस्तक तक पहुंचने को साकार करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की भी मदद ली जा रही है। वहीं पूरे कार्य को सुव्यवस्थित रखने के लिए ड्राइंग से लेकर सबकुछ कंप्यूटराइज किया गया है। ट्रैकिंग के लिए खदान से निकलते ही हर एक पत्थर पर बारकोडिंग हो रही है और उसका पूरा ब्योरा कंप्यूटर पर दर्ज किया जा रहा है।
ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने देखी मंदिर निर्माण की प्रगति
-श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास लगभग चार माह बाद रामजन्मभूमि परिसर पहुचे। उन्होंने करीब आधे घंटे तक विराजमान रामलला का दर्शन पूजन किया। इसके बाद वे मंदिर निर्माण स्थल पर भी गए। उन्होंने उस स्थल को देखा जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को दीप जलाए थे। ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कार्यदायी संस्था एल एंड टी के इंजीनियरों से मंदिर निर्माण की प्रगति की जानकारी ली। विजिटर बुक में किया सिग्नेचर किया और कहा कि मंदिर निर्माण अद्भुत है, बहुत सुंदर है इसके लिए सबको हमारा आशीर्वाद है।
ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि महाराजजी को उस स्थान पर ले जाया गया जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीप जलाए थे। वे पत्थरों की नक्काशी देख बहुत खुश हुएस लार्सन एंड टूब्रो द्वारा डिजिटल बुक पर अपने हस्ताक्षर कर सभी को प्रसाद दिया। इस अवसर पर ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र भी मौजूद रहे।