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फांसी की सजा पाये कैदी ने कारागार में कोरोना गीत पर सजा दी महफिल

खुद के लिखे भोजपुरी गीत पर जेल अधीक्षक की मौजूदगी में बांधी समा

अयोध्या। हत्या के आरोप में फांसी की सजा पाये कैदी ने मंडल कारागार में ढ़ोल व मजीरा की थाप पर महफिल सजा दी। कैदी ने खुद के लिखे करोना गीत के गाकर मंडल कारागार में जेल अधीक्षक की मौजूदगी में भोजपुरी गीत की समा बांध दी। कैदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण की विभीषिका को पहले शब्दों में गढ़ा फिर इसको अपना सुर व साथी कैदियों व बन्दियों की संगत लेकर ताल मिलाकर लोकगीत का रूप दिया। उसने अपने इस लोकगीत के माध्यम से लोगों को कोरोना की भयावहता को समझाया है और लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए उपाय भी बता रहा है।
गाने के बोल- मिलै खातिर जिन, बेकरार केहू होला, कोरोना में लोगवा बीमार खूब होला। ई न जानेला दिन दुपहरिया, जा के समा जाले दिल के भीतरिया… ऐसै लैके जिन टारि तू देहला, हथवा तो धोइ साबुन दिनचर्या.. बचवा व बूढ,देखै नाहिं मरद, नर नरिया,राउर जिंदगियां उजार तब होला.. ..
जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि जनपद अंबेडकर नगर निवासी राम गोपाल सैनी को अंबेडकर नगर के एक मामले में अदालत ने मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी। सेशन अदालत से फांसी की सजा दिए जाने के बाद उसने ें उच्च न्यायालय में अपील कर रखी है तथा मंडल कारागार में सजा काट रहा है। सैनी पर मां बाप और पत्नी व बच्चे को जहर देकर हत्या का आरोप था। उन्होंने बताया कि सैनी ने खुद ही यह गीत लिखा है और गाया है।

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