-मकर संक्रांति पर्व का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व : प्रो. संत शरण मिश्र
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के योगोपचार विभाग एवं अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में परिसर स्थित ध्यान केन्द्र में गुरूवार को आरोग्य देवता भगवान सूर्यनारायण के पावन पर्व मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में 112 सामूहिक सूर्य नमस्कार का अभ्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में शारीरिक शिक्षा खेल एवं यौगिक विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो0 संत शरण मिश्र ने प्रतिभागियों को बताया कि भारत में मकर संक्रांति पर्व का बड़ा ही आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व है। आज की तिथि से सूर्य देव अपनी दिशा बदल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। शीत ऋतु की गलन धीरे-धीरे समाप्ति की ओर होती है। प्रो0 मिश्र ने बताया कि वसंत ऋतु के प्रारंभिक परिवर्तन प्रकृति में दृष्टिगोचर होने लगते है जिससे भारत भूमि पर यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सूर्य नमस्कार को भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्वपटल पर सबसे प्रभावी व सुप्रसिद्ध योगाभ्यास की संज्ञा दी गई है। जीवनी शक्ति एवं ऊर्जा की कमी से होने वाले विभिन्न रोगों जैसे मोटापा, मधुमेह हाइपोथाइरॉएडिज्म, अस्थमा, संधिवात, चिंता, अवसाद आदि के उपचार लिए इसे प्राथमिकता दी गई है। प्रो0 मिश्र ने प्रतिभागियों को सूर्य नमस्कार के महत्व को बताते हुए कहा कि सूर्य को संपूर्ण ब्रह्मांड का नाभि केंद्र माना गया है इन्हें देव मधु भी कहा जाता है जिस प्रकार मधु सारे संसार को मधुरता तृप्ति व स्वास्थ्य प्रदान करता है। उसी प्रकार सारे ऋषि एवं देवी-देवता भी सूर्य सविता देवता से शक्ति व सामर्थ्य अर्जित करते हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य नारायण को गायत्री महामंत्र का अधिष्ठाता देवता कहा गया है। ह््रदय में सूर्य के प्रति भक्ति भाव रखते हुए यदि साधक सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें तो आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य निश्चित ही प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम में संस्थान के शिक्षक डॉ0 कपिल राणा, डॉ0 अर्जुन सिंह, डॉ0 अनुराग पांडे, डॉ0 त्रिलोकी यादव एवं योग विभाग के अनुराग सोनी, गायत्री वर्मा, आलोक तिवारी, दिवाकर पाण्डेय, दीपेश सिंह, शैलेश मिश्रा, विशाल मणि यादव, दिग्विजय सिंह, रंजना सिंह व योग विभाग के समस्त विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।