-नन्दीग्राम,भरतकुंड पर वाल्मीकीय रामायण कथा का भव्य शुभारंभ
अयोध्या। वाल्मीकीय रामायण सृष्टि का प्रथम महाकाव्य है। राम केवल व्यक्ति की संज्ञा नही अपितु एक जीवन-पद्धति की संज्ञा है। महर्षि वाल्मीकि ने राम के चरित्र को मानवीयता के धरातल पर चित्रित किया है।वाल्मीकीय रामायण का प्राण जानकी का चरित्र है। उक्त बातें जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेशप्रपन्नाचार्य महाराज ने भरत जी की तपस्थली ,नन्दीग्राम,भरतकुंड पर श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण कथा के प्रथम दिवस में कथा शुभारंभ के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि जानकी जी की वेदना को महर्षि वाल्मीकि ने अभिव्यक्ति दी है।
वेदना के विना हम मानव कहलाने के अधिकारी नहीं हैं।श्रीजानकी का चरित्र करूणा का चरित्र है। श्रीजानकी चरित्र श्रवण का फल यह है कि हृदय में करूणा का अवतरण हो जाये। जगद्गुरू रत्नेशप्रपन्नाचार्य ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि तब तक रामायण की रचना नहीं कर पाये जब तक श्रीजानकी वाल्मीकि के आश्रम पर नहीं गयी।काव्य विना पीड़ा के प्रकट नहीं होता।महर्षि वाल्मीकि के हृदय में इतनी करुणा का उदय हुआ कि एक बहेलिये के बाण से मरे क्रौंच पक्षी को देखकर उनका हृदय रो उठा और सहसा एक शोक प्रकट हुआ जो श्लोक बन गया।
दुनिया की पहली कविता वाल्मीकि की पीड़ा से प्रकट हुयी।पर इतनी पीड़ा करूणामयी जानकी के चरित्र को लिखने में समर्थ नहीं हो पायी।अतः श्रीराम ने जानकी को महर्षि वाल्मीकि के आश्रम पर भेजा।जब महर्षि वाल्मीकि ने श्रीसीता की पीड़ा देखी तो हृदय में इतनी करूणा आयी कि वो रामायण लिखने में समर्थ हो गये। रत्नेशप्रपन्नाचार्य ने व्यास से श्रीमद्वावाल्मीकीय रामायण की कथा को समझाते हुए कहा कि श्रीरामायण श्रेष्ठ इतिहास है क्योंकि इसमे श्रीजानकी जी की करुणा का वर्णन है।श्रीजानकी जी स्वयं को बन्दिनी बनाकर रावण जैसे दुष्ट जीव का उद्धार करा देती है।
संसार की विभिन्न भाषाओं में जो उच्चकोटि के महाकाव्य हैं उनमें महर्षि वाल्मीकि प्रणीत रामायण का स्थान सर्वोच्च है। वाल्मीकि रामायण में जिस आस्तिकता, धार्मिकता, प्रभुभक्ति, उदात्त एवं दिव्य भावनाओं और उच्च नैतिक आदर्शों का वर्णन मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। आचार्य रत्नेशप्रपन्नाचार्य ने कहा कि रामायण में गृहस्थ जीवन की सर्वश्रेष्ठता, उपादेयता, तथा महत्ता को प्रतिपादित किया गया है। आदर्श पिता, आदर्श माता, आदर्श भ्राता, आदर्श पति, आदर्श पत्नी, आदर्श राजा आदि सभी का यथार्थ चित्रण किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सर्वोत्कृष्ट आदर्श की स्थापना के लिए ही महर्षि वाल्मीकि ने इस काव्य की रचना की। यह भारतीयों का आचारग्रन्थ भी बन गया है।
कथा का शुभारंभ मणिराम दास छावनी के उत्ताराधिकारी महंत कमलनयन दास, मधुकरिया संत मिथिला बिहारी दास, संत परमात्मा दास व श्रुतिधर द्विवेदी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन कर किया। यह महोत्सव श्री सीताराम परिवार नन्दीग्राम महोत्सव मणिराम दास छावनी अयोध्या के तत्वावधान में आयोजित किया गया है। राम कथा महोत्सव 29 मई तक चलेगा। 30 को वृहद भंडारे के साथ महोत्सव का होगा समापन। कथा में भक्तों का भारी हुजूम रहा।