”राम नाम अवलम्बन एकू” अन्तरराष्ट्रीय ई-सेमिनार का हुआ समापन
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में ”राम नाम अवलम्बन एकू” विषय पर तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय ई-सेमिनार का गुरूवार को समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पार्श्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने राम के जीवन का व्याख्यान देते हुए बताया कि राम अपने आप में विज्ञान एवं आयुर्वेद थे। राम का नाम संबल प्रदान करता है तो आवश्यकता पड़ने पर दवा भी बन जाता है। राम के वन जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि जंगल के संसाधन का उपयोग करके मनुष्य चाहे तो प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठा सकता है और जीवन को सरल, सहज एवं सुगम कर सकता है। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एसएन शुक्ल ने कहा कि वर्तमान विश्वव्यापी महामारी के समय भारत पूरे विश्व के लिए उदाहरण बना हुआ है। इसके पीछे कारण है हमारी वर्षो पुरानी संस्कृति, रहन सहन, खान-पान। राम का नाम प्रत्येक व्यक्ति लेता है चाहे वो किसी धर्म, पंथ, मजहब को मानता हो क्योंकि राम इस भारतीय संस्कृति के पुरोधा है। प्रत्येक भारतीय के कण कण में है। श्रीराम एक सामाजिक प्रतिबिम्ब है जिन्होने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे थे और उन सब को प्रकृति के मदद से अपने अनुरूप ढालते चले गए। राम नाम अवलंबन एकू विषय प्रेरित करता है सदैव समाज हित के लिए अनुशासन के साथ जीना।
राजेश पांडे पूर्व संयोजक बजरंगदल ने प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्शों पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि दुनिया में राम जी ही है जो सभी का बेड़ा पार कर सकते हैं। इस महामारी में रामजी ही सहारा है। एक वायरस ने समूची मानवता के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। ऐसी स्थिति में प्रभु की शरण ही हमें इस आपदा से बचा सकती है। मानव के रूप में धरती पर अवतरित हुए प्रभु श्री राम ने ऋषि, मुनियों की सुरक्षा के लिए पूरी धरा से राक्षसों के विनाश का संकल्प लिया था। प्रभु श्री राम ने अपने अंदर शक्ति को जगाने का संदेश समूची मानवता को दिया है। श्रीराम की शक्ति को जागृत करने के लिए हनुमान जी की कृपा एवं भक्ति आवश्यक है। उनकी की प्रेरणा से हनुमान जी कलयुग में रह कर के मानवता की सेवा एवं मानव समाज का मार्गदर्शन करने के लिए विद्यमान हैं। आई0ई0टी0 संस्थान के निदेशक प्रो0 रमापति मिश्र ने संचालन करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राम नाम अवलम्बन एवं भारतीय संस्कृति को अपनाकर इस महामारी से जीत पायेंगे। राम के जीवन से जीने की कला सीख सकते है। जिस प्रकार उन्होंने प्राकृतिक जीवन जी कर संकटो से मुक्ति प्राप्त की उसी प्रकार हमें भी कोरोना संकट से मुक्ति मिलेगी। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन इंजीनियर रमेश मिश्र ने किया। ई-सेमिनार का तकनीकी संहयोग इंजीनियर पारितोष त्रिपाठी, इंजीनियर विनीत सिंह एवं संजीत पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या देश के बाहर एवं अन्य प्रातों से प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़ें रहे।