-तीन दिवसीय 21वें द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ, 40 वैज्ञानिक उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित, डीडीजी डा. भट्टा को सर्वश्रेष्ठ पशु पोषण वैज्ञानिक का मिला सम्मान
अयोध्या।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में प्रेक्षागृह में तीन दिवसीय 21वें “ग्लोबल रेजिलिएन्स इन एनिमल न्यूट्रीशियन 2025 ” द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। “पशु पोषण में वैश्विक लचीलापन एवं सतत भविष्य के लिए भारतीय पशुओं में नवाचार” विषय पर यह सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों ने मां सरस्वती की चित्र पर माल्यार्पण एवं जल भरो कार्यक्रम के साथ किया। इस मौके पर मोमेंटो एवं अंगवस्त्रम भेंटकर सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। डीडीजी डा. राघवेंद्र भट्टा को सर्वश्रेष्ठ पशु पोषण वैज्ञानिक अवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए पशु विज्ञान विभाग के उप महानिदेशक डा. राघवेंद्र भट्टा ने कहा कि जीडीपी को बढ़ाने में पशु पोषण का महत्वपूर्ण योगदान है। पशुपालन और पशु पोषण का भारत की जीडीपी में लगभग 4.5% का है। पशु पोषण न केवल पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। डा. भट्टा ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को भी अनुसंधान पर जोर देना चाहिए। मानव स्वास्थ्य के सुधार के लिए कृषि में नवाचार पर कार्य करना होगा। पशुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अऩुसंधान के साथ-साथ नई तकनीकियों को विकसित करने की जरूरत है।
विशिष्ठ अतिथि के तौर पर मौजूद एम.ए.एफ.एस.यू नागपुर के कुलपति डा. एन.वी. पाटिल ने कहा कि पशु उत्पादों का निर्यात देश को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद करता है, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। पशु पोषण कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि अवशेषों को प्रसंस्कृत कर पोषण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन में उपयोग करने की जरूरत है। सहजन को पशु चारे में उपयोग करना चाहिए। कहा कि हमें पशुओं के उत्पादन वृद्धि पर कार्य करने की जरूरत है। एन.आई.ए.एऩ.पी. के निदेशक डा. ए. साहू ने कहा कि पशु उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु उत्पादों का मूल्यवर्धन जरूरी है। उन्होंने कहा कि पशुपालन में तकनीकी नवाचार आर्टिफ़िशियल इनसेमिनेशन, एम्ब्रियो ट्रांसफर को बढ़ावा देना होगा। ए.एन.एस.आई के अध्यक्ष डा. ए.पी.एस सेठी ने भी विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर स्मारिका एवं सार पुस्तक का विमोचन किया गया। पशु पोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. वी. के. सिंह के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। डा. धर्मेश तिवारी ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन डा. सत्यव्रत सिंह ने किया। इस मौके पर विवि के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों कुलपति, पूर्व कुलपति एवं लगभग 300 वैज्ञानिक मौजूद रहे।
लाइफटाइम अचीवमेंट एवं फेलो अवार्ड से सम्मानित हुए वैज्ञानिक
विवि में चल रहे तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले 37 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। डा.एम.एन कैलाश, श्रीकांत विश्वराव देशमुख, डा. आशिफ मजूमदार, डा. मंजू वाधवा, डा. नीता अग्रवाल, डा. अंबरीष कुमार त्यागी, डा. तिलक धीमान, डा.वी.के खड्डा, डा. सुभाष पनेकर, डा.अनिल कुमार को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। डा. पी. बसंत कुमार को बेस्ट शिक्षक और डा. सुल्तान सिंह व डा.पी.के माल्ती को बेस्ट रिसर्च का अवार्ड मिला।
वहीं दूसरी तरफ फेलो अवार्ड पाने वालों में डा. सुल्तान सिंह, डा. मोनिका, डा. नवजोत सिंह, डा. सुशील कुमार, डा. आरके सौजना लक्ष्मी, डा. के सुषमा, डा. हनीफ कौर, डा. लांजे राहुल, डा. प्रदीप कौर, डा. उदयवीर सिंह, डा. एन.के गौड़ा, डा. आर.के शर्मा, डा. सुनील नाइक, डा सजन, डा. संजीता शर्मा, डा. राकेश कुमार, डा. पी.के नाइक, डा. सोहनवीर सिंह, डा. डी.राजेंद्र, डा. मनोज कुमार, डा. जी.पी मंडल और डा. अतुल डोक का नाम शामिल है।