-विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार बंद होने के चलते अस्पताल पहुंचने में हुआ काफी विलंब
मिल्कीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज परिसर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल मे अध्ययनरत कक्षा आठ के छात्र की क्लास मे अचानक बेहोश होकर गिर गया जिसकी मौत हो गयी। घटना की जानकारी मिलते ही विश्वविद्यालय परिसर सहित समूचे क्षेत्र में सनसनी फैल गई और विद्यालय में अध्ययनरत छात्र छात्राओं के अभिभावकों ने घटना को लेकर विद्यालय प्रबंध तंत्र के विरुद्ध गहरा आक्रोश व्यक्त किया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुल्तानपुर जनपद अंतर्गत बीही निद्दूरा गांव के पूरे चानिका मिश्र निवासी संतोष मिश्रा का 13 वर्षीय बेटा पार्थ मिश्रा डीएवी पब्लिक स्कूल कुमारगंज में कक्षा 8 का छात्र था, व कक्षा 11 की छात्रा एवं अपनी बड़ी बहन श्रुति मिश्रा के साथ पिता द्वारा बीते 20 जुलाई को विद्यालय आने जाने हेतु खरीदी गई ई स्कूटी से बृहस्पतिवार को विद्यालय में पढ़ने आया था। कक्षा कक्ष में शिक्षण कार्य चल रहा था अचानक पार्थ मिश्रा अपनी सीट पर ही चक्कर खाकर लुढ़क गया। बगल के छात्रों ने पार्थ को संभाला और पढ़ा रहे शिक्षक को जोर से चिल्ला कर पार्थ के बेहोश होने की जानकारी दी। इसके बाद विद्यालय में अफरा-तफरी मच गई और विद्यालय की प्रधानाचार्य पुष्पा भी मौके पर पहुंच गई और विद्यालय के शिक्षक विश्वविद्यालय परिसर स्थित विश्वविद्यालय के चिकित्सालय न ले जाकर 100 सैय्या संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज पिठला लेकर रवाना हो गए जहां विश्वविद्यालय का गेट नंबर 1 कुलपति के निर्देशों के चलते बंद रहता है,
काफी जद्दोजहद के बाद विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार खुल सका और बेहोश छात्र को संयुक्त चिकित्सालय पहुंचाया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने छात्र को देखते ही मृत घोषित कर दिया।उधर डी ए वी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों से विश्वविद्यालय स्थित अस्पताल में प्राथमिक उपचार ना कराने के बजाए संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज ले जाने का सवाल किया किया गया तब उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अस्पताल में कोई सुविधा ही नहीं उपलब्ध है, यहां का अस्पताल केवल नाम के लिए बनाया गया है। उधर घटना की जानकारी मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया और भारी संख्या में ग्रामीण अस्पताल परिसर पहुंच गए अस्पताल पहुंचे परिजनों ने विद्यालय प्रबंध तंत्र सहित विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा बंद करवाए गए गेट की जमकर निंदा की।
बताते चलें कि उक्त विद्यालय में स्थापना के बाद से आज तक जो खिड़की और दरवाजे टूट गई हैं उन खिड़कियों को दोबारा खिड़की नसीब नहीं हुई और पक्की ईंटों से उन रोशनदान और खिड़कियों को बाहर से बंद कर दिया गया है जिसके चलते भीषण गर्मी के बीच एक कक्षा में 60 से 70 बच्चे बैठते है यहां तक कि कक्षा कक्ष में लगे पंखे भी बिल्कुल जर्जर स्थिति में है, जिससे उमस और गर्मी के चलते आए दिन विद्यालय के तमाम छात्र छात्राएं गश खाकर बेहोश होते रहते हैं।