कहा-विश्वविद्यालय हित मे कर्मचारी कार्य पर लौंटे वापस

अयोध्या। डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के आन्दोलित कर्मचारियों के खिलाफ और कुलपति के समर्थन में शिक्षक व छात्र भी खड़े हो गये है। सोमवार को आईईटी के छात्रों ने कुलपति के समर्थन में जहां आवाज उठाई वहीं आईआईटी संस्थान में विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा बैठक का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो मनोज दीक्षित के सतत प्रयासों से विश्वविद्यालय ने शैक्षिक एवं गुणवत्ता परक शिक्षा की ओर अग्रसर होकर शिक्षा जगत में एक नई पहचान बनाई है ।प्रोफेसर दीक्षित की दूरदर्शिता का प्रतिफल यह रहा कि देश-विदेश तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों को भागीदारी मिली है ।अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, समरसता कुंभ, दीपोत्सव आयोजन से विश्वविद्यालय की प्रतिभा का देश-विदेश तक सकारात्मक संदेश गया है। वर्षों से लंबित विश्वविद्यालय के कई कार्यों का सफलतापूर्वक निष्पादन भी पारदर्शिता पूर्ण प्रक्रिया से पूर्ण हुआ है। विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों का संचालन एवं इंफ्रास्ट्रक्चर ,लैब, स्मार्ट क्लास, शिक्षकों की नियुक्ति, लंबित शिक्षकों एवं कर्मचारियों के प्रमोशन में भी कुलपति प्रोफेसर दीक्षित द्वारा पूरी तरह से सर्वमान्य प्रक्रिया के तहत पूरे किए गए हैं। पूरा विश्वविद्यालय एकजुट होकर विश्वविद्यालय को नए आयाम पर ले जाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। इन्हीं परिस्थितियों के बीच कर्मचारी संघ एवं कर्मचारियों का कुछ मांगों को लेकर आंदोलित होना उचित नहीं कहा जा सकता है विशेषतया उस माहौल में जहां कुलपति जी सभी के लिए सर्व सुलभ रहे हैं।प्रो दीक्षित का यह कार्यकाल विश्वविद्यालय के लिए अब तक का सबसे अधिक प्रगति के पथ पर बढ़ने वाला कार्य काल माना जाएगा। इससे विश्वविद्यालय का प्रत्येक सदस्य सहमत हैं। फिर इन परिस्थितियों में आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता। विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों की एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कर्मचारीगण अपनी हठधर्मिता छोड़ें और विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग करें। क्योंकि बहुत शीघ्र ही विश्वविद्यालय नैक प्रक्रिया के पथ पर अग्रसर है जो विश्वविद्यालय के लिए आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। प्रो दीक्षित के खिलाफ नारेबाजी और आधारहीन आरोप निश्चित रूप से विश्वविद्यालय की छवि को खराब करने की कोशिश है। इसे किसी भी स्तर पर उचित नहीं माना जा सकता है ।सभी शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के कुलपति के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व का समर्थन किया है और अपेक्षा की है कि कर्मचारी संघ और विश्व विद्यालय प्रशासन के जो भी मतभेद हों उन्हें मिल बैठकर समाधान करना चाहिए। इनके आंदोलन से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा के साथ साथ आगामी परीक्षा एवं शैक्षिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ रहा है। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रो आर एन राय,प्रो सी के मिश्र, प्रो एमपी सिंह, प्रो एस एस मिश्रा, प्रोअशोक शुक्ला, प्रो एस के रायजादा ,प्रो रमापति मिश्र, डॉ शैलेंद्र वर्मा ने कुलपति जी के अथक प्रयासों एवं उनकी दूरदर्शिता के प्रति विश्वास जताया और आशा व्यक्त की कि आंदोलित कर्मचारियों से विश्वविद्यालय के हित के में कार्य पर लौटेंगेऔर बताया विधि सम्मत जो भी मांगे हैं उसके लिए मिल बैठकर समाधान किया जाएगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक गण उपस्थित थे।
कर्मचारी हित में लिये हैं कुलपति ने अनेको निर्णय : ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्य ओमप्रकाश सिंह के अनुसार कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कर्मचारियों के हित में अनेकों निर्णय लिए हैं. उन्होंने बताया कि कर्मचारी हित में लिए गए अधिकांश निर्णय उनके द्वारा कार्य परिषद में प्रस्तुत किए गए थे। जिसमें तृतीय एवम चतुर्थ श्रेणी संविदाकर्मियों के वेतन पुनरीक्षण एवं वेतन वृद्धि, शासनादेश के अनुरूप विगत एक दशक से अधिक लम्बित समायोजन, उच्च न्यायालय से स्थगन प्राप्त तीन कर्मियों तथा दिलीप पाल ( कर्मचारी संघ पदाधिकारी),राममिलन पाल एवं सुनीता देवी का विनियमितिकरण..ये कर्मचारी मात्र 3300 वेतन प्राप्त कर रहे थे अब लगभग 30000 प्रतिमाह वेतन आहरित कर रहे है, मृतक आश्रित कर्मियों का वर्षो से लंबित टाइप टेस्ट संपादित कराया जाना, संविदा कर्मियों का संविदा विस्तरण मात्र 89 दिन /3 महीने का होता था उसकी जगह 5 वर्ष के सेवा विस्तरण का प्रावधान, आवास आवंटन समिति में कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष का प्रतिनिधित्व, कुलपति विवेकाधीन कोष से तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को वित्तीय सहायता, पांच वर्ष संविदा विस्तरण हेतु गठित स्क्रीनिंग समिति में पारदर्शिता हेतु कर्मचारी परिषद अध्यक्ष का मनोनयन.,वर्षो से लंबित कर्मियों का सेवानिवृति के पश्चात पेंशन का निर्धारण, अनेक कर्मचारी के देयको में वित्तीय बाधाओं को दूर कर भुगतान प्रदान किया जाना व कर्मियों के परिवाद की त्वरित सुनवाई एवं निष्पादन शामिल है।