विशेष : विश्व होम्योपैथी दिवस पर भी कोरोना का संकट

by Next Khabar Team
A+A-
Reset

“प्रिसर्वर ऑफ हेल्थ” कहकर डा हैनिमैन ने निर्धारित कर दिया चिकित्सक का सामाजिक दायित्व :डा. उपेन्द्रमणि त्रिपाठी

अयोध्या। होम्योपैथी के जनक डा सैमुएल हैनिमैन की 265वीं जयंती 10 अप्रैल पर विश्व मानवता के संकट कोरोना के साये में है, इसलिए होम्योपैथी महासंघ के आह्वान पर चिकित्सको ने निश्चय किया है इस दिन 10 बजे 10 मिनट तक 10 दिए ज्योतिर्मय कर विश्व आरोग्य में योगदान का संकल्प करेंगे।
होम्योपैथी चिकित्सक डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया डा हैनिमैन ने समं समे शमयति के जिस सिद्धांत पर होम्योपैथी का विकास किया वह भारतीय चिकित्सा सिद्धान्तों पर ही आधारित है,इसके अंतर्गत “मर्दनमगुण वर्धनम” सूत्र के अनुरूप पदार्थो की तात्विक शक्ति को संवर्धित कर उनका शक्तिकृत औषधीय प्रयोग किया जाता है, जो व्यक्ति की प्राणशक्ति में आई न्यूनता (इम्युनिटी में कमी) को तदनुरूप सन्तुलित कर शरीर को स्वस्थ रखने योग्य बनाती है, इसलिए ही होम्योपैथी रोग के नाम से इलाज करने की पद्धति नहीं।
वर्तमान में मानव स्वास्थ्य पर संकटकालीन परिस्थितियों से निकलने के लिए भारत सरकार होलिस्टिक अप्रोच का ही पालन कर रही है। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है लगभग पूरे विश्व की मानवता कैसे घरों में रहने को विवश हो गयी, इससे उस अदृश्य सूक्ष्म नोबल कोरोना वायरस की संक्रामकता का अंदाजा लगाया जा सकता है जिससे प्रभावित होने पर मृत्यु दर बेहद कम किन्तु अलग अलग देशों के आंकड़ों के हिसाब से 2-5प्रतिशत तक है। वैज्ञानिक इलाज के लिए शोधरत हैं अभी तक कोई प्रमाणिक दवा की जानकारी नहीं, अर्थात शत्रु अदृश्य, उसका प्रसार आक्रामक, शक्ति का अंदाजा नहीं, आक्रमण की काट पता नहीं, तो ऐसे में सीधे संघर्ष की बजाय स्वयं के बचाव का पक्ष सर्वोत्तम है, किन्तु बचाव के लिए मात्र छिपे रहना ही उचित विकल्प नहीं अपितु इस समय स्वयं के तन मन की शक्ति को इतना प्रबल बनाना भी जरूरी है कि वह प्रहार से सुरक्षित कर सके।
इस कोरोना विषाणु का संक्रमण, संक्रमित से व्यक्तिगत सम्पर्क, या शरीर द्रव्य के सम्पर्क से फैलता है इसलिए सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए देशवासियों से व्यक्तिगत सोसल डिस्टेंसिंग के अनुशासन का पालन कराने हेतु 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित किया जिससे संक्रमण की कड़ियाँ जुड़ने ही न पाएं।लॉक डाउन से गतिमान राष्ट्र थम सा गया है। ऐसा नही कि कोरोना मात्र अकेली बड़ी समस्या है,बल्कि यह तो उस छतरी के समान है जिसने अन्य सारी समस्याओं को अपने साथ ढक लिया है। हम घरों में बैठे इस संकट से मुक्ति के अच्छे शुभ समाचार की प्रतीक्षा में टीवी, मोबाईल, समाचार पत्र आदि माध्यमो पर ज्यादातर एक जैसे ही समाचार जैसे कहां कितने संक्रमित हुए, कितने मरे, कहां लॉक डाउन का कितनो ने उलंघन किया, कैसे दण्डित होंगे, कितनी झड़पें हुई, और लॉक डाउन, आइसोलेशन, क्वारेण्टाइन, आदि अपरिचित शब्द लगातार देखते सुनते पढ़ते रहते हैं। अचानक एक विषय पर इतनी चर्चा से तमाम अन्य संभावनाओं पर भी विचार करना चाहिए कि जनमानस पर कितना और क्या प्रभाव पड़ेगा, कहीं जागरूकता के साथ डर तो नहीं पनप रहा।
यह इस बात पर निर्भर है कि हम इन जानकारियों का भावार्थ क्या निकालते हैं। इस डर का आकलन ऐसे भी किया जा सकता है कि ज्यादातर लोग जानना चाहते है कितने संक्रमित हुए और कितने मरे ?
इन आंकड़ों का अध्ययन करते समय हमें यह भी समझना चाहिए कि मौत के आंकड़ों में दो चीजें भी हो सकती हैं, एक वे जो कोरोना से संक्रमित हुए और मरे, दूसरे वे जिन्हें अन्य पुरानी बीमारियां जैसे हृदय रोग, किडनी के रोग, मधुमेह आदि के साथ वे संक्रमण का शिकार हुए,।

