-अयोध्या में बैंकिंग उद्योग में लगभग 500 करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित
अयोध्या। बैंकिंग उद्योग के अधिकारी और कर्मचारी के 9 संगठनों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर सरकार सरकार की जन विरोधी बैंकिंग एवम् आर्थिक नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको के निजीकरण के विरोध मे दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर राष्ट्रीयकृत एवम् ग्रामीण बैंक के लगभग दस लाख बैंककर्मी भाग ले रहे है। इसी क्रम में आज १५ मार्च को यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ,अयोध्या इकाई के सभी बैंकों के अधिकारी एवम् कर्मचारी संयोजक सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन पर ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय पर राजेश खत्री व मो उस्मान , बैंक ऑफ बड़ौदा क्षेत्रीय कार्यालय पर अरूण कूल , डी वी सक्सेना, डी एन तिवारी , सुभाष त्रिपाठी,संदीप यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय पर रवि किरण एवम् एकांत सिन्हा एवम् बैंक ऑफ इंडिया मुख्य शाखा के मुख्य प्रबंधक मो०शाहिद एवम् जे पी तिवारी के नेतृत्व में प्रदर्शन एवम् नारेबाजी सरकार के बैंको के निजीकरण नीतियों के विरोध में किया।इसके बाद जुलूस बनाकर रैली निकालकरअयोध्या जनपद के सभी बैंक कर्मी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स अयोध्या के बैनर तले संयोजक सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में विशाल जन सभा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सिविल लाइंस शाखा के सामने किया ।सभा को अध्यक्षता वी के सिंह ने किया। संयोजक सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि हड़ताल राष्ट्रीयकृत बैंकों को कॉरपोरेट घरानों एवम् पूंजीपतियों से बचाने,और आम जनता,किसानों,मजदूरों,छोटे मध्यम व्यायोसायियो, और व्यापारियों , विद्यार्थी, महिलाओ एवम् बेरोजगारों के लिए है।सह संयोजक एस पी चौबे ने बताया की हड़ताल देश के आर्थिक ढांचे को बचाने के लिए है। अध्यक्ष वी के सिंह ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि अब हम सब सड़कों पर उतर आए हैं सरकार को निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेना होगा।मंत्री डी सी टंडन ने कहा निजीकरण स्थाई नौकरियों पर हमला और बेरोजगारी पैदा करने वाला है। सेन्ट्रल बैंक स्टाफ एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री और यू एफ बी यू के संयुक्त मंत्री के के रस्तोगी ने कहा निजीकरण से कृषि ऋण मे कमी आयेगी,सीमांत और छोटे किसान कृषि कार्य से बेदखल होगे, बैंको की ग्रामीण शाखाएं बन्द होगी और लघु बचत योजनाएं ध्वस्त हो जाएगी।अमिता श्रीवास्तव के नेतृत्व में सुशीला,निधि पांडे,दुर्गेश ,प्रियंका , निशा, प्रिय एवम् नलिनी आदि बहुत सी महिलाओ ने सभा मे भाग ले कर बैंको के निजीकरण के प्रस्ताव की कटु आलोचना किया। स्टेट बैंक के डीजीएस रूप राम तिवारी के नेतृत्व में स्टेट बैंक के अधिकारी और कर्मचारी ने सभा में भाग लिया। उपाध्यक्ष विक्रान्त गुप्ता ने डाटा देकर ध्वस्त होती अर्थ व्यवस्था पर प्रकाश डाला । सभा कोआर आर शर्मा, रामदास, आर एस उपाध्याय, अवधेश सिंह,, सी एन त्रिपाठी, प्रभु दास,जे पी गुप्ता, डी वी सक्सेना, अरूण कूल, रमेश वर्मा, इंद्र राज, सतीश त्रिवेदी, आर एस दुबे,राज कुमार तिवारी, डी एन तिवारी,मोहित गुप्ता, रवि पाण्डे, राम कुमारस,जितेंद्र कन्नौजिया,पवन सिंह,नीरज, देवेन्द्, मोहित गुप्ता,अश्वनी श्रीवास्तव,शनि, प्रवीण सिन्हा, आनन्द,सचिन,पवन मिश्रा, चंद्रकांत,, आदि। सेवानिवृत बैंककर्मी भी अपने संगठन के साथ बैंको के निजीकरण के विरोध में आंदोलित बैंक कर्मियों के साथ सड़को पर उतरे एस के सिंह ने बताया कि यदि बैंको का निजीकरण हुआ तो ये पूंजीपति कभी भी पेंशन योजना बंद कर सकते है ।इस हड़ताल से शहर और गांव की ग्रामीण एवम् राष्ट्रीयकृत बैंकों की सभी शाखाओं में ताला लगा रहा। कोआपरेटिव बैंक खुले रहे लेकिन उनका पूरा नैतिक समर्थन हड़ताल को रहा। जनपद अयोध्या में बैंकिंग उद्योग में लगभग ५०० करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित हुआ।