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गोशाईगंज विधानसभा की तमसा नदी सिसक-सिसक कर कह रही है अपना दर्द
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लगातार आवाज उठाए जाने के बाद भी प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागा
(दिनेश जायसवाल)
गोशाईगंज। स्थानीय नगर पंचायत गोसाईगंज मे तमसा नदी की स्थिति जस की तस बनी हुई है वनवास के दौरान जिस पवित्र नदी तमसा के तट पर भगवान राम ने प्रथम रात्रि विश्राम किया था ।उसकी पवित्रता बनाए रखना कभी नेताओं के लिए एक मुद्दा बनकर बातें उठ रही थी अब वह नहीं रहा हालत यह है कि इसके जल से लोगों ने स्नान करना तो क्या सिंचाई तक करना तक छोड़ दिया । पवित्र तमसा तट पर बने नगर के तेलियागढं महादेवा घाट ,सीताराम घाट ,तथा सत्संग घाट ,की उपयोगिता नहीं रह गयी। इसी तट पर 84 कोसी परिक्रमा के साधु संत का स्थान भी निर्धारित है जब साधु संत आते हैं तब उनका भी यही कहना है सरकार कोई भी आए जाए किसी भी नेताओं को कोई फर्क नहीं उस तमसा नदी में साधु संत भी उस जल से चरण स्पर्श भी करना मुनासिब नहीं समझते हैं। नागपंचमी, शिवरात्रि शादी विवाह के मौसम में रुकने की व्यवस्था भी रहती है किसी भी प्रकार का कार्यक्रम बड़ें ही तैयारी के साथ किया जाता है ।महादेवा घाट तमसा नदी के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद गुप्ता ने कई बार अपनी मांगे रखी लेकिन मांगे नहीं पूरी हुई । राजनीति से संबंधित नेताओं का आवागमन एवं बैठक संबोधन के लिए इसी स्थान का सहारा लेना पड़ता है जबकि उस समय चर्चाएं तो होती हैं लेकिन तमसा नदी के बारे में वहीं तक दब कर रह जाती है । एक समय था इसी स्थान पर मछुआरे द्वारा जालियां लगाकर मछली पालन का कार्यक्रम भी चल रहा था लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण की बात है गंदगी का अंबार होने के कारण से अब उसमें मछली तो क्या दाना भी डालना पसंद नहीं करते । केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष हेमंत गुप्ता प्रशान्त गुप्ता का कहना है नवरात्र दुर्गा पूजा के समय में इसी स्थान पर हर वर्ष लगभग 5 दर्जन से अधिक प्रतिमाएं तमसा नदी में परंपरागत रूप से विसर्जन का कार्यक्रम होता आ रहा है लेकिन तमसा नदी में दर्शन नगर के यश पेपर मिल द्वारा जहरीला अपशिष्ट नाले के द्वारा निकले अपशिष्ट को प्रभावित करने से इसका जल प्रदूषित और विषाक्त हो गया है। कसौधन समाज के नगर अध्यक्ष विजय गुप्ता ने कहां इसमें लगातार मछलियां मर रही है क्योंकि इससे उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है नगर पंचायत की सारी नालियों का गंदा पानी नालों के माध्यम से पावन तमसा में मिलाने से या गंदे नाले से परिवर्तित हो गई है ।इसमें कीचड़ और दुर्गंधयुक्त विषाक्त गंदा पानी सिवा और कुछ बचा ही नहीं ।तमसा बचाओ अभियान के संयोजक समाजसेवी अशोक चौरसिया द्वारा अनेक बार शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर इसके नहरीकरण कराए जाने तथा यश पेपर मिल द्वारा एवं नालों को मिलाए जाने पर रोक लगाए जाने की मांग किते जाने तथा स्थानीय साहित्यकारों एंव पत्रकारों द्वारा इस विषय पर लगातार आवाज उठाए जाने के बाद भी प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागा। सारे आंदोलन हमेशा की तरह से नदी की धारा में बह गए अभी भी तमसा की स्वच्छता के मुद्दे पर आंदोलन जारी है लेकिन शासन प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंग रहे है अब तो आम आदमी यह सवाल करने लगा है कि क्या सिसकती ही रह जाएगी तमसा और सिसकते -सिसकते एक दिन अपना अस्तित्व खो देगी। कई बार ज्ञापन के माध्यम से अंबेडकर नगर के सांसद को अवगत कराया गया लेकिन ज्ञापन धरी की धरी रह गयी अंबेडकर नगर सांसद और विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता को ही नहीं समझा।