-टोबैको-एडिक्सन का है हैप्पी-हार्मोन कनेक्शन, निकोटिन-रिप्लेसमेंट थेरैपी है लत छोड़ने मे सहायक
अयोध्या। किशोरों में छद्म सुकून व मौज मस्ती की अनुभूति के चंगुल में फंसकर टोबैको नशे की लत बढ़ती जा रही हैं। पारम्परिक स्मोक सिगरेट , ई सिगरेट या वेप सिगरेट, डिजाइनर हुक्का व गुटका आदि इनमें प्रमुख हैँ । शॉर्ट टर्म दुष्प्रभावों में एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में मन न लगना,आँखों का धुधलापन व लाल होना, चिड़चिड़ापन, क्रोधित व ठीट स्वभाव, भूख कम या ज्यादा लगना, अनिद्रा, साइबर सेक्स व गेम में मस्त रहना, रैस ड्राइविंग, यौन सक्रियता, हिंसा जैसे व्यवहार दिखतें हैं ।
तम्बाकू के सेवन से ब्रेन न्यूक्लियस में हैप्पी हार्मोन डोपामिन की बाढ़ आ जाती है और मस्ती का एहसास होने लगता है फिर डोपामिन का स्तर सामान्य होने पर हिप्पोकैम्पस द्वारा डोपामिन की तलब पैदा होती है जिसे निकोटिन- डिपेंडेंस भी कहा जाता है। इस प्रकार नशे की मात्रा बढ़ती जाती है जिसे निकोटिन-टोलेरेन्स कहा जाता है।
मनोविकार से ग्रसित या नशे की पारिवारिक पृष्ठभूमि या मित्रमण्डली से सरोकार के टीनेज में यह अधिक होता है। एक स्टडी के अनुसार, दो तिहाई तंबाकू यूजर्स की लत किशोरवस्था में ही शुरु होती है जो आगे चलकर विभिन्न कैंसर को जन्म देती है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 का विषय है “खतरनाक प्रभाव व लुभावनी पैकिंग तम्बाकू-उत्पाद से रहें सतर्क“, जो तम्बाकू उत्पादों के खतरों से सतर्क करता है,जिन्हें लुभावने स्वाद व पैकेजिंग से आकर्षक बनाया जाता है। यह बाते विश्व तम्बाकू-रोधी दिवस- 31 मई पूर्व-संध्या वार्ता में डा आलोक मनदर्शन ने कही।
बचाव व उपचारः
अभिभावक टोबैको- यूजर पर मैत्रीपूर्ण व पैनी नजर रखे। प्यार से गोपनीय नशे की लत के बारे में जानने का प्रयास करें। स्वीकार्य किये जाने पर डांट-फटकार व तिरस्कार की बजाय उसे नशे के प्रति जागरूक करें। पारिवारिक वातावरण का संवर्धन व स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा दें। फिर भी यदि लत के लक्षण दिखें तो मनोपरामर्श लें। बेहैवियर- थिरैपी व निकोटिन- रिप्लेसमेंट थेरैपी नशे से उबारने में कारगर है । इससे निकोटिन तलब की लाक्षणिक पहचान के साथ लत न पूरी होने पर होने वाले समस्याओ यानि विद्ड्राल इफेक्ट को रोकने में भी मदद मिलती हैं।