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नींद में खलल तो पैरासोमनिया का दखल
फैजाबाद। इन दिनों भीषण गर्मी अपने चरम पर है और बिजली की आंख मिचौली से आम जन पूरी रात सोने के बजाय चटपटा कर गुजारने कर लिये बाध्य हैं। इसका दुष्प्रभाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर अब साफ दिखाई पड़ने लगा है,जिसकी बानगी जिला चिकित्सालय में आने वाले किशोर किशोरियों व उनके परिजनों के बयान किये गये लक्षणों से साफ झलक रही है।
लक्षण व दुष्प्रभाव :
सोने के बाद नींद के बार बार टूटने से हमारी नींद हैप्नोगोगिक स्लीप में बदल जाती है जिसमें भयानक सपने व उलझन बेचैनी वाली स्थिति इस तरह हावी हो जाती है जिसमे नींद से चौककर उठ जाना तथा भयाक्रांत मनोदशा से नींद के टूटने पर चीखना चिल्लाना, दिल की धड़कन तेज़ होना व मुँह सूखने जैसे लक्षण दिखायी पड़ सकतें है जिसे स्लीप ट्रेमर व नाईट मेयर कहा जाता है। इतना ही नही, नींद से अचानक उठकर उटपटांग हरकतें करना, चीखना चिल्लाना व बार बार पेशाब लगना जैसे पैरासोमनिया स्लीप डिसऑर्डर दिखाई पड़ सकतें है।
डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार ऐसे में रात की नींद तो खराब होती है, दिन भर भी इसका दुष्प्रभव हमारी कार्यक्षमता पर पड़ता है। काम मे मन न लगना, एकाग्रता में कमीं, चिड़चिड़ापन,थकान, सरदर्द, बदहजमी, एसिडिटी, तेज़ धड़कन, सीने में दर्द व आक्रामक व्यहार जैसे लक्षण दिन भर दिखाई पड़ सकतें है जिसे स्लीप डिप्राइव्ड सिंड्रोम कहा जाता है।
बचाव व उपचार :
हमारे मस्तिष्क के लिए 19 से 24 डिग्री सेल्सियस का तापमान सोने के लिए सबसे उपयुक्त होता है व पर्याप्त वेंटिलेशन भी जरूरी है।पैरासोमनिया से बचने के लिए उचित तापमान व वेंटिलेशन का प्रबंधन इस प्रकार किया जाय कि बिजली के बार बार जाने के बावजूद भी पैरासोमनिया की नौबत न आने पाये। फिर भी नींद में खलल पड़ने पर मबोसनयम बररते हुए दिन भर के अपने क्रिया कलापों में स्लीप
डिप्राइव्ड सिंड्रोम के लक्षणों के प्रति सजग रहा जाय तथा समश्या पढ़ने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। वर्चुअल एक्सपोजर थेरेपी ऐसी स्थिति में बहुत ही कारगर है।