-अमेरिका से अयोध्या पहुंचीं जगद्गुरु सत्य साईं माँ लक्ष्मी देवी भव्य राममंदिर देखकर हुईआह्लादित
अयोध्या। अमेरिका से अयोध्या पहुंचीं जगद्गुरु सत्य साईं माँ लक्ष्मी देवी भव्य राममंदिर देखकर आह्लादित हुई हैं। कहा कि विकास और आस्था का अद्भुत संगम अयोध्या को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। हमें खुशी है कि राम मंदिर निर्माण के बाद से दुनिया के मानचित्र पर अपनी पावन नगरी अयोध्या सनातन को नई उंचाईयों पर ले जाने का काम कर रही है। पूरे विश्व में हमारे राम मंदिर की चर्चा है। जो सभी को एक सूत्र में पिरोने का काम भी कर रही है।
ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी से मिलीं साईं मां
अयोध्या पहुंचने पर सबसे पहले साई मां श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास का आशीर्वाद प्राप्त करने मणिराम दास छावनी पहुंचीं। जिसके बाद उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि में रामलला का दर्शन-पूजन किया। दर्शन उपरांत महापौर के कैम्प कार्यालय में अयोध्या के विकास एवं वैशिष्ट्य विषयक संयुक्त प्रेस कांफ्रेस किया। प्रेसकांफ्रेन्स में अयोध्या के महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण हो जाने से अयोध्या सनातनधर्म की प्रतिकीर्ती बनकर उभर रही है।
महापौर के साथ जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित जगद्गुरु सत्य साईं माँ लक्ष्मी देवी ने भी पत्रकारवार्ता के संबोधित किया। महापौर ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि के प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर अमेरिका से आई महिला संत जगद्गुरु साईं माँ लक्ष्मी देवी अमेरिका, जापान सहित कई यूरोपीय देशों में सनातन के प्रचार-प्रसार में कई वर्षों से लगी हुई है।
इनकी प्रेरणा से काफी संख्या में विदेशी धर्मालंबियों ने हिन्दू धर्म में शामिल होकर सनातन के ध्वजावाहक बन कर उसे आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर की वजह से अयोध्या का विकास अपनी उंचाइयों के छू रहा है। इसकी वजह से जहां यहां पर्यटन बढ़ा हैं वहीं लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर हुआ। मूलभूत सुविधाओं पर भी बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य और केंद्र दोनों सरकारें इस दिशा में लगातार प्रयासरत है।
अयोध्या नगरी का वैभव कई दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण
जगद्गुरु सत्य साई माँ लक्ष्मी देवी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि अयोध्या नगरी का वैभव केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह नगरी भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्वितीय उदाहरण है। आज पूरी दुनिया उत्सुकता, उत्साह, उमंग के साथ अयोध्या को देख रही है।
भारत की समृद्ध संत परंपरा में अग्रणी, विष्णुस्वामी वंश के 2,700 साल के इतिहास में पहली महिला जगद्गुरु एवं महामंडलेश्वर होने के नाते मुझे राम मंदिर की स्थापना के दिन से ही यहाँ आकर दर्शन पूजन करने की इच्छा और महत्वाकांक्षा थी। लेकिन उसके अतिरिक्त मुझे मेरे आराध्य प्रभु श्री राम की नगरी के बदले हुए रूप को देखने की भी तीव्र इच्छा थी। धर्म प्रचार में मेरा काफी समय विदेश में बीतने के कारण में प्रभु श्रीराम के दर्शन से इतने दिनों तक वंचित रही लेकिन आज मुझे यह सौभाग्य मिला है कि मैं महाकुम्भ मेला में कल्पवास के लिए जाने से पहले अयोध्या आकर प्रभु श्री राम के चरणों के शीश झुकाकर प्रयाग के लिए प्रस्थान करूँ।
महाकुंभ में निरंतर चलेंगे धार्मिक अनुष्ठान
कहा कि प्राचीन काल में अयोध्या नगरी धन-धान्य से परिपूर्ण थी। समृद्धि के शिखर पर थी। आनंद से भरी हुई थी। यहां ज्ञान, विज्ञान और वैराग्य के साथ, उसका वैभव भी शिखर पर था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के विकास के लिए हमेशा तत्पर हैं। और उन्हें अयोध्या के विकास के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का सहयोग और आशीर्वाद भी मिल रहा है।
अपने कुम्भ प्रवास पर कहा कि इस वर्ष महाकुम्भ में मुझे एक माह तक अपने सभी शिष्य शिष्याओं के साथ कल्पवास करना है और इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक आयोजनों में उपस्थित रहना है। बताया कि संस्था के माध्यम से गत एक दशक से सनातन सेवा एवं धर्म प्रचार के साथ विभिन्न जन सहयोगी कार्यक्रमों को आयोजित करा रही हूं। इस वर्ष कुम्भ में भी यज्ञ एवं अनुष्ठान के अलावा हमारे धर्मार्थ कार्य निरंतर चलते रहेंगे।
मॉरीशस के एक ब्राम्हण परिवार में जन्मी हैं जगद्गुरु सत्य साई माँ लक्ष्मी देवी
मॉरीशस के एक ब्राम्हण परिवार में जन्मी जगद्गुरु सत्य माँ हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार में पिछले डेढ़ दशक से सक्रिय हैं। वर्ष 2019 में 9 विदेशी मूल के शिष्यों ने संत परंपरा को आत्मसात करते हुए हिन्दू धर्म को अंगीकार किया था और उन सभी को महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की थी जिनमें तीन महिला संत भी शामिल हैं। इनके शिष्य दुनिया के 12 से अधिक देशों में फैले हैं। सभी अब हिन्दू धर्म स्वीकार कर चुके हैं। जापान, अमेरिका फ्रांस समेत कई अन्य यूरोपीय देशों में इनके भक्तों की भारी संख्या है।
प्रेसकांफ्रेन्स में बताया कि दो दर्जन से अधिक देशों से आने वाले मेरे अनुयायियों और मेरे शिष्यों के लिए कुम्भ मेला एक तपस्या का विषय है। मेरा ऐसा मानना है कि सनातन के प्रचार-प्रसार एवं हिन्दू धर्म के विशाल वैभव को दुनिया के अन्य देशों तक पहुँचाने के लिए आप सभी को हमारे द्वारा किये जा रहे कार्यों का अवलोकन करना चाहिए।अयोध्या के महापौर गिरीशपति त्रिपाठी जी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आप अयोध्या के विकास के ध्वजवाहक हैं, आपने इतने कम समय में हमारे निवेदन को स्वीकार किया और अपने हमें आपसे मिलने और आपको सम्मानित करने की अनुमति दी।
गौरतलब है वर्ष 2007 प्रयाग अर्ध कुंभ मेले में वैष्णव साधु समाज ने जगद्गुरु भक्तिमयी मीरा बाई की उपाधि से सम्मानित किया। सतुवा बाबा महाराज से समर्थित, भारत के 2,700 वर्षों के विष्णुस्वामी वंश और कुंभ मेले के ज्ञात इतिहास में इस प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित होने वाली पहली महिला संत हैं। प्रयाग महाकुम्भ में प्रस्थान करने से पूर्व अयोध्याजी पदार्पण हुआ।