इसे भी पढ़े  सावन झूला मेला के साथ मणि महोत्सव का आगाज

कहीं लॉक डाउन सिंड्रोम तो नही पनप रहा

मनोविज्ञान कहता है लगातार किसी महामारी की भयावहता को सुनते, देखते व्यक्ति की मनःस्थिति का जुड़ाव उससे होने लगता है ,उसकी आक्रामकता की कल्पना में स्वयं ग्रसित होने, मृत्यु से डर , मन मे चिंता, भ्रम ,काल्पनिक परिस्थितियों का भय,परिवार, बच्चों की चिंता, मान अपमान, या सामाजिक अपराध बोध, कैद, बहिष्कार का डर, आदि नकारात्मक विचार उसे मानसिक अवसाद की स्थिति की तरफ ले जा सकत है, इस तरह के सभी लक्षणों को सम्मिलित रूप से हम लॉक डाउन सिंड्रोम कह सकते हैं।

इस स्थिति से बचाव का एकमात्र तरीका है सात्विक विचार, सन्तुलित आहार, अनुशासित व्यवहार,सकारात्मक समाचार को अपनाए।

अपने किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी संशय या जिज्ञासा के लिए चिकित्सक से ही परामर्श लें और उन्ही की बात को सत्य माने।
समाचारों में वे आंकड़े भी देखे कितने ठीक भी हुए फिर विचार कीजिये जब कोई दवाई ज्ञात नही, फिर भी लोग ठीक हो रहे है,?
इससे आपके चिंतन की दिशा सकारात्मक हो जाएगी, तब आप चिकित्सक से इस विषय पर संवाद कर पाएंगे कि हम स्वस्थ कैसे रह सकते हैं अपनी इम्युनिटी कैसे बढ़ा सकते हैं। आपकी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सी युक्त प्राकृतिक फल सब्जियों का सेवन करें।
एक बात का और ध्यान रखना चाहिए कि बाहर से लाये गए फल सब्जियों को संभव है किसी संक्रमित व्यक्ति ने छूआ हो, तो उन्हें घर मे छूने से पहले सैनिटाइज करने के लिए एक बर्तन में पानी भरकर उसमे एक नींबू निचोड़ कर एक चम्मच सेंधा नमक डाल दें या बिना नमक भी इस घोल में सब्जयो को 20 मिनट रहने दें।

इसे भी पढ़े  रामनगरी में झूलनोत्सव की भव्य शुरुआत

डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी
महासचिव
होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ

नेक्स्ट ख़बर

अयोध्या और आस-पास के क्षेत्रों में रहने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना स्रोत है। यह स्थानीय समाचारों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं की प्रामाणिकता को बनाए रखते हुए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। यह वेबसाइट अपने आप में अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक डिजिटल दस्तावेज है।.

@2025- All Right Reserved.  Faizabad Media Center AYODHYA

Next Khabar is a Local news Portal from Ayodhya