संत जन्मोत्सव का हुआ समापन
फैजाबाद। सिन्धी भाषा नहीं बची तो समाज का वजूद खत्म हो जायेगा। यह उद्गार कोलकाता से पधारे संत कपिल राम ने संत जन्मोत्सव में व्यक्त किये। रामनगर कालोनी स्थित संत कंवरराम धर्मशाला में 30वें संत जन्मोत्सव के समापन अवसर पर उन्होंने कहा कि अपने घरों में परिवार के सभी छोटे-बड़े सदस्य अपनी मातृभाषा सिन्धी में एक-दूसरे से बात करें ताकि भाषा जिन्दी रहे। भाषा से ही हमारी पहचान कायम रहेगी। 30वें संत जन्मोत्सव की अगुवाई कर रहे सांई महेशराम ने कहा कि आज हमें संत जन्मोत्सव के अवसर पर संकल्प लेना होगा कि सिन्धी समाज की संस्कृति, भाषा व साहित्य को बचाने के लिये समय-समय पर प्रान्तीय व राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर युवा पीढ़ी में जोश भरना होगा। उन्होंने कहा कि सिन्धी समाज की पुरानी सभ्यता को बचाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है। युवा इस देश का भविष्य है। सिन्धी समाज के प्रवक्ता ओम प्रकाश ओमी ने बताया कि इस मौके पर संत सतराम दास, संत रूढ़ाराम, अमर शहीद संत कवरराम, संत जगतराम व संत वासदेव राम के चित्र पर माल्यार्पण कर संतों ने दीप प्रज्वलित कर आरती की। उन्होंने बताया कि इस मौके पर मंच पर मौजूद संतों ने सामूहिक रूप से संत जन्मोत्सव के अवसर पर केक काटा। इस मौके पर मध्य प्रदेश के शहर डबरा से पधारे विशाल व सागर एण्ड म्यूजिकल ग्रुप ने सिन्धी कलामों व सिन्धी भजनों से समाँ बांधी। समापन अवसर पर राजस्थान की मशहूर सिन्धी ढोल व शहनाई पर युवाओं ने डाण्डियाॅं नृत्य किया। उन्होंने बताया कि समापन अवसर पर कपिल कुमार व नवल राम ने भी सिन्धी भजनों को गाकर धूम मचायी। समापन अवसर पर आम भण्डारा प्रसाद का वितरण हुआ जिसमें सिन्धी व्यंजन कढ़ी, चावल, बूंदी (नुख्ती) का वितरण हुआ। इस मौके पर गुरूमुख दास पंजवानी, धर्मपाल रावलानी, बूलचन्द चुंगलानी, परसराम तोलानी, राजकुमार रामानी, ओम प्रकाश अंदानी, सुमित माखेजा, भजन कालानी, ईश्वर दास लखमानी, संजय खिलवानी, संतोष रायचन्दानी, विकास आहूजा, नारायण दास केवलरामानी, राजकुमार मोटवानी, सुरेश पंजवानी, सौरभ लखमानी, मुकेश रामानी, गोपीचन्द मंध्यान, वेद प्रकाश राजपाल, सुनील मंध्यान, मनोहर लाल, महेश लखमानी, अशोक राजपाल, अनिल कोटवानी, सुरेश केवलरामानी, प्रेमचन्द रोचलानी आदि बड़ी संख्या में सिन्धी समाज के लोग मौजूद थे।