अयोध्या। सूफी कलामों व भजनों और प्रवचनों की गूँज, हर ओर आस्था व आदर का वातावरण, भक्तिभाव में डूबी ऑंखें और होठों पर संतों के लिये जयघोष, बीच-बीच में लय और ताल में रचा-बसा छेज (डांडियाँ), लोकनृत्य, क्या पुरूष और क्या महिलायें सभी इसी रंग में रंगे हुए अवसर था सांई वसणशाह की 125वीं वर्षी महोत्सव जो पूरे उत्सव व उमंग के साथ रामनगर कालोनी के बीच मैदान में मनाई गई। इस मौके पर महाराष्ट्र शहर के उल्लासनगर से पधारे वसणशाह दरबार के गद्दी नशीन सांई परमानन्द साहिब ने कहा कि दया, प्रेम, शान्ति और भाईचारे के साथ-साथ भक्ति की अविराम रसधारा कहीं अन्दर तक भिगो जाती है। इस मौके पर प्रिंस सांई कालीराम साहिब ने सूफी कालामों व भजनों को प्रस्तुत करते हुए श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि सूफी परम्परा की सरलता और साम्प्रदायिक सौहार्द से जुड़ा चिन्तन आज भी हमारी परम्परा में पूरी तरह से समाया हुआ है। इस मौके पर सिन्धु महिला समिति की अध्यक्ष किरन पंजवानी की टीम ने संतों का स्वागत, स्वागत गीत व पुष्पवर्षा और आरती कर किया। इस मौके पर सिन्धी समाज की पंचायतों के मुखियाजन, वसणशाह सेवा समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश अंदानी, सिन्धु सेवा समिति के अध्यक्ष मोहन मंध्यान, भक्त प्रह्लाद सेवा समिति के अध्यक्ष राजकुमार मोटवानी, उ0प्र0 सिन्धी युवा समाज के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश ओमी, भारतीय सिन्धु सभा के अध्यक्ष संतोष रायचंदानी आदि संस्थाओं ने दोनों संतों का माला पहनाकर व शाल ओढ़ाकर और मुकुट पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर वरियलदास नानवानी, दिलीप बजाज, नन्दलाल माखेजा, चुन्नीलाल राजपाल, भीमनदास माखेजा, गिरधारी चावला, अशोक मदान सुखी, राजकुमार रामानी, कन्हैयालाल सागर, राकेश तलरेजा, राजकुमार मोटवानी, राजेश माखेजा, अनीता चावला, नन्दलाल लखमानी, हरीश मंध्यान, धर्मपाल रावलानी, मोहन मंध्यान, पवन जीवानी, रेनू सावलानी, जय प्रकाश क्षेत्रपाल, विश्व प्रकाश रूपन, कमलेश केवलानी, माला खत्री, संजय मलकानी, सौरभ लखमानी, गिरीश राजपाल, हरीश सावलानी, सपना राजपाल, सुनील उतरानी, योगेश बजाज, सन्नी कोटवानी आदि बड़ी संख्या में सिन्धी समाज के लोग मौजूद थे।
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