-कृषि विश्वविद्यालय में सीमीट के डॉ. आर. के. मलिक के साथ गेहूं पर किए गए अनुसंधान एवं परिणाम पर हुआ मंथन
अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज में गुरूवार को कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में उनके समिति कक्ष में CIMMYT-(सीमीट)- इंटरनेशनल मेज एंड व्हीट इंप्रूवमेंट सेंटर के डॉ आर के मलिक, वरिष्ठ शस्य वैज्ञानिक तथा विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको सहित इस बैठक में ऑनलाइन प्रदेश के समस्त कृषि विश्वविद्यालय, अटारी कानपुर के निदेशक डॉ अतर सिंह, IRRI-(इरी)- इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट वाराणसी के निदेशक, डॉ सुधांशु सिंह , कृषि निदेशक उत्तर प्रदेश विवेक सिंह, 23 जनपदों के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, इफ्को, एनएफएल ,आईटीसी, बायर आदि के साथ संयुक्त बैठक गेहूं, मक्का एवं चावल पर अब तक प्राप्त अनुसंधान के परिणाम एवं उसके सुधार हेतु मंथन एवं चर्चा की गई ।
बैठक में सीमीट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर के मलिक द्वारा अब तक किए गए शोध एवं परीक्षणों के परिणाम को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया जिसमें पाया गया कि माह नवंबर के प्रथम सप्ताह से अधिकतम 20 नवंबर तक की गई गेहूं की बुवाई से अधिकतम उत्पादन प्राप्त होता है ,जब कि इससे देर होने पर उत्पादन क्षमता घटती है तथा यह भी देखा गया है कि यदि गेहूं की चौथी सिंचाई नहीं की गई है तो भी दाने कमजोर तथा पतले होने से पैदावार घट जाती है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह ने बताया कि रबी मौसम में संस्तुति के अनुसार दी गई फास्फोरस एवं पोटाश की मात्रा के बाद खरीफ में कम फास्फोरस ,पोटाश की मात्रा प्रयोग करते हैं तो रबी में प्रयोग किए गए उर्वरक के अवशेष मात्रा की उपलब्धता से भी अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है कुलपति डाँ सिंह ने डॉ मलिक द्वारा अपने अनुभवों एवं बैठक में उभरे विभिन्न बिंदुओं पर समस्त विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि संबंधित संस्थाओं द्वारा विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र में परीक्षण कर प्राप्त परिणामों के अनुसार किसानों हेतु संस्तुति तैयार करने की रणनीति बनाने पर बल दिया, तथा विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव को निर्देशित किया कि कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी इसका परीक्षण कराया जाए।