कहा- सिंधु सभ्यता की लिपि की पहेली सुलझ जाने से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि आर्य कहां के मूल निवासी थे
अयोध्या।तामिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन का सिंधु सभ्यता की लिपि की पहेली सुलझाने पर पुरस्कार की घोषणा का आया बयान प्रशंसा के योग्य है।यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में सिंधी भाषा के सलाहकार ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने।
उन्होंने स्टालिन के इस बयान स्वागत करते हुए कहा कि सिंधु सभ्यता की लिपि की पहेली सुलझ जाने से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि आर्य कहां के मूल निवासी थे ; और इस कथ्य का भी खुलासा हो जाएगा कि क्या वास्तव में आर्यों ने द्रविड़ों को दक्षिण में धकेल दिया था।
श्री ज्ञाप्रटे ने कहा कि इस तथाकथित थ्योरी के कारण ही उत्तर – दक्षिण के मध्य भाषा और संस्कृति के कारण जब तब तनाव उभर आता है। लिपि की पहेली सुलझा ली जाने से न केवल उत्तर – दक्षिण के मध्य तनाव ख़त्म हो सकेगा बल्कि सनातन की उत्कृष्टता स्थापित हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि इस पहेली के सुलझ जाने से राष्ट्रवादी इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व की पुनर्स्थापना हो सकेगी।इस ख़ुलासे से लेफ़्ट लिबरल इको सिस्टम के फैलाए भ्रमजाल का धुआं छट हो जायेगा।
श्री ज्ञाप्रटे ने कहा कि स्टालिन का इस बयान से चाहे जो राजनीतिक हित साधने का उद्देश्य हो किंतु इससे सनातन के उत्कर्ष का पथ प्रशस्त हो जाएगा। इसलिए यह बयान प्रशंसनीय और सराहनीय है।